27-10-2022
Gujarat Jal Jeevan Mission, गुजरात ने किया जल जीवन मिशन का लक्ष्य पुरा
Gujarat Jal Jeevan Mission : गुजरात सरकार ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 100% नल के पानी के कनेक्शन हासिल कर लिए हैं। राज्य के जल संसाधन और जल आपूर्ति मंत्री ऋषिकेश पटेल ने ट्विटर पर इस बात की घोषणा दी है कि गुजरात ग्रामीण क्षेत्र में 100% नल के पानी के कनेक्शन हासिल कर लिए हैं। राज्य के जल संसाधन और जल आपूर्ति मंत्री ऋषिकेश पटेल ने ट्विटर पर यह कहा है कि गुजरात में गुजराती नव वर्ष 26 अक्टूबर के अवसर पर यह बड़ी उपलब्धि राज्य में हासिल की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में अपनी विकास यात्रा में एक और कदम बढ़ाया है।
मिशन के तहत इन लक्ष्यों किया पुरा
साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए मिशन 2024 तक घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सभी ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति हर दिन 55 लीटर पानी उपलब्ध करवाने का लक्ष्य तय किया गया था, जिसे अब गुजरात सरकार ने हासिल कर लिया है। गुजरात में ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 91.73 लाख घरों को मिशन के अंतर्गत नल कनेक्शन के माध्यम से पानी उपलब्ध करवाया गया है। 63,287 किलोमीटर वितरण पाइप लाइन, 3498 भूमिगत पंप, 2396 उच्च टैंक, 339कुएं, 3985 ट्यूबवेल और 324 मिनी योजनाएं एवं 302 सौर ऊर्जा संचालित पेयजल वितरण प्रणाली स्थापित करके ग्रामीण परिवारों को 100% कवरेज संभव किया गया है।
2 साल पहले ही हासिल किया लक्ष्य
जल जीवन मिशन के अलावा राज्य के जल आपूर्ति विभाग में रुपए की नई योजना के लिए भी काम किया है। जिसमें मंत्री ने कहा है कि ग्रामीण नागरिकों को शुद्ध नियमित और पर्याप्त पानी उपलब्ध करवाने के लिए 15989 करोड़ रुपए की राशि का उपयोग पुरानी योजनाओं के अंतर्गत बुनियादी ढांचाओं के लिए इनोवेशन भी किया गया है। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने एक ट्वीट में कहा है कि गुजरात 2024 की समय सीमा से 2 साल पहले ही 100% नल के पानी के कारण की लक्ष्य को हासिल कर ली है। गुजरात के अलावा हरियाणा गोवा तेलंगाना दादरा और नगर हवेली दमन और दीव पुडुचेरी अंडमान और निकोबार द्वीप के केंद्र राज्य ने केंद्र की जीवन योजना के तहत घरों में सौ पर्सेंट नल का पानी हासिल किया है।
Infantry Day, पैदल सेना दिवस का इतिहास और महत्व क्या है
Infantry Day : हर साल 27 अक्टूबर को पैदल सेना दिवस मनाया जाता है। यह दिवस उन सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी एवं कर्तव्य के पथ पर अपने प्राण निछावर किए थे। इस साल 27 अक्टूबर को 76 वां पैदल सेना दिवस मनाने के लिए सैनिक सभी प्रमुख दिशाओं वेलिंगटन तमिल नाडु, जम्मू कश्मीर, शिलांग मेघालय, अहमदाबाद गुजरात से 174 बाइक रैली का आयोजन किया गया है। बाइक रैली 16 अक्टूबर को शुरू हुई थी और देशभर के यात्रा को कवर करेगी जिसका समापन सेना दिवस पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर होगा। प्रत्येक ग्रुप में 10 बाईकर होंगे एवं 8000 किलोमीटर की संचय यात्रा को कवर करेंगे। समूह का नेतृत्व अहमदाबाद से मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजीमेंट, शिलांग से असम रेजीमेंट, वेलिंगटन से मद्रास रेजीमेंट और उधमपुर से जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजीमेंट द्वारा किया जाएगा।
पैदल सेना दिवस का इतिहास क्या है
पैदल सेना दिवस के अवसर के लिए 27 अक्टूबर को चुना गया क्योंकि इस दिन पहले भारतीय पैदल सेना के सैनिकों ने बाहरी आक्रमण से भारत की रक्षा की थी। जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर के बाद 26 अक्टूबर 1947 को यह क्षेत्र भारतीय प्रभुत्व का हिस्सा बना था। जल्द ही सिख रेजीमेंट की पहली बटालियन पाकिस्तानियों के खिलाफ लड़ने के लिए श्रीनगर एयर बेस पर पहुंची थी।
पाकिस्तान के नियमित 22 अक्टूबर को उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत के आदिवासी क्षेत्र से आदिवासी एवं स्वयंसेवकों के बीच में जम्मू कश्मीर में शामिल हुए थे। समूह का प्राथमिक उद्देश्य राज्य पर जबरन कब्जा करना एवं इसे पाकिस्तान के हाथ से पाकिस्तान के साथ लाना था। जम्मू कश्मीर के राज्य द्वारा प्रारंभिक प्रतिरोध के बाद महाराजा द्वारा पानी ग्रहण के आधार पर हस्ताक्षर करने के बाद 27 अक्टूबर को पाकिस्तानी कार्यों को भगाने के लिए भारतीय सैनिकों को बुलाया गया था।
भारतीय टीम को 26 अक्टूबर की रात इस बात की सूचना दी गई थी। वहां से चले गए जहां उन्हें नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर तैनात किया गया था। अगली सुबह 27 अक्टूबर को श्रीनगर ले जाया गया जहां उन्हें पाकिस्तानी आक्रमणकारियों से हवाई क्षेत्र को मुक्त करवाना था। श्रीनगर हवाई क्षेत्र को सुरक्षित करने के बाद भारतीय सैनिक आक्रमणकारियों को रोकने के लिए और दीवान रंजीत राय की ओर बढ़ने में सक्षम थे, लेकिन अपनी जान गवा दी। उनके लिए और उनके मरणोपरांत देश के दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार से लेफ्टिनेंट कर्नल दिलवाने दीवान रंजीत राय को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
Silver Trumpet And Trumpet Banner, राष्ट्रपति के अंगरक्षक को सिल्वर ट्रम्पेट, ट्रम्पेट बैनर भेंट क्यों किया गया
Silver Trumpet And Trumpet Banner : सेना की सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड यानी राष्ट्रपति अंगरक्षक दल को सिल्वर ट्रंपट और बैनर प्रोवाइड करेंगी। देश में प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड की स्थापना के ढाई सौ साल पूरे हुए हैं। सेना की इस टुकड़ी के लिए यह मौका बहुत महत्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम की फुल ड्रेस रिहर्सल राष्ट्रपति भवन में की गई है। करीब डेढ़ घंटे तक चलने वाले इस समारोह में पीवीजी राष्ट्रपति के सिल्वर ट्रंपट और ट्रंपट बैनर को स्वीकार किया जाएगा। समारोह के दौरान पहली बार पूर्व सैनिक परेड करेंगे एवं प्रदर्शन के लिए घोड़ों पर एलईडी लाइट का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
इस लेख के मुख्य बिंदु
ढाई सौ साल हुए पूरे- इस बार यह मौका बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड टीम के 28 साल पूरे हो चुके हैं।
प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड को भारतीय सेना की इकलौती ऐसी यूनिट होने का गर्व है, जो राष्ट्रपति के सिल्वर ट्रंपेट और ट्रंपेट बैनर को लेकर चलती है।
भारतीय सेना के सुप्रीम कमांडर होने के नाते राष्ट्रपति की यह अपनी सैन्य टुकड़ी है जो पूरी तरह से उन्हीं के लिए तैनात रहती है और उनकी रक्षा करती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू यह कार्यक्रम डेढ़ घंटे तक चलेगा। इस दौरान रक्षक दल को भारत के राष्ट्रपति द्वारा की इस समारोह कार्यक्रम के बाद प्रेजेंटेशन परेड होगी और एक ऑडियोवीजुअल प्रस्तुति होगी, जिसमें सिल्वर ट्रंप और सिल्वर बैनर के इतिहास एवं महत्व के साथ-साथ राष्ट्रपति के अंगरक्षक बॉडीगार्ड के बारे में बताया जाएगा, लेकिन इस कार्यक्रम में इस बार सबसे खास आकर्षण एलईडी लाइट की रोशनी पर बॉडीगार्ड के घोड़े के कौशल की प्रस्तुति होगी।
इस कार्यक्रम के लिए उन्हें खास तरीके से भी ट्रेन किया गया है। इस समारोह आज 27 अक्टूबर 2022 को शाम में आयोजित होनी है।
राष्ट्रपति के अंगरक्षक दल को सिल्वर दिया जाएगा। यह घुड़सवार और घोड़े इसी तरीके से अपने की प्रस्तुति करेंगे।
28-10-2022
Elon Musk bought Twitter,एलॉन मस्क ने खरीदा ट्विटर, जाने अब फिचर में क्या कुछ बदलेगा
Elon Musk bought Twitter : एलोन मस्क ने ट्विटर को खरीद लिया है, यह डील ट्विटर और एलॉन मस्क के बीच 44 अरब डॉलर में तय हुई है। ट्विटर डील को फाइनल करने से पहले एलॉन मस्क ने एक लेटर लिखा था, जिसमें उन्होंने ट्विटर को खरीदने की कई सारी वजह बताई थी, डील पक्का होने के बाद एलॉन मुस्क ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने यह लिखा है कि पक्षी आजाद हो गया है। एलोन मस्क ने ट्विटर में कई बदलाव के बारे में डील की शुरुआत में ही बात की थी। डील में सबसे ज्यादा चर्चा जिस बात पर हुई थी वह है बट अकाउंट और कंटेंट मॉडरेशन को रोकना था। एलॉन मस्क का यह कहना है कि ट्विटर में बड़े स्तर पर कंटेंट मॉडरेशन किया जाता है।
एलॉन मस्क के ट्विटर खरीदने के बाद क्या क्या बदलाव होगा
एलॉन मस्क शुरुआत से ही ट्विटर में कई बदलाव के बारे में बात कर रहे हैं, जिसमें से एक है एडिट बटन का फीचर है, यह फीचर ट्विटर पर अब आ चुका है लेकिन इससे सभी यूजर्स इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इस फीचर का इस्तेमाल केवल ट्विटर ब्लू यूजर्स ही कर सकते हैं, जो कि एक सब्सक्रिप्शन बेस्ड सर्विस है। इन सबके अलावा एलॉन मस्क ने ट्विटर को एक सुपर ऐप बनाने की भी बात कही थी। जिसमें उन्होंने कर्मचारियों के साथ हुई एक मीटिंग में यह कहा था कि चीन में मौजूद वी-चैट की तरह ही ट्विटर को बनाने की कोशिश करेंगे।
पराग अग्रवाल टि्वटर के सीईओ
रिपोर्ट्स के मुताबिक मास्क ने ट्विटर की डील फिक्स होने के बाद सीईओ पराग अग्रवाल को निकाल दिया है। अभी तक इस बात की कोई ऑफिशियल पुष्टि नहीं हुई है। वहीं फर्म Equilar की पिछले रिपोर्ट की मानें तो पराग अग्रवाल को ट्विटर से बाहर करने पर मास्क को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। ट्विटर डील के 12 महीने के अंदर पराग अग्रवाल को कंपनी से बाहर किया जाता है, तो एलॉन मस्क को पराग अग्रवाल को लगभग 4.2 करोड डॉलर यानी कि 345.72 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। इस कीमत का अंदाजा पराग अग्रवाल की सैलरी एवं इक्विटी अवॉर्ड्स के एक्सीलेरेटेड वेस्टिंग के आधार पर तय किया गया है।
Stree Desh, स्त्री देश क्या जाने इसके बारे में विस्तार से
BCCI decision on fees of cricketers : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई ने 27 अक्टूबर को एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। बोर्ड ने एक नई पॉलिसी लागू की है और इस पॉलिसी में मैच फीस के तौर पर महिला एवं पुरुष के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा। बीसीसीआई ने यह कहा है कि अब से महिला और पुरुष को बराबर मैच फीस दी जाएगी। इस बात की जानकारी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सचिव जय शाह ने दी है।
इस तरह से मिलेगी महिला क्रिकेटर को मैच फीस
बीसीसीआई सचिव ने यह कहा है कि लैंगिक समानता के एक नए युग में प्रवेश करते हुए, इस पॉलिसी के अंतर्गत अब महिला एवं पुरुष दोनों खिलाड़ियों को मैच फीस समान रूप से दी जाएगी। अब महिलाओं को भी पुरुष के समान ही मैच फीस दी जाएगी। टेस्ट क्रिकेट में एक मैच के लिए ₹1500000 खिलाड़ियों को दिए जाते थे। वनडे इंटरनेशनल में पुरुषों को एक मैच के ₹600000 दिए जाते थे। बीसीसीआई सचिव जय शाह ने यह बताया है कि पुरुषों को T20 इंटरनेशनल क्रिकेट में एक मैच खेलने के लिए ₹300000 दिए जाते हैं। अब यह फीस महिला क्रिकेटर को भी समान रूप से मिलेगी। इसके साथ ही जय शाह ने इस फैसले को सपोर्ट करने के लिए अपेक्स काउंसिल का भी शुक्रिया अदा किया है।
महिला क्रिकेटर को कितना फीस मिलता है
अभी महिला क्रिकेट को किसी एक वनडे या फिर T20 इंटरनेशनल मैच के लिए ₹100000 दिए जाते हैं। एक टेस्ट मैच के लिए चार लाख की फीस दी जाती है, लेकिन बीसीसीआई के इस ऐलान और घोषणा के बाद महिला टीम को भी पुरुष टीम जितनी मैच फीस दी जाएगी।
न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने की इस पहल की शुरुआत
क्रिकेट में महिला और पुरुष को समान वेतन देने की पहल इस साल जुलाई में सबसे पहले न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड द्वारा शुरू हुई थी। न्यूजीलैंड क्रिकेट मैच फीस लागू करने वाला पहला बोर्ड बना था, जिन्होंने महिला एवं पुरुष को समान फीस देने का फैसला लिया था। इसको लेकर न्यूजीलैंड क्रिकेट और छह बड़े एसोसिएशन के बीच एग्रीमेंट हुआ था। यह 5 साल के लिए की गई है, जिसके तहत घरेलू क्रिकेट को भी सभी टूर्नामेंट में होने वाले मैच में सामान फीस दी जाएगी।
SAIL crosses 10 crore on GeM portal, सेल ने GeM पोर्टल पर दस करोड़ रुपये की खरीद मूल्य को पार किया है
SAIL crosses 10 crore on GeM portal : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया सेल गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (GeM) की स्थापना के बाद से, GeM के माध्यम से 10000 करोड़ रुपए की खरीदी मूल्य (प्रोक्योरमेंट वैल्यू) को पार करने वाला पहला केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम सीपीएसई बन गया है। यह सेल के लिए एक बड़ी उपलब्धि में से एक है।
इस लेख से जुड़े मुख्य बातें
GeM के साथ पार्टनरशिप करने में सेल सबसे आगे था।
सेल ने GeM पोर्टल की पहुंच बढ़ाने के लिए GeM की विभिन्न कार्य क्षमताओं एवं फीचर्स को बनाए रखने में अपनी अच्छी भूमिका निभाई है, जिसके चलते इस बड़ी उपलब्धि को हासिल करने में सहायता मिली है।
सेल ने GeM पोर्टल में फाइनैंशल ईयर 2018-2019 में 2.7 करोड़ रुपए की खरीदी के साथ एक छोटी शुरुआत की थी, जो कि साल 2022 में 10000 करोड़ रुपए के कुल मूल्य को पार कर चुकी है।
पिछले वित्त वर्ष यानी कि साल 2021-20 22 में 4,614 करोड़ रुपए के कारोबार के साथ GeM सबसे बड़ा सीपीएसई खरीदार बना था।
अब तक 5250 करोड़ रुपए के अधिक की खरीदी के साथ करंट फाइनेंशियल ईयर से पहले पिछले साल की उपलब्धि को पार कर एक नई उपलब्धि हासिल की है।
सेल GeM पर वॉल्यूम बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
30-10-2022
National Unity Day 2022, राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व और इतिहास क्या है
National Unity Day 2022 : भारत में हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय एकता दिवस या नेशनल यूनिटी डे मनाया जाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल एक लोकप्रिय नेता थे। भारत में जिन्हें भारत के एकीकरण कर्ता के रूप में भी जाना जाता है सरदार वल्लभ भाई पटेल नें भारत के 565 रियासतों (राज्यों) को एक करने के लिए जाने जाते हैं। भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों को सम्मानित करने के लिए हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह एक प्रभावशाली राजनेता थे जिन्होंने भारत को एक करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राष्ट्रीय एकता दिवस पहली बार सरदार वल्लभभाई पटेल की 139 वी जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर 2014 को मनाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने के लिए घोषित किया था। आइए जानते हैं
सरदार वल्लभभाई के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें -
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर को 1875 को गुजरात में हुआ था। इन्हें साल 1991 में उनके मरने के बाद सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल को राष्ट्र को एकीकृत करने के उनके प्रयासों और योगदान के लिए भारत के लौह पुरुष एवं भारत के एकीकरण कर्ता के रूप में जाना जाता है। बारडोली की महिलाओं ने उन्हें सरदार या प्रमुख की उपाधि दी थी। जिनके कारण ही उन्हें सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से जाना जाता है। वल्लभ भाई पटेल स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री और तत्कालीन गृह मंत्री बने थे।
राष्ट्रीय एकता दिवस 2022 की थीम क्या है
राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल एक अनोखी थीम के साथ मनाया जाता है और स्कीम के मुताबिक ही आसपास समस्त भारत में सभी कार्यक्रम, वार्ताओं, चर्चाओं अभियानों एवं समारोह आयोजित किया जाता है। इस साल के लिए अभी तक कोई थीम तय नहीं की गई है। पिछले साल का थीम राष्ट्रीय एकता दिवस साल 2021 में आत्मनिर्भर भारत था।
राष्ट्रीय एकता दिवस का इतिहास क्या है
भारत सरकार ने पहली बार भारत के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को याद करने के लिए 31 अक्टूबर 2014 को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में शुरू की थी। सरदार वल्लभभाई पटेल ने अखंड और सक्षम भारत बनाने के विचार की वकालत की और एक भारत श्रेष्ठ भारत के इस विचार के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया था। राष्ट्र को एकजुट करने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों के लिए उन्हें भारत के लौह पुरुष के रूप में सम्मानित किया जाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल की 183 जयंती के अवसर पर भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में प्रसिद्ध नर्मदा नदी के तट पर एक विशाल स्टैचू आफ यूनिटी का उद्घाटन किया था।
राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व क्या है
भारत में विविध संस्कृति परंपरा धर्म और भाषाओं की भूमि लोगों के बीच एकता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में जब भारत की कई रियासतें बटीं हुई थी, तब सरदार वल्लभभाई पटेल ने अखंड भारत की परिकल्पना करते हुए उसकी वकालत की और देश के सभी रियासतों को एक करके एक भारत और श्रेष्ठ भारत बनाने का प्रयास किया और अपने प्रयास में सफल हुए। सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश को एकजुट करने में बहुत कठिन प्रयास किया और उनके प्रयासों को मान्यता देने के लिए ही राष्ट्रीय एकता दिवस इनके जयंती के अवसर पर मनाया जाता है।
Why is Vallabhbhai Patel called Iron Man, सरदार वल्लभ भाई पटेल से जुड़े वह तथ्य जो उन्हें लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है
Why is Vallabhbhai Patel called Iron Man : भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जो देश के पहले गृह मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री थे उन्हें कौन नहीं जानता है। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के सभी रियासतों को एक करके अखंड भारत के निर्माण में सरदार वल्लभभाई के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। गुजरात के नर्मदा नदी के तट पर सरदार वल्लभभाई की स्टेचू बनवाई गई है। ऐसे में आइए जानते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल में वह कौन से गुण थे जो उन्हें लौह पुरुष बनाते हैं। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here
1. सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाद में हुआ था। वह खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई और लाडबा पटेल की चौथी संतान थी। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। वल्लभ भाई की शादी झबेरबा से हुई थी। पटेल जब सिर्फ 33 साल के थे तभी उनकी पत्नी का निधन हो गया था।
2.सरदार वल्लभभाई पटेल अन्याय नहीं सहन करते थे। अन्याय का विरोध करने की शुरूआत उनके चरित्र में स्कूल के दिनों से ही थी। नाडियाड में उनके स्कूल के अध्यापक पुस्तक का व्यापार करते थे एवं छात्रों को मजबूर करते थे कि पुस्तक बाहर से ना खरीद कर उन्हीं से खरीदे। वल्लभभाई ने इसका विरोध किया और छात्रों को अध्यापकों से पुस्तक ना खरीदने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणाम स्वरुप अध्यापकों और सभी विद्यार्थियों में संघर्ष छिड़ गया था। 5 से 6 दिन तक स्कूल बंद रहा और अंत में इस बात की जीत सरदार की हुई और अध्यापक की ओर से पुस्तक बेचने की प्रथा भी बंद हुई।
3. सरदार पटेल अपने स्कूल की शिक्षा पूरी करने में समय लगा दिया था। उन्होंने 22 साल की उम्र में दसवीं की परीक्षा पूरी की। सरदार पटेल का सपना वकील बनने का था और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए विदेश इंग्लैंड जाना चाहते थे लेकिन इस सपने को पूरा करने के लिए उनके पास आर्थिक साधन इतनी मजबूत नहीं थी कि वह एक भारतीय महाविद्यालय में भी प्रवेश ले सके। ऐसे में सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने एक परिचित वकील से पुस्तक उधार ली और घर बैठकर पढ़ाई करनी शुरू की थी और सपने को पूरा करने के लिए एक कदम आगे बढ़े।
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4. बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व करते हुए पटेल को सत्याग्रह में सफलता मिली और वहां की महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि दी। जिसके बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से जाना जाने लगा। आजादी के बाद भारत की विभिन्न रियासतें बिखरी हुई थी, बिखरे भारत के भू राजनीतिक एकीकरण में मुख्य भूमिका निभाने वाले पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष भी कहा गया। सरदार पटेल वर्ण तथा वर्ग भेद के कट्टर विरोधी थे।
5.इंग्लैंड में वकालत की पढ़ाई करने के बाद भी उनका रुख पैसा कमाने की ओर नहीं था। सरदार पटेल 1913 में भारत वापस लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की थी। जल्द ही वे एक लोकप्रिय वकील बने और अपने मित्रों के कहने पर पटेल ने 1917 में अहमदाबाद के सैनिटेशन कमिश्नर का चुनाव लड़ा और उसमें उन्हें भारी मतों से जीत हासिल हुई थी।
6. सरदार पटेल गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सफलता से भी बहुत प्रभावित हुए थे, उन्होंने 1918 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़े किसानों को कर से राहत दिलाने की मांग की लेकिन ब्रिटिश सरकार ने कर माफ नहीं किया। गांधीजी ने किसानों का मुद्दा उठाया और अपना पूरा समय खेड़ा में ही बिताया था। गांधी जी खेड़ा में पूरा समय नहीं व्यतीत कर सकते थे इसलिए वे एक ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे जो उनकी अनुपस्थिति में इस संघर्ष की अगवाई कर सके। ऐसे में इस समय सरदार वल्लभभाई पटेल अपनी इच्छा से आगे आए और इस संघर्ष का नेतृत्व किया था।
7. गृह मंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाने था। इस काम को उन्होंने बिना खून बहाए करके दिखाया था। हैदराबाद के ऑपरेशन पोलो के लिए उन्हें सेना भेजनी पड़ी थी। भारत के एकीकरण करने के इस महान योगदान के लिए उन्हें भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है। सरदार पटेल की महानतम देन के बदौलत से 562 छोटी-बड़ी सभी रियासतों को भारतीय संघ में एक कर भारतीय एकता का निर्माण करना था। सरदार पटेल भारत के इतिहास के एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों को एक करने का साहस दिखाया था। 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की भी स्थापना की गई थी।
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8. सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बनने वाले थे, वे महात्मा गांधी के इच्छा का सम्मान करते थे। इसलिए वे प्रधानमंत्री के पद से पीछे हटे और जवाहरलाल नेहरू को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया। देश की स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल प्रधानमंत्री के साथ पहले गृहमंत्री, सूचना एवं रियासत विभाग के मंत्री बने। सरदार पटेल के निधन के 41 साल बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। जिसे उनके पौत्र विपिन भाई पटेल ने स्वीकार किया था।
9.सरदार पटेल के पास खुद का मकान नहीं था। अहमदाबाद के किराए के एक मकान में रहा करते थे। 15 दिसंबर 1950 में मुंबई में जब उनका निधन हुआ था तब उनके बैंक के खाते में मात्र ₹260 ही मौजूद थे।
10.आजादी से पहले जूनागढ़ रियासत ने 1947 में पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला किया था, लेकिन भारत ने उनके इस फैसले को स्वीकार नहीं किया था जिसके बाद जूनागढ़ को भारत में मिला लिया गया। भारत के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल ने 12 नवंबर 1947 को जूनागढ़ जाकर उन्हें भारतीय सेना को इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने का निर्देश दिया और इसके साथ ही सोमनाथ मंदिर का भी पुनर्निर्माण करने का आदेश दिया था।
जम्मू एवं कश्मीर जूनागढ़ और हैदराबाद के राजाओं ने इस फैसले को स्वीकार नहीं किया जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ था वह भागकर जूनागढ़ चले गए और जूनागढ़ भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम भारत में विलय के प्रस्ताव को अस्वीकार किए तो सरदार पटेल ने वहां भी सेना भेजकर निजाम को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया और हैदराबाद को भारत में मिलाया, लेकिन कश्मीर पर यथास्थिति रखते हुए इस मामले को शांत करवाया था।
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10 facts about Vallabhbhai Patel, सरदार वल्लभभाई से जुड़े 10 महत्वपूर्ण फैक्ट
10 facts about Vallabhbhai Patel : भारत के पहले गृह मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री ने अपनी दृढ़ साहस और इच्छा शक्ति, नेतृत्व कौशल से भारत के 600 देसी रियासतों को एक भारतीय संघ में विलय किया था।
इनके इन्हीं योगदान के लिए इन्हें भारत के लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है।
छोटी-छोटी सभी रियासतों को एक भारत में मिलाना आसान नहीं था बहुत से राजाओं और नवाबों ने इनका विरोध किया था, लेकिन फिर भी इन्होंने भारत के सभी रियासतों को एक करने में कामयाबी हासिल की थी।
ऐसे में आइए जानते हैं
इस महान लौह पुरुष से जुड़े कुछ ऐसे मुख्य तथ्य के बारे में
1. सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री बनने वाले थे, लेकिन महात्मा गांधी के इच्छा का सम्मान करते हुए इन्होंने इस पद से खुद को पीछे हटा लिया और पंडित जवाहरलाल नेहरू का समर्थन किया।
2. गृह मंत्री के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल की पहली प्राथमिकता देश के सभी छोटी रियासतों को भारत में मिलाना था।
3.सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हैदराबाद को एक करने के लिए ऑपरेशन पोलो चलाया था।
जिसके लिए उन्हें सेना भेजनी पड़ी थी, बाकी देसी रियासतों को एक करने के लिए उन्हें किसी प्रकार की सेना या खून खराबा करने की आवश्यकता नहीं पड़ी थी।
4. हैदराबाद के निजाम ने भारत में मिलने से इनकार कर दिया था लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने हैदराबाद को भी भारत में मिला लिया।
हैदराबाद की कार्यवाही हो रही थी उस समय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू देश में नहीं थे।
5. सरदार वल्लभभाई पटेल नवंबर 1950 में पंडित जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर भारत के उत्तर में चीन के संभावित खतरे के बारे में आगाह किया था।
6. पटेल की धर्मपत्नी का हॉस्पिटल में एक ऑपरेशन के दौरान निधन हो गया था जब पटेल को इस बात की सूचना मिली तब वे अदालत में जिरह कर रहे थे।
इसके बाद भी वे अपने काम को जारी रखा और अदालत की कार्यवाही समाप्त होने के बाद ही उन्होंने अन्य लोगों को इस बात की खबर बताई थी।
उनके लिए उनका काम पहले था।
7. सरदार वल्लभभाई पटेल महात्मा गांधी से बेहद लगाव था।
जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तब इस खबर को सुनकर पटेल की सेहत भी खराब हो गई थी।
महात्मा गांधी के मौत के 2 महीने बाद ही सरदार वल्लभभाई पटेल की हार्ट अटैक भी हुआ।
8. सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के गृह मंत्री के तौर पर महात्मा गांधी की हत्या और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
9. सरदार वल्लभ भाई पटेल सोमनाथ के मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया था जोकि पंडित जवाहरलाल नेहरू के विरोध के बाद भी पुनर्निर्माण का काम हुआ।
10. सरदार पटेल कश्मीर में जनमत संग्रह और कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने के लिए बहुत क्षुब्ध थे।
11. गृह मंत्री के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं का भारतीय करण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं बनाया था।
31-10-2022
World Vegan Day, वीगन दिवस का इतिहास एवं महत्व क्या है
World Vegan Day : हर साल 1 नवंबर को विश्व भर में विश्व शाकाहारी दिवस यानी वर्ल्ड वीगन डे (World Vegan Day) मनाया जाता है। यह दुनिया भर के सभी शाकाहारी लोगों द्वारा दूसरे अन्य लोगों को शाकाहारी जीवनशैली लाइफस्टाइल का पालन करने एवं अपनाने के लिए प्रेरित करने एवं जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। वीगन शब्द डोनाल्ड वाटसन द्वारा वेजिटेरियन (शाकाहारी) शब्द से लिया गया है। शाकाहारी दिवस (World Vegan Day) समान रूप से शाकाहारी आहार एवं शाकाहार के लाभ को बढ़ावा देने के लिए एवं लोगों को इसके विषय में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। विश्व शाकाहारी दिवस (World Vegan Day) की बारे में आइए जानते हैं विस्तार से-
विश्व शाकाहारी (World Vegan Day) दिवस का इतिहास
विश्व शाकाहारी दिवस (World Vegan Day) का स्थापना 1994 में यूनाइटेड सोसाइटी के तत्कालीन अध्यक्ष लुईस वालिस द्वारा संगठन की स्थापना की 50 वीं वर्षगांठ एवं Vegan और Veganism शब्दों को बनाने के उपलक्ष में मनाया गया था। बिगर सोसाइटी के अध्यक्ष ने 1 नवंबर की तारीख को इस दिन को मनाने का फैसला लिया था। 1 नवंबर को मान्यता दी गई जिस दिन शाकाहारी समाज की स्थापना हुई थी एवं जिस दिन शाकाहारी दिवस (World Vegan Day) मनाया जाता है।
विश्व शाकाहारी दिवस (World Vegan Day) का महत्व
शाकाहार एक ऐसे लाइफस्टाइल है जिसे प्रत्येक व्यक्ति के स्वस्थ शरीर एवं जीवन के लिए चुना जाता है।
एक अच्छी और हेल्दी लाइफ़स्टाइल के लिए शाकाहारी भोजन के अपने अलग ही फायदे हैं।
कई लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए शाकाहारी जीवन का चुनाव करते हैं और ऐसे ही लोगों से प्रेरित होकर इस (World Vegan Day) को मनाया जाता है।
अधिक से अधिक लोगों को शाकाहार के स्वास्थ्य लाभ के बारे में जागरूक करने एवं शाकाहार को बढ़ावा देने के लिए विश्व शाकाहारी दिवस (World Vegan Day) का गठन किया गया था और इसे हर साल 1 नवंबर को मनाया जाता है।
इस दिन अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने के लिए एवं जो लोग शाकाहार जीवन जीते हैं उन्हें सम्मानित करने के लिए कई स्थानीय कार्यक्रम, वार्ता एवं खाना पकाने के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
6 States Formation Day, 1 नवंबर को किन 6 राज्यों को पुनर्गठन हुआ था और कौन कौन से स्थापना दिवस मनाते हैं
6 States Formation Day : भारत के इतिहास के लिए 1 नवंबर का तारीख बहुत महत्वपूर्ण है। देश में विभिन्न राज्यों को भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फैसला लिया गया था। 1 नवंबर को ही देश के छह अलग-अलग राज्यों का पुनर्गठन किया गया था और उनका नया जन्म हुआ था। यह पुनर्गठन का सिलसिला 1956 से लेकर साल 2000 तक चला था। 1 नवंबर को ही मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा छत्तीसगढ़, पंजाब एवं केरल का स्थापना किया गया था। 1 नवंबर को 6 राज्य अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाते हैं। साल 1956 में 1 नवंबर को दिल्ली को भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पहचान मिली थी। इसके अलावा ये 6 राज्यों अपना स्थापना दिवस मनाते हैं।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश देश के बीच में स्थित है जिसे भारत का दिल एवं मध्य भारत के रूप में जाना जाता है। पूर्व में मध्यप्रदेश का नाम मध्य भारत था जिसे बाद में परिवर्तित करके मध्यप्रदेश किया गया। 1 नवंबर 2022 को मध्यप्रदेश अपना 67 वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। मध्यप्रदेश की स्थापना 1 नवंबर 1956 को हुई थी। मध्य प्रदेश को विभाजित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था ऐसा इसलिए क्योंकि यह चार प्रांत में बैठा था। मध्य प्रांत, विंध्य प्रांत, पुराना मध्यप्रदेश और भोपाल जिसे जोड़कर एक राज्य बनाया गया। आखिर में 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश की स्थापना की गई जिसमें मुख्यमंत्री के तौर पर पंडित रविशंकर शुक्ल ने लाल परेड ग्राउंड में अपना पहला भाषण दिया था।
पंजाब और हरियाणा
पंजाब भारत के उत्तर पश्चिम राज्य में स्थित है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में जम्मू कश्मीर एवं पूर्वांचल एवं दक्षिण में हरियाणा और राजस्थान की सीमा है। पंजाब को पांच नदियों की भूमि भी कहा जाता है क्योंकि यहां पांच नदियां बहती है सतलज नदी, रावी नदी, चिनाब नदी, झेलम और व्यास नदी लेकिन भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद झेलम नदी पाकिस्तान में चली गई। पंजाब में अब केवल 4 नदी बहती है। स्वतंत्रता के बाद राज्यों के पुनर्गठन के फैसले हो रहे थे। उस दौरान एक ओर सिख और हिंदुओं की बड़ी संख्या एक साथ पंजाबमें रह रहे थे। सिख अपने भाषा के आधार पर एक अलग राज्य की मांग की थी लेकिन 1950 में इस मांग को पूरी नहीं की गई थी। अलग राज्य के मांग की आंदोलन वगातार चलता रहा इसके बाद 1966 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सिखों के इस मांग को स्वीकार किया और पंजाब का पुनर्गठन किया। जिसके साथ हरियाणवी बोले जाने वाली पंजाब के दक्षिण भाग को अलग कर हरियाणा नाम से एक अलग राज्य का गठन किया गया।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश देश के आजाद होने के काफी लंबे समय बाद अलग हुए। छत्तीसगढ़ को एक राज्य का दर्जा साल 2000 में 1 नवंबर को मिला था ।छत्तीसगढ़ साल 2022 में अपनी 22वीं स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। अन्य राज्य की तुलना में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़का गठन भाषा के आधार पर नहीं हुआ था। स्वतंत्रता के पहले से ही छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने की मांग हो रही थी। छत्तीसगढ़ी और गोंड की भाषा का प्रचलन राज्य में अधिक बढ़ रहा था जिसके बाद 1 नवंबर साल 2000 को मध्यप्रदेश से अलग करके छत्तीसगढ़ की स्थापना की गई और अजीत जोगी को राज्य का पहले मुख्यमंत्री बनाया गया।
केरल
केरल यह राज पहले से ही विज्ञान, व्यापारिक संबंध एवं कला से समृद्ध राज्य रहा है। यह राज्य आज भी देश के महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कला एवं संस्कृति की बात की जाए तो केरल बहुत मइनों में अन्य से समृद्ध है। स्वतंत्रता के बाद केरल राज्य का भी पुनर्गठन किया गया। राज्य पुनर्गठन एक्ट 1956 के अंतर्गत केरल राज्य का निर्माण मद्रास राज्य के मलावर जिले सहित अन्य राज्य एवं जिले को मिलाकर किया गया था। 1 नवंबर को केरल की भी स्थापना हुई थी। कुछ लोग इसे मलयालम दिवस भी कहते हैं। प्रमुख रूप से इस दिवस को केरला पीर केरलाप्पिरवी के नाम से भी मनाते हैं।
कर्नाटक
भारत के कई बड़ी शक्तिशाली साम्राज्य और युद्ध का क्षेत्र कर्नाटक रहा है। इस क्षेत्र की खोज हड़प्पा लोगों ने स्वर्ण कर्नाटक की खानों से निकाल कर किया गया था। एक वक्त ऐसा था जब कर्नाटक 20 से भी अलग राज्य में बट गया था। 19वीं शताब्दी में कर्नाटक को एकीकरण करने की मांग हुई थी इसी बीच कई झड़प हुई और 1 नवंबर 1956 को भाषा के आधार पर स्टेट ऑफ मैसूर के नाम से कर्नाटक की स्थापना की गई थी। साल 1973 में स्टेट ऑफ मैसूर से इसका नाम बदलकर कर्नाटक रखा गया और उस दौरान यहां के मुख्यमंत्री देवराज उर्स को बनाया गया।
Important History Of 1st November, इतिहास में 1 नवंबर को क्या क्या हुआ था जाने विस्तार से
Important History Of 1st November : 1 नवंबर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक साल का 305 वां दिन है जिसमें साल के अभी 60 दिन बचे हुए हैं।
नवंबर ग्रेगोरी कैलेंडर और जूलियन कैलेंडर का 11 वां महीना है और यह उन 4 महीने में से एक है जिसकी संख्या में 30 दिन होते हैं।
इतिहास के पन्नों में 1 नवंबर को कई ऐसी घटनाएं हुई है जिसके बारे में आज के इस लेख में हम जानेंगे।
1 नवंबर को हुई प्रमुख घटनाएं
1755 पुरगदल की राजधानी लिस्बन में भूकंप के चलते 50,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी।
1765 ब्रिटेन के उपनिवेशों में स्टैंप एक्ट को लागू किया गया था।
1800 जॉन ऐडम्स व्हाइट हाउस में रहने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने थे।
1858 भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटेन के शासक के पास चला गया था और गवर्नर जनरल की जगह वायसराय की नियुक्ति होने लगी थी।
1881 कोलकाता में ट्राम सेवा स्यालदाह और अर्मेनिया घाट के बीच शुरू हुई थी।
1913 स्वतंत्रता सेनानी तारकनाथ दास में कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को शहर में गदर आंदोलन की शुरुआत की थी।
1922 ओटोमन अंपायर का अंत हुआ और उसके सुल्तान महमूद 6 को बहिष्कृत किया गया था।
1922 यूनाइटेड किंगडम में 10 शिलिंग का प्रसारण लाइसेंस शुल्क लगाया गया था।
1923 फिनिश ध्वजवाहक फिनेयर वायुसेवा एयरो ओय में शुरू हो गया था।
1944 दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की सेना नीदरलैंड के वालचेरेन पहुंची।
1946 पश्चिमी जर्मनी के राज्य निदरसचसेन का गठन हुआ था।
1950 भारत में पहली बार भाप इंजन चितरंजन रेल कारखाने में बनाया गया था।
1952 जय नारायण ने राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण किया था।
1954 फ्रांसीसी क्षेत्र पांडिचेरी, करिकल माहे एवं यानोन भारत सरकार को सौंपा गया था।
1956 कर्नाटक राज्य की स्थापना।
1956 मध्यप्रदेश राज्य का पुनर्गठन किया गया।
1956 राजधानी दिल्ली को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था।
1956 केरल राज्य की स्थापना की गई थी।
1956 आंध्र प्रदेश राज्य की स्थापना की गई थी।
1958 तत्कालीन सोवियत संघ ने न्यूक्लियर टेस्ट किया था।
1966 हरियाणा राज्य की स्थापना हुई थी।
1966 चंडीगढ़ राज्य की स्थापना हुई थी।
1972 कांगड़ा जिले को 3 जिले में बांटा गया था कांगड़ा, ऊना एवं हमीरपुर बनाया गया था।
1973 मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक रखा गया था।
1974 संयुक्त राष्ट्र ने पूर्वी भूमध्यसागरीय देश सायप्रस स्वतंत्रता को मान्यता दी थी।
1979 बोलिविया में सत्ता पर सेना ने कब्जा किया था।
1995 अमेरिकी प्रतिनिधि सभा द्वारा पाकिस्तान को 36.80 करोड़ डॉलर के हथियार देने के संबंध में बहुचर्चित ब्राउन संशोधन को पास किया था।
1995 नरेंद्र कोहली ने 55 साल की उम्र में स्वैच्छिक अवकाश लेकर नौकरी का सिलसिला समाप्त किया था।
1998 ढाका में दक्षिण अफ्रीका ने वेस्टइंडीज को हराकर क्रिकेट का विल्स मिनी वर्ल्ड कप जीता था।
2000 युगोस्लाविया को 8 साल बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता के लिए सुरक्षा परिषद ने मंजूरी दी थी।
2000 छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ और अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के रूप में निर्वाचित किया गया।
2003 इराकी छापामारो द्वारा बगदाद के करीब अमेरिकी हेलीकॉप्टर पर किए गए हमले में 15 सैनिकों की मृत्यु हुई थी।
2004 बेनेट किंग वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड के पहले विदेशी कोच बने थे।
2005 संयुक्त राष्ट्र में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजी हमले में मारे गए लोगों की याद में 27 जनवरी को विश्व नरसंहार दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया था।
2006 पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने डोपिंग मामले में गेंदबाज अख्तर पर 2 साल और मुहम्मद आसिफ़ पर 1 साल का बैन लगाया था।
2007 श्रीलंका की संसद ने देश की जातीय समस्या को सुलझाने के लिए इमरजेंसी की अवधि को बढ़ाए थी।
2008 रिजर्व बैंक ने बड़ोदरा से संचालित फाइनेंस कंपनी मेर्सस एचडीएफसी बैंक फाइनेंस लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन रद्द किया था।
2010 चीन ने 10 साल में पहली बार जनगणना करने की घोषणा की थी।
2010 रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने जापान के साथ विवादित चल रहे करिल द्वीप की यात्रा की थी।
2011 चीन ने मानवरहित अंतरिक्ष यान शेनझोऊ को गोबी मरुस्थल में स्थित जियूकन सैटेलाइट प्रक्षेपण केंद्र से सफलतापूर्वक लांच किया था।
Halloween Day and All Saint's Day, हैलोवीन डे और ऑल सेंट्स डे का क्या इतिहास और महत्व है
Halloween Day and All Saint's Day : हर साल 31 अक्टूबर को हेलोवीन मनाया जाता है जो 1 नवंबर को चलने वाले पश्चिमी ईसाई पर्व ऑल हैलोज डे की पूर्व संध्या को चिन्हित किया जाता है। यह क्रिश्चियन समुदाय का एक पर्व है हेलोवीन का नाम सुनते ही अक्सर लोगों के दिमाग में अलग-अलग प्रकार के डरावने चित्र आने लगते हैं। हेलोवीन गतिविधियों में ट्रिक या ट्रीटिंग कॉस्टयूम, पार्टी, कद्दू को तराशना और जलाना, खेल, हैलोवीन फिल्में देखने जैसी कृतियां शामिल है। यह हैलोवीन क्रिसमस, गुड फ्राइडे, ईस्टर जैसी त्यौहार में से एक त्यौहार है। जिसे ईसाई समुदाय द्वारा मनाया जाता है। हेलोवीन शब्द स्कॉटिश रूप सभी हैलोज की पूर्व संध्या से आया गया है।
हैलोवीन का अर्थ क्या है
हैलोवीन का अर्थ है अखिल पवित्र करना यह आत्माओं का दिवस है की पूर्व संध्या है, जो कि अब सन्यासी दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस पर्व को पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। ज्यादातर लोग त्योहारों में नए कपड़े पहनते हैं लेकिन इस त्यौहार में लोग ऐसे कपड़े और मेकअप करते हैं जिससे वे डरावने भूत प्रेत जैसे लगे। ईसाई धर्म के इस त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। हेलोवीन को ऑल हैलोज इव, हेलो ईवनीग के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार को दुनिया भर में अन्य गैर ईसाई लोगों द्वारा भी मनाया जाता है।
हैलोवीन का इतिहास क्या है
हैलोवीन दिवस करीब 2000 साल पहले ऑल स्टेट्स डे के रूप में पूरे उत्तरी यूरोप में मनाया जाता था। वहीं कुछ हिस्टोरियन का कहना है कि हैलोवीन प्राचीन सेल्टिक त्योहार है जिसे सम्हैन कहा जाता है। इस हैलोवीन दिन की यह मान्यता है कि मरे हुए लोगों की आत्माएं उठती है और धरती में जीवित आत्माओं को परेशान करती है। इन बुरी आत्माओं से डर भगाने के लिए लोग राक्षस जैसे कपड़े पहनते हैं और इसके अलावा उन्हें भगाने के लिए हर जगह आग जलाकर उसमें मरे हुए जानवर की हड्डी डालते हैं।
कब मनाया जाता है हैलोवीन
सेल्टिक कैलेंडर के आखरी को हैलोवीन दिन मनाया जाता है, इसलिए सेल्टिक लोगों के बीच नएसाल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इसे ऑल सेंट्स डे के रूप में भी जाना जाता है, जो कि 1 नवंबर को मनाया जाता है। ऑल सेंट्स डे से पहले ऑल हेलोस की शाम को मनाई जाती है। जिसे अब हैलोवीन डे के रूप में जाना जाता है। इस उत्सव में मूर्तियों की पूजा की जाती है, लेकिन कुछ पॉप्स ने इसे दूसरे ईसाई धर्म के साथ मिलने की कोशिश की जिसके फलस्वरूप ऑल सेंट्स डे और हैलोवीन डे को एक ही दिन मनाया जाने लगा।