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अशोक चक्र -
तिरंगे के मध्य भाग में एक चक्र बना हुआ है. इस चक्र में 24 समान दूरी वाली तीलियाँ अंकित हैं. इसे अशोक चक्र कहते हैं. अशोक चक्र को समय चक्र के रूप में भी जाना जाता है जिसमें 24 तीलियां दिन रात के 24 घंटों का प्रतिनिधित्व करती हैं. चक्र का अर्थ है कि गति में जीवन है. गति हीं जीवन का नियम है.
24 तीलियों का अर्थ और महत्त्व -
हिंदू धर्म के मुताबिक हमारे पुराणों में 24 की संख्या का बहुत महत्व है -
1) हिंदू धर्म के अनुसार, अशोक चक्र को धर्म चक्र और समय चक्र के रूप में जाना और माना जाता है. धर्म चक्र की सभी 24 तीलियाँ हिमालय के 24 ऋषियों का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनमें विश्वामित्र प्रथम तथा याज्ञवल्क्य अंतिम ऋषि हैं.
2) 24 की संख्या हिंदू धर्म के 24 ऋषियों और 24 अक्षरों वाले गायत्री मंत्र (हिंदू धर्म का सबसे शक्तिशाली मंत्र) की शक्ति का भी संकेत देती है.
3) 12 तीलियां भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को भी इंगित करती हैं. और अन्य 12 को उनके समकक्ष प्रतीकों के साथ जोड़ा जाता है जैसे- अविद्या, संस्कार, विज्ञान, नामरूप, सदायतन, स्पार्स, वेदना, तृष्णा, उपदान, भव, जाति, जरामरन (बुढ़ापा) और मृत्यु.
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प्रमुख बिंदु -
डिजाइन - भारतीय तिरंगे के डिजाइन का श्रेय काफी हद तक एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकय्या को दिया जाता है. उन्होंने दो प्रमुख समुदायों, हिंदुओं और मुसलमानों के प्रतीक के लिए दो लाल और हरे रंग की पट्टियों से युक्त ध्वज के एक मूल डिजाइन का प्रस्ताव रखा था. जबकि महात्मा गांधी ने शांति और भारत में रहने वाले बाकी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और देश की प्रगति के प्रतीक चिन्ह के रूप में एक कताई चक्र जोड़ने का सुझाव दिया था. 1963 में उनका निधन हो गया और 2014 में उनका नाम भारत रत्न के लिए प्रस्तावित किया गया.
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इतिहास-
- पहला राष्ट्रीय ध्वज - कहा जाता है कि भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था.
- इसमें लाल, पीले और हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ थीं, जिसके बीच में वंदे मातरम लिखा हुआ था. ध्वज पर लाल पट्टी में सूर्य और अर्धचंद्र का प्रतीक चिन्ह था, और हरी पट्टी में आठ आधे खिले हुए कमल पुष्प अंकित थे.
- दूसरा राष्ट्रीय ध्वज - मैडम कामा और निर्वासित क्रांतिकारियों के उनके समूह ने 1907 में जर्मनी में एक भारतीय ध्वज फहराया था. यह विदेशी भूमि में फहराया जाने वाला पहला भारतीय ध्वज था.
- तीसरा राष्ट्रीय ध्वज - डॉ एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने होम रूल आंदोलन के हिस्से के रूप में 1917 में एक नए झंडे को अपनाया था. इसमें पांच लाल और चार हरे रंग की क्षैतिज धारियां थीं. इसमें सप्तर्षि विन्यास में सात तारे भी अंकित थे. एक शीर्ष कोने पर सफेद अर्धचंद्र और तारे बने थे दूसरे कोने में यूनियन जैक था.
- वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज - वर्ष 1931 में कांग्रेस कमेटी की कराची में हुई एक बैठक में तिरंगे (पिंगली वेंकय्या के द्वारा डिजाइन किया हुआ) को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया. इसके बाद तिरंगे के लाल रंग के स्थान पर केसरिया को रखा गया और बाकि रंगों का क्रम भी बदल दिया गया.
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शीर्ष पर अवस्थित केसरिया रंग "ताकत और साहस" का प्रतीक है, बीच में सफेद "शांति और सच्चाई" का प्रतिनिधित्व करता है जबकि तिरंगे के नीचे का हरा भाग "भूमि की उर्वरता, विकास और शुभता" का प्रतीक है. बीच के हिस्से में 24 तीलियों के साथ अशोक चक्र ने ध्वज पर प्रतीक रूप में उपस्थिति बनाए रखी. इसका अर्थ यह कि ''गति में जीवन है और ठहराव में मृत्यु.''
जय हिन्द.