Parashuram Jayanti 2022: परशुराम जयंती हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। परशुराम जयंती को अक्षय तृतीया के रूप में भी मनाया जाता है, मान्यता है कि इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भगवान परशुराम का अर्थ है कुल्हाड़ी के साथ भगवान राम का अवतार, उनके पृथ्वी पर अवतार की यह मान्यता है कि वे धरती पर क्षत्रियों की क्रूरता से पृथ्वी को बचाने के लिए उनका जन्म हुआ था। इस साल 2022 में परशुराम जयंती 3 मई को मनाया जाएगा। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now.
परशुराम जयंती क्यों मनाते हैं?
हिंदू धर्म की यह मान्यता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल के दौरान हुआ था और इसलिए जब प्रदोष काल के दौरान तृतीया तिथी शुरू होती है, उस दिन को परशुराम जयंती के रूप में मानया जाता है।
Source: Safalta
पृथ्वी पर भगवान परशुराम के जन्म का उद्देश्य कई स्थानों के राजाओं की क्रूरता से उत्पन्न अत्यधिक विनाशकारी और अधार्मिक गतिविधियों से पृथ्वी की रक्षा करना था। कालिका पुराणों में यह बताया गया है कि परशुराम श्री कालिका के युद्ध गुरु हैं । परशुराम भगवान के नाम का वर्णनन रामायण में राम और सीता जी के विवाह समारोह के दौरन हुआ हैं।Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
परशुराम जयंती के अनुष्ठान क्या हैं?
देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। सभी अपना पौराणिक और धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन को मनाते हैं।श्रद्धालु सबसे पहले नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शुद्ध कपड़े पहनने, इसके पश्चात पूजन सामग्री की तैयारी कर ले जिसमें भगवान के स्नान के लिए शुद्ध जल पंचामृत, फूल, तुलसी पत्र, कुमकुम, चंदन, घी-दीपक, अगरबत्ती, हूम-धूप, प्रसाद के लिए मिठाई,आदि की व्यवस्था कर लें। इसके बाद भगवान को शुद्ध पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराले, फिर भगवान को कुमकुम, चंदन, तुलसी पत्र, फूल अर्पित कर धूप दीप से आरती करें। अब भगवान को भोग लगाएं और अंत में हाथ जोड़कर अपनी मनोकामना के लिए भगवान से प्रार्थना करें। इसके साथ ही व्रत धारण करने वाले श्रद्धालु व्रत के दौरान शुद्ध सात्विक भोजन, फल या दूध ग्रहण करें।
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