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वैसे आज के वैज्ञानिक युग में लोग इस प्रकार की पुरानी बातों में यकीन नहीं करते परन्तु सच तो यही है कि नक्षत्रों की गणना भी एक प्रकार के विज्ञान जिसे एस्ट्रोलॉजी कहते पर आधारित है. और हमारे देश का पुराना विज्ञान आज के विज्ञान से बहुत अधिक विकसित हुआ करता था.
ग्रेगरियन कैलेंडर और भारत देश
बात करते हैं हिन्दू नव वर्ष की. आज जब हम अपना नव वर्ष अपने कैलेंडर जिसे पञ्चांग कहते हैं के हिसाब से नहीं मना कर जबरन थोपे गए ग्रेगरियन कैलेंडर के हिसाब से मनाते हैं तो हम सबको ये जानना आवश्यक हो जाता है कि ग्रेगरियन कैलेंडर आरम्भ से हीं दोष पूर्ण रहा है. क्योंकि इसके द्वारा की गई समय की गणना पूर्ण रूप से सूर्य की गति पर हीं निर्भर है जबकि हमारा भारतीय पञ्चांग सूर्य तथा चन्द्रमा दोनों की गति के अनुसार बनाया गया है. विक्रम संवत अपनी गणना में न केवल सूर्य बल्कि चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण तथा पृथ्वी की अयन कला को शामिल करता है. और इस प्रकार हमारा पञ्चांग ग्रेगरियन कैलेंडर हो या अरब का हिज़री कैलेंडर दुनिया में सबसे श्रेष्ठ है. इस बात की गवाही तो प्रकृति भी देती है और नववर्ष के आते हीं नए पत्तों और फूलों से श्रृंगार कर निखर उठती है. जबकि ग्रेगरियन कैलेंडर के नववर्ष में समूची धरती ठिठुरी हुई होती है.
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''अप्रैल फूल''
गुलामी से पहले जब हम ग्रेगरियन कैलेंडर को महत्त्व नहीं देते थे तब अंग्रेजों ने अप्रैल फूल शब्द का इस्तेमाल उन सभी लोगों के लिए किया था जो इस कैलेंडर को नहीं मानते थे. और दुखद ये है कि आज हम ग्रेगरियन कैलेंडर को भी मानते हैं और एक दूसरे को ''अप्रैल फूल'' भी बनाते हैं. जबकि यूरोपियन अब हमारी पुरानी वैभवशाली संस्कृति की और आकर्षित हो रहे हैं.
और अब अपनी संस्कृति के अनुसार 5 वो बातें जो नववर्ष की दिन सभी हिन्दुओं को जरुर करना चाहिए -
1. प्रातःकाल नदी या सरोवर में स्नान.
2. नव कलश स्थापित करना चाहिए.
3. आँगन या घर की छत पर नया ध्वज लगाना चाहिए.
4. नए वस्त्र में आरती करनी चाहिए.
5. गरीबों को भोजन या दान.