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निर्यात तत्परता सूचकांक जारी करने का उद्देश्य
इस सूचकांक को जारी करने का मुख्य लक्ष्य सभी राज्यों (तटीय, भूमि से घिरे, हिमाल्यन और केंद्र शासित प्रदेशों / शहर-राज्यों) के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा करना है. इस प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप सारे सम्बंधित राज्य अपने क्षेत्रों में अनुकूल नीतियाँ लायेंगे, नियामक ढांचे को आसान बनायेंगे, और आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करेंगे. साथ हीं यह सूचकांक निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार करने के लिए रणनीतिक सिफारिशों की पहचान करने में सहायता करने के लिए भी उपयोगी है.
निर्यात तत्परता सूचकांक 2021 के टॉप फाइव राज्य
गुजरात नीति आयोग के निर्यात तत्परता सूचकांक 2021 में पहले स्थान पर है. इसके बाद क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र और कर्नाटक हैं. टॉप फाइव राज्यों में तमिलनाडु और हरियाणा भी शामिल हैं.
2021 के निर्यात तत्परता सूचकांक के मुख्य स्तम्भ
2021 का निर्यात तत्परता सूचकांक चार मुख्य स्तंभों पर आधारित है –
- नीति
- व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र
- निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र और
- निर्यात प्रदर्शन
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टॉप टेन राज्य
- गुजरात
- महाराष्ट्र
- कर्नाटक
- तमिलनाडु
- हरियाणा
- उत्तर प्रदेश
- मध्य प्रदेश
- पंजाब
- आंध्रप्रदेश
- तेलंगाना
- लक्षद्वीप, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, लद्दाख और मेघालय जैसे केंद्र शासित प्रदेशों को इस सूचकांक में सबसे नीचे रखा गया है.
- अगस्त 2020 में जारी निर्यात तत्परता सूचकांक में भी गुजरात प्रथम स्थान पर था.
- वर्ष 2021 के लिए भारत के निर्यात में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुयी, जबकि विश्व व्यापार की वृद्धि 30 प्रतिशत थी.
- बहुत लंबे समय के बाद, विश्व व्यापारिक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी में 1.6 प्रतिशत से 1.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुयी है.
- जिन क्षेत्रों ने इस विकास में योगदान दिया है उनमें वाहन, विद्युत मशीनरी, लोहा और इस्पात शामिल हैं.
- भारत के निर्यात में से लगभग 70 प्रतिशत निर्यात केवल पांच राज्यों द्वारा हुआ है. जो हैं - महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना.
- राज्यों की रैंकिंग से यह पता चलता है कि कुछ राज्य ऐसे भी हैं जो अगर निर्यात के लिए एक संस्थागत और नीतिगत ढांचा तैयार कर लें तो काफी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.
- बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों से निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरत है.
- निति आयोग द्वारा जारी किया गया यह दूसरा निर्यात तत्परता सूचकांक प्रतिस्पर्धी संघवाद और वैश्विक निर्यात परिदृश्य में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच एक निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक साबित होगा.