10 Hindu Gurus (Gurupurnima) : जाने पौराणिक काल के 10 हिंदू गुरुओं के बारे में

safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Tue, 12 Jul 2022 07:27 PM IST

Highlights

पौराणिक गुरुओं के नाम 
1.महर्षि वेदव्यास
2. महर्षि वाल्मीकि
3. गुरु द्रोणाचार्य
 4.गुरु विश्वामित्र
 5.परशुराम 
6.शुक्राचार्य
 7.गुरु वशिष्ठ
 8.गुरु बृहस्पति
 9.गुरु कृपाचार्य 
10.आदि गुरु शंकराचार्य

Source: Safalta

10 Hindu Gurus (Gurupurnima) : हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को महर्षि वेदव्यास जिन्हें हिंदू धर्म में प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है।
उनके जन्म के उपलक्ष में हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प्राचीन काल से ही सभी शिष्य अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं एवं दीक्षा धारण करते हैं। तो आइए जानते हैं पौराणिक काल से हिंदू धर्म के प्रमुख गुरुओं एवं शिष्य के बारे में। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here
  

पौराणिक काल के प्रमुख गुरुओं के नाम

1. महर्षि वेदव्यास

 महर्षि वेदव्यास प्राचीन भारतीय ग्रंथों के मुताबिक इन्हें प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है। उनके जन्म के अवसर पर गुरु पूर्णिमा का शुभ दिन समर्पित है। महर्षि वेदव्यास को भगवान विष्णु के अवतार माना गया है। इनका पूरा नाम कृष्णदै्पायन व्यास था। महर्षि वेदव्यास ने वेदों एवं अठारह पुराणों और महाकाव्य महाभारत की रचना की थी। इनके प्रमुख शिष्यों में ऋषि जैमिन, वैशंपायन, मुनि सुमन्तु, राम हर्षण आदि शामिल थे।

2. महर्षि वाल्मीकि


महर्षि वाल्मीकि रामायण के रचयिता थे। महर्षि वाल्मीकि ने कई अस्त्र शस्त्रों की रचना की थी थी महर्षि वाल्मीकि भगवान राम और माता सीता के दोनों पुत्र लव एवं कुश के गुरु थे और उन्होंने ही लव कुश को अस्त्र-शस्त्र चलाने की ज्ञान दी थी।

3. गुरु द्रोणाचार्य 


गुरु द्रोणाचार्य महाभारत में धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों एवं राजा पांडु के पांच पुत्रों के शिष्य थे। द्रोणाचार्य एक महान धनुर्धर गुरु थे, गुरु द्रोणाचार्य के अर्जुन एवं एकलव्य दोनों ही श्रेष्ठ शिष्य थे। गुरु द्रोणाचार्य ने अपने वरदान की रक्षा के लिए एकलव्य से उसका अंगूठा गुरु दक्षिणा के रूप में मांगा था। गुरु द्रोण देव गुरु बृहस्पति के अंसावतार थे और इनके प्रमुख शिष्यों में दुर्योधन, दुशासन, भीम, अर्जुन, युधिष्ठिर, आदि शामिल थे।

4. गुरु विश्वामित्र 


गुरु विश्वामित्र महान भृगु ऋषि के वंशज थे। विश्वामित्र के प्रमुख शिष्यों में भगवान राम और लक्ष्मण थे।  इन्होंने भगवान राम और लक्ष्मण को कई अस्त्रों एवं शास्त्रों का ज्ञान दिया है। इन्होंने एक बार देवताओं से रुष्ट होकर अपनी एक अलग सृष्टि की रचना की थी ।

 
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5.परशुराम


 परशुराम का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन वे स्वभाव से एक क्षत्रिय थे। इन्होंने अपने माता-पिता के अपमान का बदला लेने के लिए पृथ्वी में मौजूद समस्त क्षत्रिय कुल के राजाओं का सर्वनाश कर दिया था। परशुराम के शिष्यों में द्रोणाचार्य, भीष्म, कर्ण जैसे महान महाभारत के योद्धा शामिल है।

6. दैत्य गुरु शुक्राचार्य 


शुक्राचार्य को राक्षसों के गुरु एवं देवता माने जाते हैं। शुक्राचार्य का पूर्ण नाम शुक्र उशनस है। शुक्राचार्य को भगवान शिव ने वरदान स्वरुप संजीवनी दिया था जिससे मरने वाले व्यक्ति को फिर से जीवित करने की शक्ति मौजूद थी। गुरु शुक्राचार्य ने दानवों के साथ-साथ देवताओं को भी शिक्षा दी है। देव गुरु बृहस्पति के पुत्र कच इनके शिष्य थे।

7. गुरु वशिष्ठ 

गुरु वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक हैं। यह सूर्यवंश के कुल गुरु भी थे जिन्होंने राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करवा कर भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था। गुरु वशिष्ठ सभी सूर्यवंश के गुरुओं के साथ-साथ भगवान राम, लक्ष्मण. भरत एवं शत्रुघ्न के भी गुरु थे।

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8. देव गुरु बृहस्पति 


देव गुरु बृहस्पति को देवताओं के गुरु होने का दर्जा प्राप्त है। देव गुरु बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्रों का प्रयोग कर दैत्यों से देवताओं की रक्षा एवं पोषण करते हैं। युद्ध में विजय पाने के लिए योद्धा इनकी प्रार्थना करते हैं।

9. गुरु कृपाचार्य

 गुरु कृपाचार्य पांडवों के गुरु थे। भीष्म ने इन्हें पांडवों और कौरवों को शिक्षा दीक्षा देने के लिए नियुक्त किया था। कृपाचार्य भी अपने पिता की तरह धनुर्विद्या में  निपुण थे। इसके साथ-साथ कृपाचार्य को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त था। इन्होंने राजा परीक्षित को भी अस्त्र विद्या का ज्ञान दिया है ।

10.आदि गुरु शंकराचार्य 


जगदगुरु आदि शंकराचार्य हिंदुओं के धर्म गुरु माने जाते हैं। इनका जन्म केरल प्रांत के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने 7 साल की उम्र में ही वेदों में महारत हासिल किया था। शंकराचार्य ने भारत में कई मठ और चार पवित्र धामों की स्थापना की है एवं सनातन धर्म में यह मान्यता है कि आदि गुरु शंकराचार्य भगवान भोलेनाथ के ही अवतार थे।
 

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