Mahaparinirvan Day 2022, महापरिनिर्वाण दिवस क्या है और यह क्यों मनाया जाता है

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Tue, 06 Dec 2022 12:14 PM IST

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परिनिर्वाण का अर्थ है मृत्यु पश्चात निर्वाण अर्थात मौत के बाद निर्वाण।

Mahaparinirvan Day 2022 : हर साल 6 दिसंबर को डॉक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर जिन्हें लोग डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से जानते हैं और जिन्हें भारतीय संविधान के जनक कहा जाता है, इनके पुण्यतिथि के अवसर पर हर साल महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है। बाबासाहेब आंबेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हई थी। इस दिन को मनाने का पीछे का कारण भीमराव अंबेडकर को सम्मानित करना एवं श्रद्धांजलि देना है। ऐसे में आइए जानते हैं कि महापरिनिर्वाण दिवस क्या है और इसे बाबासाहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर क्यों मनाया जाता है और इसे मनाने का क्या महत्व है।  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
 

 महापरिनिर्वाण क्या है 


परिनिर्वाण का अर्थ है मृत्यु पश्चात् निर्वाण अर्थात मौत के बाद निर्वाण। परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों एवं लक्ष्यों में से एक है।

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Source: safalta

बाबासाहेब अंबेडकर ने धर्म हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म में धर्मांतरण कर लिया था, इस कारण उनका अंतिम संस्कार भी बौद्ध धर्म तरीके से हुआ था। बौद्ध धर्म के कई सिद्धांतों एवं लक्ष्यों में से एक परिनिर्वाण है और इसके मुताबिक जो व्यक्ति निर्वाण करता है, वह सांसारिक मोह, माया, इच्छा, जीवन की पीड़ा से मुक्त रहता है साथ ही जीवन चक्र से भी मुक्त रहता है। निर्वाण को हासिल करना आसान नहीं है, इसके लिए सदाचारी एवं धर्म सम्मत जीवन व्यतीत करना पड़ता है। बौद्ध धर्म में 80 साल के भगवान बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वाण कहा जाता है।


 डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है


 गरीब एवं दलित वर्ग की स्थिति और जीवन में सुधार लाने में भीमराव अंबेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उन्होंने समाज सेवा सहित रूढ़िवादी प्रथाओं को समाप्त करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है कि उनके बौद्ध गुरु डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक सदाचारी थे, भीमराव अंबेडकर के अनुयायियों के मुताबिक डॉ भीमराव भी अपने कार्यों से निर्वाण प्राप्त कर चुके थे, इसलिए उनकी पुण्यतिथि के अवसर को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कई सालों तक बौद्ध धर्म का अध्ययन कर 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म अपनाया था। मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म के नियम के मुताबिक हुआ था।  मुंबई के दादर चौपाटी में जिस जगह डॉक्टर अंबेडकर का अंतिम संस्कार किया गया उसको अब चैत्यभूमि के नाम से जाना जाता है।  Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize


 महापरिनिर्वाण दिवस कैसे मनाया जाता है 


भारतीय संविधानसभा के अध्यक्ष एवं संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसंबर को मनाई जाती है। महापरिनिर्वाण दिवस के दिन  लोग भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर फूल चढ़ाते हैं और दीपक एवं मोमबत्तियां जलाई जाती है इसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग इकट्ठा होते हैं इस दिन बौद्ध भिक्षुओं समेत कई लोग पवित्र गीत गाकर बाबासाहेब के नाम के नारे लगाते हैं। इस प्रकार 6 दिसंबर को महा परिनिर्वाण मनाया जाता है।  GK Capsule Free pdf - Download here


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