Source: Safalta
जिससे देश के गरीब और बेरोजगार परिवार अपनी इस योजना का लाभ उठाते हैं। ज्यादातर इस योजना के तहत ऐसे कमजोर आय वर्ग के लोग ग्राम पंचायत में जारी इस योजना के तहत रोजगार का लाभ उठाते हैं। इसके साथ ही इस योजना के मदद से लोगों के आए में सुधार हुआ है और साथ ही पलायन की समस्या को भी दूर किया गया।एन जे ओझा को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए लोकपाल नियुक्त किया गया है। ओझा के पास मनरेगा कर्मचारियों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने, उन पर विचार करने, शिकायत प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर पुरस्कार देने की शक्ति है। एन जे ओझा दो साल के लिए मनरेगा के लोकपाल के पद पर कार्यरत रहेंगे। मनरेगा एक ऐसा कानून है जिसके अंतर्गत भारत सरकार लोगों को 100 दिन की रोजगार की गारंटी देती है। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now.
नरेगा जॉब कार्ड क्या है
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को और अधिक ट्रांसपेरेंट बनाने के लिए और किसी भी तरह से धोखाधड़ी से बचाने के लिए इस योजना के तहत लाभार्थियों को जॉब कार्ड दिए जाते हैं। यह जॉब कार्ड 100 दिन के लिए मान्य होता है और 100 दिन की रोजगार की गारंटी देता है। इस जॉब कार्ड में लाभार्थी द्वारा किए गए कार्यों का ब्यावरा होता है साथ ही इसमें लाभार्थी का डिटेल जैसे नाम, पिता/ पति का नाम, पता और जॉब कार्ड नंबर लिखा होता है। यह मनरेगा योजना का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
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मनरेगा लोकपाल की शक्ति क्या क्या है:
मनरेगा लोकपाल के पास मनरेगा श्रमिकों से शिकायतें सुनने की शक्ति रहेगीइसके साथ साथ इन शिकायतों पर विचार करने, और इन प्राप्त शिकायतों की मिलने की तारीख से लेकर 30 दिनों के भीतर ही शिकायत का निर्णय लेने और शिकायत की जांच जारी करने होंगे।
लोकपाल के पास शिकायत की कार्यवाही शुरू करने की शक्ति है।
मजदूरी के भुगतान या बेरोजगारी भत्ते का भुगतान न करने से जुड़े सभी परेशानियों का निवारण लोकपाल ही करेंगे।
Monthly Current Affairs May 2022 Hindi
मनरेगा योजना के बारे में:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट 2005 या नरेगा योजना, जिसे बाद में साल 2009 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम या मनरेगा के रूप में बदल दिया गया, यह एक भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है जिसका उद्देश्य लोगों को और खासकर के बेरोजगार लोगों को 'काम के अधिकार' की गारंटी देना है, इस कानून से ज्यादातर ग्रामीण लोग लाभान्वित होते हैं। इस कानून के तहत सभी बेरोजगार लोगों को 100 दिन की रोजगार एवं काम की मजदूरी दी जाती है।सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इन फ्री बुक्स को डाउनलोड करें
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