Hindu New Year 2022: चैत्र नवरात्रि से शुरू होता है हिंदू नव वर्ष, देखे यहां रोचक जानकारी

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Sat, 02 Apr 2022 10:43 PM IST

Source: Safalta

चैत्र मास या चैत महीने की शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष का प्रारम्भ होता है. इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है. नव संवत्सर यानि कि भारत वर्ष का नया साल. हमारा यह नया वर्ष यानि हिन्दू नव वर्ष अन्तरिक्ष में सूर्य और चन्द्रमा के गति की गणना के अनुसार तय किया गया है. इस साल आज हीं के दिन से यानि 2 अप्रैल 2022, शनिवार से नवरात्रि भी शुरू हो रहा है क्योंकि हमारा हिंदू नववर्ष ग्रहों और नक्षत्रों की गणना के अनुसार मनाया जाता है सो प्रत्येक साल का ग्रहों नक्षत्रों का अपना अलग अलग राजा, मंत्री और मंत्रिमंडल होता है. बात हिंदू नव वर्ष संवत 2079 की यानि कि हिन्दू नव वर्ष 2022 की करें तो इस बार साल की शुरुआत एक दुर्लभ संयोग के साथ हो रहा है. इस दुर्लभ संयोग पर ग्रहों नक्षत्रों की स्थिति काफी विचित्र रहने वाली है. गणनाओं के अनुसार ग्रहों नक्षत्रों की ऐसी स्थितियां 1500 साल बाद बन रही है. नववर्ष की शुरुआत पर 3 राजयोग तथा शनि-मंगल की युति होने का शुभ योग बन रहा है. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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वैसे आज के वैज्ञानिक युग में लोग इस प्रकार की पुरानी बातों में यकीन नहीं करते परन्तु सच तो यही है कि नक्षत्रों की गणना भी एक प्रकार के विज्ञान जिसे एस्ट्रोलॉजी कहते पर आधारित है. और हमारे देश का पुराना विज्ञान आज के विज्ञान से बहुत अधिक विकसित हुआ करता था.

ग्रेगरियन कैलेंडर और भारत देश
बात करते हैं हिन्दू नव वर्ष की. आज जब हम अपना नव वर्ष अपने कैलेंडर जिसे पञ्चांग कहते हैं के हिसाब से नहीं मना कर जबरन थोपे गए ग्रेगरियन कैलेंडर के हिसाब से मनाते हैं तो हम सबको ये जानना आवश्यक हो जाता है कि ग्रेगरियन कैलेंडर आरम्भ से हीं दोष पूर्ण रहा है. क्योंकि इसके द्वारा की गई समय की गणना पूर्ण रूप से सूर्य की गति पर हीं निर्भर है जबकि हमारा भारतीय पञ्चांग सूर्य तथा चन्द्रमा दोनों की गति के अनुसार बनाया गया है. विक्रम संवत अपनी गणना में न केवल सूर्य बल्कि चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण तथा पृथ्वी की अयन कला को शामिल करता है. और इस प्रकार हमारा पञ्चांग ग्रेगरियन कैलेंडर हो या अरब का हिज़री कैलेंडर दुनिया में सबसे श्रेष्ठ है. इस बात की गवाही तो प्रकृति भी देती है और नववर्ष के आते हीं नए पत्तों और फूलों से श्रृंगार कर निखर उठती है. जबकि ग्रेगरियन कैलेंडर के नववर्ष में समूची धरती ठिठुरी हुई होती है.
 

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''अप्रैल फूल''
गुलामी से पहले जब हम ग्रेगरियन कैलेंडर को महत्त्व नहीं देते थे तब अंग्रेजों ने अप्रैल फूल शब्द का इस्तेमाल उन सभी लोगों के लिए किया था जो इस कैलेंडर को नहीं मानते थे. और दुखद ये है कि आज हम ग्रेगरियन कैलेंडर को भी मानते हैं और एक दूसरे को ''अप्रैल फूल'' भी बनाते हैं. जबकि यूरोपियन अब हमारी पुरानी वैभवशाली संस्कृति की और आकर्षित हो रहे हैं.
और अब अपनी संस्कृति के अनुसार 5 वो बातें जो नववर्ष की दिन सभी हिन्दुओं को जरुर करना चाहिए -

1. प्रातःकाल नदी या सरोवर में स्नान.
2. नव कलश स्थापित करना चाहिए.
3. आँगन या घर की छत पर नया ध्वज लगाना चाहिए.
4. नए वस्त्र में आरती करनी चाहिए.
5. गरीबों को भोजन या दान.