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ग्रीष्मकालीन संक्रांति 2022
इस बार की ग्रीष्मकालीन संक्रांति या जून संक्रांति 21 जून, 2022 को देखी जाएगी. ग्रीष्मकालीन संक्रांति का अर्थ ये हुआ है कि यह दिन उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होगा तो वहीँ दूसरी तरफ यह दक्षिणी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन होता है.
Source: Safalta.com
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प्रकृति की यह दिलचस्प घटना हर साल 20 जून से 22 जून के मध्य घटित होती है. 20 से 22 जून के बीच जिस दिन दोपहर में सूर्य सीधे कर्क रेखा के ऊपर होगा वही दिन ग्रीष्म संक्रांति कहलाता है. ग्रीष्म संक्रांति का दिन साल का सबसे लम्बा दिन और इसकी रात साल की सबसे छोटी रात होती है.
ऋतुकालीन परिवर्तन
ग्रीष्म संक्रांति ऋतुकालीन परिवर्तन का प्रतीक है. जहाँ एक तरफ यह उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म के चरम का चिन्ह माना जाता है वहीँ दूसरी तरफ दक्षिणी गोलार्ध में यह सर्दियों के मौसम के चरम का प्रतीक है. उत्तरी अमेरिका में रहने वालों के लिए, ग्रीष्मकालीन संक्रांति 2022 की घटना 20 जून को रात 10.32 बजे हो चुकी है जबकि बाकी उत्तरी दुनिया के लिए यह घटना आमतौर पर 21 जून को दोपहर 3.32 बजे होगी.सामान्य हिंदी ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
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वर्ष का सबसे लम्बा और चमकदार दिन
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने के समय को संक्रान्ति काल कहते हैं. यह एक पवित्र समय माना जाता है.ग्रीष्मकालीन संक्रांति चूँकि वर्ष का सबसे लम्बा और चमकदार दिन होता है सो दुनिया भर के कई देश इसे खूब एन्जॉय करते हैं. कुछ देशों में इससे जुड़ी हुई अनेक आध्यात्मिक प्रथाएँ भी हैं.
कब पड़ेगी ग्रीष्म संक्रांति की तिथि
पृथ्वी की वर्तमान कक्षा के आधार पर, ग्रीष्म संक्रांति की तिथि 20 जून, 21 जून और 22 जून के बीच घूमती है. यह सौर मंडल के ग्रहों की गति के ऊपर निर्भर करता है कि किसी खास वर्ष की ग्रीष्म संक्रांति इन तीनों तिथियों में से किस तिथि को पड़ेगी.ग्रीष्म संक्रांति क्या है ?
एक शब्द में कहें तो ग्रीष्म संक्रांति वह खगोलीय घटना है जब पृथ्वी का झुकाव सूर्य से अधिकतम या न्यूनतम होता है.यह खगोलीय घटना तब होती है जब पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर लगभग 23.4° (23°27´N) झुक जाता है. इस स्थिति में सूर्य की दोपहर की ऊर्ध्वाधर किरणें कर्क रेखा (23°27´ N) पर सीधे धरती के ऊपर की ओर होती हैं. सूर्य की ओर अधिकतम झुकाव के कारण उत्तरी गोलार्द्ध को सूर्य से अधिक प्रकाश और गर्मी मिलती है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में इसके बिल्कुल विपरीत परिस्थिति उपस्थित रहती है.
भारत में ग्रीष्मकालीन संक्रांति का समय क्या होगा?
21 जून, 2022 को भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म संक्रांति 2022 दोपहर 2.43 बजे होगी.ग्रीष्मकालीन संक्रांति 2022, कुछ रोचक तथ्य
(1) भारत के प्राचीन खगोलशास्त्रियों को ग्रहों की गति का मानव जीवन पर प्रभाव के बारे में जानकारी थी. भारत में ऐसा माना जाता है कि ग्रीष्म संक्रांति की अवधि के दौरान की गई कोई भी साधना स्वयं प्रकृति के द्वारा समर्थित होती है और हमेशा वांछित परिणाम देती है. इस दिन संगीत की साधना भी फलदाई मानी जाती है.(2) भारत में ग्रीष्म संक्रांति हीं वह दिन भी है जब सद्गुरुओं को श्रद्धांजलि दी जाती है.
(3) ग्रीष्म संक्रांति के दिन से आकाश में सूर्य का मार्ग, दिन के उजाले की लंबाई, और सूर्योदय तथा सूर्यास्त सभी एक नियमित तरीके से बदल जाते हैं.
(4) वर्ष के किसी भी अन्य समय की तुलना में ग्रीष्म संक्रांति के दौरान, उत्तरी ध्रुव सीधे सूर्य की ओर अधिक झुका होता है जबकि दक्षिणी ध्रुव सूर्य से सबसे दूर झुका हुआ होता है.
(5) आकाश में सूर्य का पथ घुमावदार है. ग्रीष्म संक्रांति पर धरती पर सूरज की सीधी रेखा पड़ती है.
(6) पृथ्वी की वर्तमान कक्षा के आधार पर, ग्रीष्म संक्रांति की तिथि 20 जून, 21 जून या 22 जून के मध्य घूमती है. सूर्य की ग्रीष्म संक्रान्ति केवल और केवल सौर मंडल के ग्रहों की गति के ऊपर निर्भर करता है.
(7) आर्कटिक सर्कल के बाहर इस दिन केवल आइसलैंड ऐसा एकमात्र स्थान है जहां सूर्य का अनुभव किया जा सकता है.
(8) दुनिया के कई देशों में ग्रीष्मकालीन संक्रांति से जुड़ी कुछ विशेष परंपराएं प्रचलित हैं.
(9) यूनाइटेड किंगडम में, एक विशेष संस्कृति से संबंधित लोग, स्टोनहेंज के आसपास गीत गाते हैं और अपना पारंपरिक नृत्य करते हैं.
(10) भारत में हर साल ग्रीष्म संक्रांति के दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और विश्व संगीत दिवस मनाया जाता है.