Mother Teresa Biography,जाने मदर टेरेसा के प्रारंभिक जीवन और उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Tue, 06 Sep 2022 11:29 AM IST

Highlights

 मदर टेरेसा के अवार्ड 


1962 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
1985 में उन्हें अमेरिका सरकार द्वारा मैडल ऑफ फ्रीडम अवार्ड से सम्मानित किया गया।
 बीमार लोगों की मदद के लिए 1979 को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

Source: Safalta

Mother Teresa Biography : मदर टेरेसा को दुनिया भर में कौन नहीं जानता। यह एक महान हस्ती हैं जिन्होंने अपने पूरे जीवन को निस्वार्थ भाव और प्रेम से गरीबों और लाचारों की सेवा में समर्पित कर दिया था।
मदर टेरेसा अपार प्रेम और त्याग की मूरत थी। जो किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेम और दया रखती थी जो गरीब, लाचार, बीमार और अपने जीवन में अकेला था। 18 साल की उम्र से ही मदर टेरेसा बनकर अपने जीवन को एक नई दिशा दी। मदर टेरेसा भारत की नहीं थी बल्कि भारत पहली बार आई तो वह यहां के लोगों से प्रेम कर बैठी और अपना जीवन गरीव और लाचारों के साथ बिताने के लिए निर्णय लिया। उन्होंने भारत के लोगों के लिए अपने जीवन काल के दौरान अभूतपूर्व कार्य किया है। इनके योगदान कार्यों को समर्पण करने के लिए उनकी पुण्यतिथि के दिन हर साल विश्व स्तर पर विश्व दान दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं इनके जीवन परिचय के बारे में। 
अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here
 

 विषय सूची 

1.मदर टेरेसा प्रारंभिक जीवन
2.मदर टेरेसा का भारत आना और उनके द्वारा किए गए भारत के लोगों के लिए कार्य
3.एक नया बदलाव
4.मिशनरी ऑफ चैरिटी 
5.मदर टेरेसा पर हुए विवाद
6.मदर टेरेसा के अवार्ड और अचीवमेंट
7.मदर टेरेसा की मृत्यु 

मदर टेरेसा का जीवन परिचय

 26 अगस्त 1910 को सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य में मदर टेरेसा का जन्म हुआ था। मदर टेरेसा का पुराना नाम आन्येज़े गोंजा बोयाजियू इनके पिता एक बिजनेसमैन थे जो काफी धार्मिक स्वभाव के थे। वे हमेशा अपने घर के पास चर्च जाया करते थे और यीशु के अनुयाई थे। 1919 में उनकी मृत्यु हो गई जिसके बाद मदर टेरेसा के परिवार को आर्थिक परेशानी से गुजरना पड़ा था। लेकिन उनकी माता ने उन्हें बचपन से ही मिल बांट कर रहना खाना सिखाया था। उनकी मां का कहना था कि जो कुछ भी मिले उसे सब के साथ बैठकर खाना चाहिए। अपने माता-पिता के सिखाए  हुए संस्कार और शिक्षा के चलते ही आगे चलकर आन्येज़े गोंजा बोयाजियू आगे चलकर मदर टेरेसा बनी और समाज के लिए बहुत सारे कार्य किया। आन्येज़े की आवाज काफी सुरीली और मधुर थी। यह अक्सर चर्च में अपनी मां और बहन के साथ यह यीशु की महिमा गाया करती थी। 12 साल की उम्र से ही ये चर्च के साथ एक धार्मिक यात्रा में गई थी। जिसके बाद उनका मन बदल गया और उन्होंने क्राइस्ट को अपना मुक्तिदाता मान लिया। यीशु के वचन को दुनिया भर में फैलाने का फैसला लिया। 1928 में 18 साल की होने के बाद आन्येज़े गोंजा बोयाजियू ने बप्तिस्मा लिया और क्राइस्ट को अपना लिया था। इसके बाद वो डबलिन में जाकर रहने लगी और इसके बाद वह अपने घर वापस कभी नहीं लौटी ना ही अपने मां और बहनों को दोबारा देखा। नन बनने के बाद उनका पुनर्जन्म हुआ और उन्हें सिस्टर मेरी टेरेसा के नाम से जाना जाने लगा। बाद में इन्होंने डबलिन की एक यूनिवर्सिटी से नन की ट्रेनिंग ली।
Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize

 मदर टेरेसा का भारत आना और उनके द्वारा भारत के लिए किए गए कार्य


 1929 में मदर टेरेसा बाकी नन के साथ मिशनरी के काम के सिलसिले में भारत के दार्जलिंग शहर आई थी यहां उन्हें स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजा गया था। 1931 में एक नन के रूप में प्रतिज्ञा ली थी। जिसके बाद इन्हें भारत के कलकत्ता शहर में भेजा गया यहां उन्हें गरीब बंगाली लड़कियों को शिक्षा देने के लिए कहा गया। बबलिन की सिस्टर लोरेटो द्वारा संत मैरी स्कूल की कोलकाता में स्थापना की गई जहां गरीब बच्चे पढ़ते थे। मदर टेरेसा को बंगाली और हिंदी दोनों भाषा का ज्ञान था। वह बच्चों को भूगोल एवं इतिहास विषय पढ़ाया करती थी। कई सालों तक उन्होंने अपनी इस क्षेत्र में बहुत लगन और निष्ठा के साथ कार्य किया। कोलकाता में रहने के दौरान उन्होंने लोंगों के बीच गरीबी, लोगों में फैलती बीमारी, लाचारी और अज्ञानता को बहुत करीब से देखा था। और यह बात उनके मन में घर करने लगी वह इन लोगों के लिए कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे लोगों का दुख और तकलीफ कम हो सके। 1937 में उन्हें मदर की उपाधि से सम्मानित किया गया। 1944 में इन्हें संत मैरी स्कूल की प्रिंसिपल बनाया गया।

मदर टेरेसा के जीवन का नया बदलाव


 मदर टेरेसा के जीवन में नया बदलाव तब हुआ जब वह कल्कत्ता से दार्जलिंग किसी काम के लिए जा रही थी। तभी येशु ने उनसे बात की और कहा कि  अध्यापन का काम छोड़कर कोलकाता की गरीबी, लाचारी, बीमारी और लोगों की सेवा करो। मदर टेरेसा ने आज्ञाकारिता का व्रत लिया था जिसके कारण वह बिना सरकारी अनुमति के अध्यापन ता काम नहीं छोड़ सकती थी। जनवरी 1948 में उन्हें परमीशन मिल गई जिसके बाद उन्होंने स्कूल में पढ़ाना छोड़ दिया। अब मदर टेरेसा  सफेद रंग की नीली धड़ी वाली साड़ी पहनना शुरू किया और जीवन भर इसी वेश में दिखाई दी। उन्होंने बिहार के पटना से नर्सिंग की ट्रेनिंग और वापस आकर गरीब और बीमार लोगों की सेवा में जुट गई। मदर टेरेसा ने एक आश्रम बनवाया और उनकी मदद के लिए बाकी चर्च भी आगे आए। इस काम को करते हुए उन्हें कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। काम छोड़ने के कारण उनके पास आर्थिक सहायता नहीं थी उन्हें अपना खुद का पेट भरने के लिए लोगों के सामने हाथ फैलाना पड़ता था। मदर टेरेसा इन सब परेशानियों से घबराई नहीं उन्हें अपने भगवान पर पूरा विश्वास था कि वह उनका साथ अवश्य देंगे और उनके कार्य को पूरा करेंगे।
सामान्य हिंदी ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
पर्यावरण ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
खेल ई-बुक - फ्री  डाउनलोड करें  
साइंस ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
अर्थव्यवस्था ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
भारतीय इतिहास ई-बुक -  फ्री  डाउनलोड करें  
 

 मिशनरी ऑफ चैरिटी 


7 अक्टूबर 1950 में मदर टेरेसा के बहुत प्रयास के चलते मिशनरी आफ चैरिटी की परमीशन मिली। इस संस्था में वोलीन्टर मैरी स्कूल की शिक्षक ही थे। जो सेवा भाव से इस आयोजन से जुड़े थे। शुरुआत में इस संस्था में केवल 12 लोग ही कार्य करते थे। आज के समय में यहां पर 4000 से भी ज्यादा नन काम कर रही हैं। इस ऑर्गनाइजेशन द्वारा अनाथालय, वृद्ध आश्रम, बनाया गया है। मिशनरी आफ चैरिटी का मुख्य उद्देश्य उन लोगों की सहायता करना है जिनका दुनिया में कोई नहीं है, जो बेसहारा है और गरीब हैं, इस समय कोलकाता में प्लेग और कुष्ठ रोग की बीमारी तेजी से फैली हुई थी। मदर टेरेसा और उनकी संस्था ऐसे लोगों की सेवा कर रही थी। मदर टेरेसा मरीजों के घाव को हाथ से साफ कर मरहम पट्टी कर उनकी तकलीफ को दूर कर रही थी । उस समय छुआछूत की बीमारी भी हुई थी। जिन्हें लाचार गरीब को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था, मदर टेरेसा सभी लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आई और गरीब भूखे बेसहारे लोगों को दिया करती थी।

 मदर टेरेसा पर हुए विवाद के बारे में 


इस व्यापक और सराहनीय प्रशंसा के बावजूद भी मदर टेरेसा का जीवन विवाद और परेशानियों से घिरा हुआ था। कहा जाता है कि सफलता जहां होती है वहां विवाद भी सामने आता है। मदर टेरेसा के निस्वार्थ भाव, दया, प्रेम, निष्ठा, लगन को भी लोगों ने गलत समझा और उन पर आरोप लगाया गया कि वह भारत में धर्म परिवर्तन करने के नियत से सेवा कर रही है। लोग उन्हें अच्छा इंसान ना समझ कर ईसाई धर्म का प्रचारक समझते थे। इन सब बातें  के बावजूद भी मदर टेरेसा अपने काम की ओर ही ध्यान लगा रही थी। लोग उनकी बारे में बात करते थे लेकिन उन बातों को छोड़कर गरीबों की सेवा पर ध्यान दें रही थी। 
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस  ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application

मदर टेरेसा की मृत्यु


 मदर टेरेसा को कई सालों से किडनी से जुड़ी समस्या थी। उनका पहला दिल का दौरा 1983 में रोम में पॉप जॉन पॉल द्वीतीय से मुलाकात के दौरान हुआ था। इसके बाद दूसरी बार उन्हें 1989 में दूसरी बार दिल का दौरा आया। तबीयत खराब होने के बाद भी ये काम करती रही और मिशनरी के सभी कामों से जुड़ी थी। 1997 में उनकी हालत बिगड़ी और उन्हें इसका आभास हुआ तो उन्होंने मार्च 1997 को मिशनरी आफ चैरिटी के का पद छोड़ दिया जिसके बाद सिस्टर मैरी निर्मला जोशी को इस पद के लिए अप्वॉइंट किया गया। 5 सितंबर 1957 को मदर टेरेसा का कोलकाता में निधन हो गया।

 मदर टेरेसा के अवार्ड 


1962 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
1985 में उन्हें अमेरिका सरकार द्वारा मैडल ऑफ फ्रीडम अवार्ड से सम्मानित किया गया।
 बीमार लोगों की मदद के लिए 1979 को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 2003 में पॉप जॉन पोल ने मदर टेरेसा के सेवा भाव के लिए उन्हें धन्य कहा साथ ही, इन्हें ब्लेस्ड टेरेसा ऑफ कलकत्ता कहकर सम्मानित किया था।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इन करंट अफेयर को डाउनलोड करें

 

September  Month Current affair

Indian States & Union Territories E book- 
 Monthly Current Affairs May 2022
 DOWNLOAD NOW
Download Now
डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs April 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs March 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs February 2022 डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs January 2022  डाउनलोड नाउ
Monthly Current Affairs December 2021 डाउनलोड नाउ