What is EVM: जानिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बारे में

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Thu, 10 Mar 2022 04:56 PM IST

Source: Safalta

ईवीएम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को कहते हैं. ईवीएम द्वारा मतदाता अपने पसंद के चुनावी उम्मीदवार को मात्र एक बटन दबाकर वोट डाल सकते हैं. एक ईवीएम की दो इकाइयाँ होती हैं: नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई. इन इकाइयों को एक केबल द्वारा आपस में जोड़ा जाता है. ईवीएम की नियंत्रण इकाई मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है और मतदाताओं के वोट डालने के लिए मतदान इकाई को मतदान कक्ष के भीतर रखा जाता है. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि वोट डालने वाले प्रत्येक मतदाता को मतदान अधिकारी के पास अपने पहचान की पुष्टि करनी पड़े. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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ईवीएम मशीन पर उम्मीदवारों के नाम और/या प्रतीकों की एक सूची उपलब्ध होती है जिसके आगे एक नीले रंग का बटन होता है. मतदाता जिस उम्मीदवार को वोट देना चाहता है, उसे उसके नाम के आगे वाले बटन को दबाना होता है.

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ईवीएम और इतिहास :
  • आयोग ने दिसंबर, 1977 में मतपत्रों के उपयोग से जुड़ी कुछ समस्याओं को दूर करने और प्रौद्योगिकी के विकास का लाभ उठाने के लिए ईवीएम के विचार को प्रस्तुत किया था ताकि मतदाता बिना किसी परिणामी अस्पष्टता के अपना वोट सही ढंग से डाल सकें और अमान्य वोटों की संभावनाओं को पूरी तरह से ख़त्म किया जा सके.
  • एमबी हनीफा ने 1980 में पहली भारतीय वोटिंग मशीन का आविष्कार किया था. इसका इस्तेमाल पहली बार 1981 में केरल के उत्तरी परवूर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में 50 मतदान केंद्रों पर किया गया था. ईवीएम को 1989 में भारत के चुनाव आयोग द्वारा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से कमीशन किया गया था.
  • दिसम्बर 1988 में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 को संसद द्वारा संशोधित किया गया था और इसमें एक नई धारा 61ए को जोड़ा गया था. यह धारा आयोग को वोटिंग मशीनों का उपयोग करने का अधिकार देती है. संशोधित प्रावधान 15 मार्च, 1989 से प्रभावी हुआ.
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मतपत्र से मशीन तक
  • जिस समय भारत में बैलेट पेपर का उपयोग किया जाता था तब बैलेट बॉक्स कैप्चरिंग और झूठे वोट डालने की समस्या यहाँ का एक सामान्य परिदृश्य था. इसी समस्या को हल करने के लिए भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की शुरुआत की गई थी.
  • पूर्व-ईवीएम युग की एक और समस्या अवैध वोटों का उच्च अनुपात था. बहुत से लोगों को आवंटित स्थान पर मुहर लगाने में कठिनाई होती थी.
  • इसके अलावा, कागजी मतपत्रों की लागत और मतदान कर्मचारियों की कड़ी मेहनत एक अतिरिक्त बोझ थी.
  • इसलिए, भारतीय संसद ने भारत में आम चुनाव और राज्य के चुनाव आयोजित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का उपयोग करने का निर्णय लिया.
  • भारत में ईवीएम में एक बैलेट यूनिट, मतदाताओं के लिए संबंधित उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों के नाम के सामने बटन और बूथ अधिकारी द्वारा संचालित एक कंट्रोल यूनिट होता है.
  • कई अध्ययनों से यह भी पता चला है कि ईवीएम ने चुनावी धांधली, धोखाधड़ी और पुनर्मतदान को कम किया है जिससे कि चुनाव अब एक सुरक्षित प्रक्रिया बन गया है. इससे मतदाताओं के मतदान प्रतिशत में भी वृद्धि हुई है.