Migration Tracking System : माइग्रेशन ट्रैकिंग सिस्टम क्या है और यह कैसे काम करती है

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Sun, 17 Apr 2022 07:14 PM IST

Highlights

इस डेटा के साथ, राज्य सरकार प्रवासी श्रमिकों की स्वास्थ्य योजनाओं, शैक्षिक कार्यक्रमों आदि में सुधार करने में सक्षम होगी इसके साथ ही मनरेगा के बेहतर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में भी सक्षम होगी।

Source: Safalta

Migration Tracking System : महाराष्ट्र सरकार ने Personal Unique Identification Number के माध्यम से कमजोर मौसमी प्रवासी कामगारों की आवाजाही को ट्रैक करने के लिए एक वेबसाइट-आधारित माइग्रेशन ट्रैकिंग सिस्टम (Migration Tracking System) डेवलप किया है। 
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 माइग्रेशन ट्रैकिंग सिस्टम के बारे में


1.राज्य सरकार के महिला और बाल विकास (Women and Child Development) डिपार्टमेंट ने नवंबर 2021 में चंद्रपुर, गढ़चिरौली, जालना, अमरावती, नंदुरबार और पालघर सहित उच्च आदिवासी आबादी वाले 6  जिलों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च किया था।
2.Migration Tracking System परियोजना की परिकल्पना प्रवासी लाभार्थियों को टीकाकरण, पोषण आपूर्ति, स्वास्थ्य जांच आदि जैसी  बाल और महिला  विकास सेवाओं (Women and Child Development)  को बनाए रखने के लिए की गई है, जिसमें स्तनपान कराने वाली माताएं, 18 साल तक के उम्र के बच्चे और आंगनबाडी केन्द्रों के साथ रजिस्टर्ड गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। 
3. इस वेबसाईट में यह सुनिश्चित कर उनके प्रवास को ट्रैक किया जाएगा कि ICDS उनके परिवारों के लिए उनके जिलों में राज्य के भीतर या बाहर तब तक पोर्टेबल है जब तक वे अपने मूल स्थानों पर नहीं लौटते।


इस माइग्रेशन ट्रैकिंग सिस्टम की आवश्यकता क्यों पड़ी


इस प्रणाली को लागू किया गया है क्योंकि महाराष्ट्र में मजदूरों के संकट से प्रेरित मौसमी प्रवास की संख्या अधिक है। साथ ही, COVID-19 से संबंधित लॉकडाउन के कारण, बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं इधर से उधर  हो गए थे और टीकाकरण, पोषण और अन्य ICDS योजना से संबंधित सेवाओं से चूक गए थे। इसलिए, इस वेबसाइट के जरिए से, राज्य अंतर-जिला, अंतर-जिला और श्रमिकों के अंतरराज्यीय प्रवास के डेटा को कैप्चर किया जा सके।


यह वेबसाइट कैसे काम करती है?


सबसे पहले, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने संबंधित क्षेत्रों के प्रवासी लाभार्थियों को एमटीएस वेबसाइट ऐप पर श्रमिकों के पहचान पत्र जैसे पैन, आधार, आदि का उपयोग करके रजिस्टर करना होगा। जिसमें नामों के साथ-साथ प्रवासियों के बच्चों के वजन, उम्र और ऊंचाई को भी सिस्टम में जोड़ना होगा और उन्हें मध्यम, गंभीर या तीव्र जैसे पोषण कैटेगेरी में विभाजित किया जाएगा। सिस्टम पर अपलोड किए जाने वाले डेटा के आधार पर, प्रवासियों के बच्चों को पोषण लाभ उनके नए स्थानों में जोड़ा जाएगा। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एमटीएस ऐप के माध्यम से, विभिन्न अनौपचारिक क्षेत्रों जैसे कृषि श्रम, ईंट भट्टों, निर्माण कार्य, स्टोन क्रशिंग, चीनी कारखाने, गन्ना काटने आदि के बारे में डेटा एकत्र करने में सक्षम होंगे, जहां प्रवासी श्रमिक अपने बच्चों को  साथ ले जा रहे हैं। 


डेटा का उपयोग कैसे किया जाएगा

इस डेटा के साथ, राज्य सरकार प्रवासी श्रमिकों की स्वास्थ्य योजनाओं, शैक्षिक कार्यक्रमों आदि में सुधार करने में सक्षम होगी इसके साथ ही मनरेगा के बेहतर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में भी सक्षम होगी।
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