Weekly Current Affair: 4 October 2022  से 09 October तक के करंट अफेयर यहां पढ़े।

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Sun, 09 Oct 2022 06:24 PM IST

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Weekly current affair: अगर आप भी किसी प्रकार के प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपके लिए यह लेख बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसमें हम आज आपके लिए लाए हैं राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर के करंट अफेयर। जो कि आपके प्रतियोगी परीक्षा के लिए लाभदायक हो सकता है। इस लेख का एक मात्र उद्देश्य यह है कि इस लेख से ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे छात्रों की सहायता करना है। वीकली करंट अफेयर के विषय में पढ़ने के लिए नीचे स्क्रोल कीजिए।  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here
 
4 October 2022
Best Tourist Places in India, क्या है महाबलीपुरम मंदिर जहां ताजमहल से भी ज्यादा टूरिस्ट घुमने आए हैं
 
Best Tourist Places in India : भारत में हर साल लाखों फॉरेन टूरिस्ट घूमने आते हैं और इनके आने का ब्यौवरा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया करता है।

Source: safalta

ऐसे में इस साल इंडियन टूरिज्म इंडस्ट्री से रिलेटेड कुछ खास बातें सामने आई है और इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इस साल भारत में विदेशी टूरिस्ट ताजमहल के बजाय दक्षिण भारत के इस मंदिर में ज्यादा भ्रमण करने आए हैं। ताजमहल जो भारत का सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन है, साथ ही दुनिया के सात अजूबों में से एक खूबसूरत अजूबा है। जहां भारतीय सबसे ज्यादा भ्रमण करने जाते हैं। यहां इस साल फॉरेन टूरिस्टर दक्षिण भारत के महाबलीपुरम मंदिर के मुकाबले कम घुमने के लिए आए हैं। आइए जानते हैं कि आखिर महाबलीपुरम मंदिर में ऐसी क्या खासियत और खूबियां हैं जहां टूरिस्टर ताजमहल की खूबसूरती छोड़ यहां घुमने आ रहे हैं। 

महाबलीपुरम का नामकरण


महाबलीपुरम का नाम राजा महाबली के नाम से रखा गया है। महाबली राजा ने ही विष्णु भगवान के वामन अवतार को तीन पग भूमि दान में दी थी। महाबली की दानवीरता और सत्यता से प्रभावित होकर भगवान ने उन्हें पाताल लोक का चिरंजीवी राजा घोषित किया था और स्वयं वे पाताल लोक के पहरेदार बने थे। कहा जाता है कि महाबली राजा आज भी जीवित है और केरल राज्य में उनकी पूजा की जाती है।  

महाबलीपुरम का नाम मामल्लापुरम कैसे पड़ा


पल्लव राजा नरसिंह वर्मन जिन्हें मामल्ला के नाम से भी जाना जाता था, उन्होंने महाबलीपुरम का नाम मामल्लापुरम रखा था। राजा नरसिंह वर्मन के द्वारा महाबलीपुरम का नाम मामल्लापुरम रखने के बाद भी लोग इस स्थान को आज भी महाबलीपुरम के नाम से ज्यादा जानते हैं। 7 वीं और 10 वीं सदी के दौरान पल्लव राजाओं ने महाबलीपुरम की शोभा को और अधिक बढ़ाने एवं विस्तृत करने के लिए यहां पर अनेक मंदिर और गुफाओं के निर्माण करवाया था। कांचीपुरम पर राज करने वाले पल्लव राजाओं की यह दूसरी राजधानी थी आइए जानते हैं राजा महाबली के बारे में-

राजा महाबली से जुड़े महत्वपुर्ण फैक्ट


राजा महाबली का संपूर्ण राज्य दक्षिण भारत में स्थित था। उन्होंने महाबलीपुरम को ही अपनी राजधानी बनाई थी। प्रसिद्ध पौराणिक पात्र वृत्र के वंशज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद था और प्रहलाद के नाती राजा बलि थे। दरअसल कश्यप ऋषि की पत्नी दिति के दो पुत्र हुए थे हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप। हिरण्यकश्यप के 4 पुत्र थे अनुहल्लाद, हल्लाद, प्रह्लाद और संहल्लाद। प्रहलाद के कुल में उनके एक पुत्रका नाम विरोचन था जिनके पुत्र हुए राजा बलि।   Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize

महाबलीपुरम मंदिर के बारे में 

प्राचीन शास्त्रों में यह कहा जाता है कि महाबलीपुरम में सैकड़ों मंदिर थे, यह स्थान कई खूबसूरत एवं भव्य मंदिरों के स्थापत्य और सागर तटों की खूबसूरती के लिए बहुत प्रसिद्ध था। महाबलीपुरम के बारे में यह कहा जाता है कि इसके तट पर 17वीं शताब्दी में 7 मंदिर बनवाए गए थे और एक तटीय मंदिर को छोड़कर बाकी शेष मंदिर समुद्र में डूब गए थे, आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में-

1. शोर मंदिर-
महाबलीपुरम के समुद्र तट पर स्थित है। यह प्राचीन मंदिर वास्तुकला का बेहद ही अनोखा उदाहरण है। यह मंदिर भगवान शिव और विष्णु को समर्पित है, शोर मंदिर का निर्माण लगभग 700 से 728 ईसवी के समय किया गया था। इसे स्टोन टेंपल के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि मंदिर वाला क्षेत्र ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है, जो दिखने में बेहद ही अनोखा और खूबसूरत लगता है।

2. पंच रथ मंदिर-
महाबलीपुरम के समुद्र तट पर स्थित दूसरा मंदिर है। यह पंच रथ या पांच पांडवों का रथ नामक एक मंदिर है। यह मंदिर एक खूबसूरत स्मारक परिसर है। जिसका निर्माण सातवीं सदी में महेंद्र वर्मन प्रथम और इनके पुत्र नरसिंह वर्मन प्रथम द्वारा करवाया गया था। 5 स्मारकों को पूरी तरीके से रथ के आकार में बनाया गया है, जो सभी ग्रेनाइट पत्थरों को खोद खोद कर बनाए गए हैं। इसमें महाभारत की कहानी को दर्शाया गया है। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application


3. गंगा अवतरण का स्मारक -
गंगा अवतरण के स्मारक महाबलीपुरम के कोरोमोंडल तट पर कांचीपुरम जिले में स्थित है 96X43 फीट का यह स्मारक अपनी सुंदर कलाकृति को दर्शाता है। इसमें एक बड़ा पत्थर है जिसे खोद खोद कर गंगा की उत्पत्ति को खूबसूरत तरीके से दिखाया गया है।

4. टाइगर गुफाएं-
यह गुफा भी महाबलीपुरम की सबसे खूबसूरत कलाकृति में से एक है। इनके बाहर पत्थरों में उभरे हुए शेर की मूर्तियां बनाई गई है। यह भी पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया गया था।

5. कृष्ण की मक्खन गेंद- 
दक्षिण भारत के महाबलीपुरम में 1200 साल पुराना एक पत्थर बहुत अजीबोगरीब तरीके से रखा हुआ है। इसे देखकर ऐसा लगता है मानो जरा भी छूने पर यह पत्थर गिर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है इस पत्थर की चौड़ाई 5 मीटर और ऊंचाई 20 फीट है। साल 1908 में इस पत्थर पर मद्रास गवर्नर की नजर पड़ी तो गवर्नर को लगा कि यह पत्थर किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसलिए उन्होंने इस पत्थर को हटवाने के लिए सात हाथियों के सहारे से खिंचवा कर दूसरी जगह रखवाने की कोशिश की थी, पर यह पत्थर अपनी जगह से 1 इंच भी नहीं खिसका था। लोग इस पत्थर को कृष्ण की मक्खन गेंद भी कहते हैं, क्योंकि आस पास रहने वाले लोगों का मानना है कि यह पत्थर मक्खन की एक ऐसी गेंद है जिसे कृष्ण भगवान ने अपनी बाल्यावस्था में मक्खन खाते खाते नीचे गिरा दिया था, जो कि यहां पृथ्वी पर अटका हुआ है।

 यह सभी महाबलीपुरम की खूबसूरत मंदिर और कलाकृतियां हैं जिन्हें देखने अब फॉरेनर टूरिस्टर की संख्या बढ़ती जा रही है। इस साल माबलीपुरम को देखने डेढ़ लाख से भी अधिक टूरिस्ट यहां आए हैं।
 
Pro Kabaddi League 9 Schedule,  प्रो कबड्डी लीग सीजन 9  शेड्यूल
Pro Kabaddi League (PKL) 9 : 7 अक्टूबर से प्रो कबड्डी लीग के 9 वें सीजन की शुरुआत होने वाली है। यह खेल इस बार तीन अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाना है टूर्नामेंट की शुरुआत बेंगलुरु से होगी फिर इसका सफर पुणे और हैदराबाद भी जाएगा। पहले दिन ही 3 मुकाबले खेले जाएंगे। यूपी योद्धा 7 तारीख को ही पेहले मैच पर उतरेगी और ऐसे ही प्रो कबड्डी लीग की नौवीं सीजन की शुरुआत होगी। खेल के चाहने वाले दर्शकों को इस खेल का बेसब्री से इंतजार है। ऐसे में प्रो कबड्डी लीग का शेड्यूल जारी हो चुका है। आइए जानते हैं प्रो कबड्डी लीग के 12 टीम के बारे में और खेल के वैन्यू एवं शेड्यूल के बारे में विस्तार से-



प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) का पुरा विवरण

 
खेल का नाम      प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) 9
 कब से शुरू होने वाला है  7 अक्टूबर 2022 से शुरू
टीमों की संख्या   12 टीमें
होस्टिंग देश  भारत
 सर्वाधिक विजेता   पटना पाइरेट्स (3 खिताब के साथ)
वर्तमान चैंपियंस  दबंग दिल्ली
 स्थान  1. फेस 1: श्री कांतीरवा इंडोर स्टेडियम, बेंगलुरु
  2. फेस 2 : श्री शिवछत्रपति खेल परिसर, बालेवाड़ी, पुणे




प्रो कबड्डी टीम के नाम

 S.N   प्रो कबड्डी टीम के नाम                                       
1. बंगाल योद्धा
2. बेंगलुरु बुल्स
3. दबंग दिल्ली
4. गुजरात जायंट्स
5. हरियाणा स्टीलर्स
6. जयपुर पिंक पैंथर्स
7. पटना समुद्री डाकू
8. पुनेरी पलटन
9. तमिल थलाइवी
10 तेलुगु टाइटन्स
11 यू मुंबई
12 पी योद्धा





प्रो कबड्डी मैच के शेड्यूल

 
दिनांक  शेड्यूल समय
अक्टूबर 7 दबंग दिल्ली बनाम यू मुंबा   7:30 PM
अक्टूबर 7 बेंगलुरु बुल्स बनाम तेलुगु टाइटंस  8:30 PM 
अक्टूबर 7 जयपुर पिंक पैंथर्स बनाम यूपी योद्धा  9:30PM
अक्टूबर 8 पटना पाइरेट्स बनाम पुनेरी पलटन   7:30PM
अक्टूबर 8 गुजरात जायंट्स बनाम तमिल थलाइवाज  8:30 PM 
अक्टूबर 8 बंगाल वारियर्स बनाम हरियाणा स्टीलर्स  9:30 PM
  अक्टूबर9 जयपुर पिंक पैंथर्स बनाम पटना पाइरेट्स  7:30PM
 अक्टूबर9 तेलुगु टाइटंस बनाम बंगाल वॉरियर्स  8:30  PM
  अक्टूबर9 पुनेरी पलटन बनाम बेंगलुरु बुल्स   9:30 PM
अक्टूबर 10 यू मुंबा बनाम यूपी योद्धा   7:30PM
अक्टूबर 10 दबंग दिल्ली बनाम गुजरात जायंट्स 8:30  PM
 अक्टूबर11 हरियाणा स्टीलर्स बनाम तमिल थलाइवाज   7:30 PM
 अक्टूबर11 पटना पाइरेट्स बनाम तेलुगु टाइटंस 8:30PM
अक्टूबर 12 बेंगलुरु बुल्स बनाम बंगाल वॉरियर्स   7:30PM
अक्टूबर 12  यूपी योद्धा बनाम दबंग दिल्ली 8:30 PM
अक्टूबर14 तमिल थलाइवाज बनाम यू मुंबा   7:30 PM
अक्टूबर14 हरियाणा स्टीलर्स बनाम जयपुर पिंक पैंथर्स 8:30PM
अक्टूबर14 गुजरात जायंट्स बनाम पुनेरी पलटन   9:30 PM
अक्टूबर15 जयपुर पिंक पैंथर्स बनाम गुजरात जायंट्स   7:30PM
अक्टूबर15 तेलुगु टाइटंस बनाम दबंग दिल्ली 8:30PM
अक्टूबर15 बंगाल वॉरियर्स बनाम पटना पाइरेट्स  9:30 PM
अक्टूबर 16 पुनेरी पलटन बनाम यू मुंबा   7:30PM
अक्टूबर 16 यूपी योद्धा बनाम बेंगलुरु बुल्स 8:30 PM
अक्टूबर 17 तमिल थलाइवाज बनाम पटना पाइरेट्स   7:30 PM 
अक्टूबर 17 दबंग दिल्ली बनाम हरियाणा स्टीलर्स 8:30PM
अक्टूबर 18 बंगाल वारियर्स बनाम जयपुर पिंक पैंथर्स   7:30 PM
अक्टूबर 18 तेलुगु टाइटंस बनाम पुनेरी पलटन 8:30PM
अक्टूबर 19 गुजरात जायंट्स बनाम यूपी योद्धा   7:30 PM
अक्टूबर 19 बेंगलुरु बुल्स बनाम तमिल थलाइवाज 8:30 PM
अक्टूबर21 यू मुंबा बनाम हरियाणा स्टीलर्स   7:30 PM
अक्टूबर21 पुनेरी पलटन बनाम बंगाल वारियर्स 8:30 PM
अक्टूबर21 पटना पाइरेट्स बनाम दबंग दिल्ली   9:30 PM
अक्टूबर22 यू मुंबा बनाम बेंगलुरु बुल्स   7:30 PM
अक्टूबर22 जयपुर पिंक पैंथर्स बनाम तेलुगु टाइटंस  8:30PM
अक्टूबर22 हरियाणा स्टीलर्स बनाम गुजरात जायंट्स   9:30PM
अक्टूबर 23 बेंगलुरु बुल्स बनाम पटना पाइरेट्स   7:30 PM
अक्टूबर 23 यूपी योद्धा बनाम तमिल थलाइवाज 8:30 PM
अक्टूबर 25 पुनेरी पलटन बनाम जयपुर पिंक पैंथर्स   7:30 PM
अक्टूबर 25 तेलुगु टाइटन्स बनाम हरियाणा स्टीलर्स 8:30 PM
अक्टूबर26 गुजरात जायंट्स बनाम यू मुंबा   7:30PM
अक्टूबर26 दबंग दिल्ली बनाम बंगाल वारियर्स 8:30PM
अक्टूबर28 तमिल थलाइवाज बनाम जयपुर पिंक पैंथर्स   7:30 PM
अक्टूबर28 हरियाणा स्टीलर्स बनाम पुनेरी पलटन 8:30PM
अक्टूबर28 पटना पाइरेट्स बनाम यूपी योद्धा   9:30 PM
अक्टूबर29 बेंगलुरु बुल्स बनाम दबंग दिल्ली   7:30 PM
अक्टूबर29 तेलुगु टाइटन्स बनाम गुजरात जायंट्स 8:30 PM
अक्टूबर29 बंगाल वारियर्स बनाम यू मुंबा   9:30 PM
अक्टूबर30 जयपुर पिंक पैंथर्स बनाम बेंगलुरु बुल्स   7:30 PM
अक्टूबर30 तमिल थलाइवाज बनाम दबंग दिल्ली 8:30PM
अक्टूबर 31 गुजरात जायंट्स बनाम पटना पाइरेट्स   7:30PM
अक्टूबर31 यूपी योद्धा बनाम तेलुगु टाइटन्स 8:30 PM
नवंबर 1 पुनेरी पलटन बनाम दबंग दिल्ली   7:30 PM
नवंबर 1 हरियाणा स्टीलर्स बनाम बेंगलुरु बुल्स 8:30 PM
 नवंबर2 यू मुंबा बनाम तेलुगु टाइटंस   7:30 PM
 नवंबर2 बंगाल वारियर्स बनाम तमिल थलाइवाज 8:30 PM
नवंबर 4 पटना पाइरेट्स बनाम यू मुंबा   7:30 PM
नवंबर 4 दबंग दिल्ली बनाम जयपुर पिंक पैंथर्स 8:30 PM
नवंबर 4 यूपी योद्धा बनाम पुनेरी पलटन   9:30 PM
नवंबर 5 गुजरात जायंट्स बनाम बंगाल वॉरियर्स   7:30 PM
नवंबर 5 तमिल थलाइवाज बनाम तेलुगु टाइटन्स 8:30 PM
नवंबर 5 हरियाणा स्टीलर्स बनाम यूपी योद्धा   9:30 PM
नवंबर 6 बेंगलुरु बुल्स बनाम गुजरात जायंट्स   7:30 PM
नवंबर 6 पुनेरी पलटन बनाम तमिल थलाइवाज 8:30 PM
नवंबर 7 यू मुंबा बनाम जयपुर पिंक पैंथर्स   7:30 PM
नवंबर 7 पटना पाइरेट्स बनाम हरियाणा स्टीलर्स 8:30 PM
 नवंबर 8 बंगाल वारियर्स बनाम यूपी योद्धा  7:30 PM
 

 

Dussehra 2022, इन 10 जगहों पर होती है रावण की पुजा, नहीं होता रावण दहन

 
Dussehra 2022 : नवरात्रि के 9 दिन दुर्गा मां के पूजा अनुष्ठान और पर्व के बाद दसवें दिन यानी दशमी तिथि को विजयदशमी का पर्व पूरे भारत में जोरों शोरों से मनाया जाता है। विजयदशमी जिसे दशहरा का पर्व भी कहा जाता है, इस दिन के परंपरा के मुताबिक हर साल रावण के पुतले का दहन किया जाता है। इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में भले ही रावण को एक राक्षस एवं खलनायक के रूप में देखती है, लेकिन भारत में ही कुछ ऐसे स्थान भी है जहां रावण का दहन नहीं बल्कि उनका पूजन किया जाता है। आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में जहां पर विजयदशमी के दिन रावण का दहन नहीं बल्कि उनका पूजन किया जाता है।
 
1. मंदसौर - मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि मंदसौर का असली नाम दशपुर था और यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था, इसलिए इस शहर का नाम मंदसौर पड़ा। मंदसौर रावण का ससुराल था और यहां की बेटी से रावण शादी हुई थी इसलिए यहां के परंपरा के मुताबिक दमाद के सम्मान के चलते रावण के पुतले का दहन के बजाय उसकी पूजा की जाती है। मंदसौर के रूंडी में रावण की मूर्ति बनी हुई है। जिसकी पूजा की जाती है।
 
2. महाकाल की नगरी उज्जैन - मध्य प्रदेश के उज्जैन में ही एक गांव है जहां रावण का दहन नहीं किया जाता है, बल्कि रावण की पूजा की जाती है। यह उज्जैन जिले का चिखली गांव है यहां पर कहा जाता है कि रावण की पूजा नहीं करने पर पूरा गांव जलकर भस्म हो जाएगा, इस डर से ग्रामीण यहां रावण दहन करने के बजाय उनकी मूर्ति का पूजा करते हैं।
 
3. अमरावती - महाराष्ट्र में अमरावती में भी रावण को भगवान की तरह ही पूजा जाता है। यहां गढ़चिरौली नामक स्थान पर आदिवासी समुदाय रहते हैं जो रावण के मूर्ति का पूजन करते हैं। आदिवासियों का पर्व फाल्गुन रावण की खास तौर पर पूजा करके मनाया जाता है। यह आदिवासी समुदाय रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानते हैं।
 
4. बिसरख उत्तर प्रदेश के बिसरख नामक गांव में भी रावण का मंदिर बनाया गया है। जहां रावण की पूजा की जाती है और इस गांव का मानना है कि रावण का यह ननिहाल था। बिसरख का नाम पहले विश्वेशरा था जो कि रावण के नाम के पिता पर रखा गया था।
 
5. बैजनाथ हिमाचल प्रदेश में स्थित कांगड़ा जिले का यह कस्बा रावण के मूर्ति का पूजा करता है। यहां भी रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है। इस जगह पर रावण ने भगवान शिव की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें मोक्ष का वरदान दिया था। इसलिए शिव भक्त इस क्षेत्र में रावण दहन नहीं करते हैं।
 
6.  आंध्र प्रदेश के काकीनाडा नामक क्षेत्र मैं भी रावण का मंदिर बना हुआ है। जहां भगवान शिव के साथ रावण की पूजा की जाती है। काकीनाडा में मछुआरा समुदाय रावण की पूजा अर्चना करते हैं। रावण को लेकर यहां कुछ और भी विशेष मान्यताएं हैं।
 
7. जोधपुर राजस्थान के जोधपुर में भी रावण का मंदिर है और उनकी प्रतिमा की स्थापना की गई है। कुछ विशेष समाज के लोग यहां पर रावण की पूजन करते हैं और स्वयं को रावण के वंशज मानते हैं। इस स्थान को लेकर भी अलग-अलग मान्यताएं हैं कुछ लोगों का कहना है कि यह रावण का ससुराल भी है।
 
8. कर्नाटक - कर्नाटक के मंडला जिले में मालवल्ली तालुका नामक जगह पर रावण का मंदिर बनाया गया है जहां लोग रावण की पूजा करते हैं। कर्नाटक के कोलार में भी शिव भक्त रावण की पूजा करते हैं।
 
9. दक्षिण भारत में रावण को विशेष रूप से पूजा जाता है। दक्षिण भारत में यह माना जाता है कि रावण परम ज्ञानी, पंडित एवं महान शिव भक्त थे इसलिए दक्षिण भारत के कुछ स्थानों पर उनके इन्हीं विशेष गुणों के कारण उन्हें पूजा जाता है और रावण दहन को वे लोग दुर्गुणों का दहन मानते हैं।
 
10. उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर में भी दशहरे पर रावण की पूजा अर्चना की जाती है। जिसके बाद उसे मारकर टुकड़े टुकड़े किए जाते हैं फिर लोग रावण के टुकड़े को घर ले जाते हैं और 13 दिन रावण की तेरहवीं भी मनाई जाती है।

 

Dussehra 2022, दशहरा का पर्व क्यों मनाया जाता है, जाने इससे जुड़े तथ्यों के बारें में

 
Dussehra 2022 : हर साल अश्विन मास में 9 दिनों तक मां दुर्गा के नवरात्रि के पर्व के बाद दसवें दिन विजयदशमी यानी दशहरे का पर्व मनाया जाता है। हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरे का पर्व मनाया जाता है। इस साल दशहरा 5 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। देशभर में दशहरे का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।


दशहरा पर्व के पिछे दो पौराणिक कथा और फैक्ट है आइए जानते हैं

1. भगवान राम द्वारा रावण का वध


पौराणिक कथा के मुताबिक शारदीय नवरात्रि की शुरुआत श्री राम भगवान ने की थी। अश्विन मास में श्री राम जी ने मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की थी। यह बात तो सभी को पता है कि रावण ने भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान मां भगवती सीता का हरण कर लिया था। भगवान श्री राम ने माता सीता की खोज एवं अधर्मी रावण का नाश करने के लिए कई दिनों तक रावण के साथ युद्ध किया था। रावण से इस युद्ध के दौरान भगवान राम ने अश्विन मास के शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक मां भगवती दुर्गा की आराधना एवं पूजा की थी। इसके बाद मां भगवती दुर्गा ने भगवान राम को विजय होने के लिए आशीर्वाद दिया था। इसके बाद शारदीय नवरात्रि के 10वें दिन रावण का वध हुआ था। अपनी पत्नी सीता और दूसरे लोगों को रावण के अत्याचारों से मुक्त करवाया था। इसी परंपरा को हर साल शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और दशहरा के दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकरण को बुराई का प्रतीक मानकर उनके पुतले का दहन किया जाता है।


2. मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध

भगवान राम द्वारा रावण के वध की कथा सभी को पता है इसके अलावा एक और भी पौराणिक कथा है जिसमें महिषासुर और उनकी सेना, देवताओं को परेशान कर रहे थे। देवताओं को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्त करने के लिए मां दुर्गा ने लगातार नौ दिनों तक महिषासुर और उनकी सेना से युद्ध किया था। इस युद्ध के दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संघार कर इस युद्ध में विजय प्राप्त की थी। इसी वजह से इस दिन को विजयदशमी कहा जाता है और इस दिन को विजयदशमी के रूप में धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है। कहा जाता है कि शारदीय नवरात्रि के प्रतिपदा तिथि के दिन मां भगवती के नाम से की गई कलश स्थापना एवं मूर्ति और ज्वारों का विसर्जन भी दशहरा के दिन किया जाता है।
 
06-10-2022
 

WHO Alerts Against 4 Indian Cough Syrups, डब्ल्यूएचओ ने भारतीय निर्मित इन 4 कफ सिरप पर जारी किया अलर्ट

 
WHO Alerts Against 4 Indian Cough Syrups : वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन डब्ल्यूएचओ ने भारत के मेडन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा बनाए गए चार खांसी और कोल्ड के कफ सिरप पर एक मेडिकल उत्पाद अलर्ट जारी किया है। डब्ल्यूएचओ ने संभावित रूप से इन कफ सिरप को किडनी की गंभीर चोंटों और गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत से जोड़ा है। डब्ल्यूएचओ के हवाले से रायटर्स ने यह बताया है कि कंपनी और नियामक ऑफिसर के साथ आगे की जांच पड़ताल की जा रही है।

 

 

डब्ल्यूएचओ ने किया अलर्ट जारी

डब्ल्यूएचओ ने एक चिकित्सा उत्पाद अलर्ट में यह कहा है कि यह 4 कफ सिरप प्रोडक्ट में से सभी के नमूने का टेस्ट लैब में विश्लेषण पुष्टि करता है कि उनमें डायथिलीन ग्लाइकॉलऔर एथिलीन ग्लाइकॉल की अस्वीकार्य मात्रा है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेडरोस अदनहोम गेब्रेहेसुस ने यह कहा है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन गांबिया में पहचानी गई चार दूषित कफ सिरप के लिए एक चिकित्सा उत्पाद अलर्ट जारी किया है। जो किडनी की गंभीर चोट और बच्चों में 66 मौत से जुड़ी हुई हैं। इन 66 बच्चों की मौत से उनके परिवारों को काफी गहरा सदमा लगा है।

 

डब्ल्यूएचओ ने बाकी देशों को भी किया अलर्ट

 
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि भारत में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाई गई खांसी और कोल्ड के कफ सिरप से जुड़े मामले में WHO संबंधित कंपनी और भारत में नियामक प्राधिकरण के साथ इसके तहत जांच चल रही है। इन कफ सिरप से मृत्यु की खबर अब तक केवल गांबिया में ही पता चला है, हो सकता है कि इन कफ सिरप को दूसरे देशों में भी वितरित किया गया हो। डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों में मरीजों और उनके नुकसान को रोकने के लिए इन प्रोडक्ट के बारे में पता लगाने और उन्हें हटाने की सलाह दी है।
 

चार दूषित दवाओं के नाम क्या हैं

 
रिपोर्ट्स के मुताबिक इन चार दूषित दवाओं के नाम हैं,
1.प्रोमेथजाइन ओरल सॉल्युशन
2.कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप
3.मेकआफ बेबी कफ सिरप
4.मैगरिप एंड कोल्ड सिरप
 
 
 
Devendra Lal Memorial Medal 2022, देवेंद्र लाल मेमोरियल मेडल क्या है और इस साल यह किन्हें दिया जा रहा है
 
Devendra Lal Memorial Medal 2022 : देवेंद्र लाल मेमोरियल मेडल 2022 पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान आईआईटीएम के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने अमेरिकी भूभौतिकीय संघ (AGU) 2022 देवेंद्र लाल मेमोरियल मेडल हासिल किया है। रॉक्सी मैथ्यू कोल को पृथ्वी अंतरिक्ष विज्ञान में उनके बेस्ट रिसर्च के लिए चुना गया था। उन्हें AGU के फेलो के रूप में भी सम्मानित किया जाएगा। AGU  एक  non-profit ऑर्गेनाइजेशन है जो धरती और अंतरिक्ष विज्ञान में अपने सम्मान और मान्यता कार्यक्रम के हिस्से के रूप में हर साल चुने हुए व्यक्तियों की पहचान करता  


देवेंद्र लाल मेमोरियल मेडल रॉक्सी मैथ्यू को क्यों दिया जा रहा है 


रॉक्सी मैथ्यू ने दक्षिण एशिया और बड़े indo-pacific क्षेत्र के लिए विज्ञान, निगरानी, पूर्वानुमान और जलवायु परिवर्तन अनुमानों में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका रिसर्च मानसून की बाढ़, सूखे, चक्रवात और गर्मी की लहरों और समुद्री इकोसिस्टम पर क्लाइमेट चेंज के सिस्टम और प्रभावों में इनसाइट प्रोवाइड करता है। 

रॉक्सी मैथ्यू के करियर के बारे में


रॉक्सी मैथ्यू ने इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज आईपीसीसी से जलवायु परिवर्तन इवॉल्युएशन रिपोर्ट के लेखक के रूप में काम किया है। वह वर्तमान में यूनाइटेड नेशन CLIVAR  प्रोग्राम के तहत हिंद महासागर क्षेत्र पैनल की अध्यक्षता कर रहे हैं। हिंद महासागर जलवायु प्रणाली की निगरानी और अनुसंधान का समन्वय करता है। उनके वैज्ञानिक योगदान के आधार पर उन्हें स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा टॉप 2% वैज्ञानिकों के स्थान दिया गया है। कोल विज्ञान को समाज में लाने के लिए नागरिक विज्ञान नेटवर्क, स्थानीय सरकारों और मीडिया के साथ सक्रिय रुप से सहयोग कर रहे हैं।


 देवेंद्र लाल मेमोरियल मेडल क्या है 


इस पदक का नाम एक विशिष्ट भूभौतिकीविद्प्रोफेसर देवेंद्र लाल के सम्मान में रखा गया है, जिनके काम ने पृथ्वी और अंतरिक्ष विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है। देवेंद्र लाल इस आयोजन को स्थापित करने और विकसित करने में अपनी भूमिका के लिए जाने जाते हैं, जिसने पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाली कॉस्मिक किरणों का उपयोग पृथ्वी विज्ञान की समस्याओं की एक विस्तृत सीरीज़ की जांच करने के लिए ट्रेसर के रूप में किया जाता है। 

 

India Largest Producer of Sugar, भारत ने चीनी उद्योग के क्षेत्र में की बड़ी उपलब्धि हासिल, जाने कितने का हुआ मुनाफा 

India Largest Producer of Sugar : भारत का चीनी निर्यात सितंबर में मार्केटिंग ईयर 2021-22 के समाप्ति के दौरान संता 57% बढ़कर 109.8 लाख टन हो गया है। चीनी मार्केटिंग ईयर अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। निर्यात के बढ़ने से देश में लगभग 40,000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा का आगमन हुआ है। खाद्य मंत्रालय ने बुधवार को चीनी निर्यात को लेकर जानकारी दी है।

भारत बना चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक 


किसानों के गन्ना बकाया मार्केटिंग ईयर 2021 - 22 अक्टूबर से सितंबर के अंत में 6,000 करोड़ रुपए का था। चीनी कारखाना 1.18 लाख करोड़ रुपए की कुल देय राशि में से किसानों को पहले ही 1.12 लाख करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी हैं। खाद्य मंत्रालय ने यह कहा है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े चीनी के उत्पादक के रूप में उभर कर सामने आया है। देश चीनी के उपभोक्ता होने के साथ-साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यात भी बन गया है।

 5000 लाख टन से अधिक गन्ने का उत्पादन किया गया था


देश में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान रिकॉर्ड के अनुसार 5000 लाख टन से ज्यादा गन्ने का प्रोडक्शन किया गया था, जिसमें से लगभग 3,574 लाख टन चीनी कारखानों द्वारा गन्ने की पेराई का लगभग 394 लाख टन चीनी का प्रोडक्शन किया गया था। जिसमें से एथनॉल तैयार करने के लिए 35 लाख टन चीनी का इस्तेमाल किया गया और चीनी कारखानों द्वारा 359 लाख टन चीनी का प्रोडक्शन किया गया।

 चीनी निर्यात के रूप में उभरा भारत 


खाद्य मंत्रालय ने अपने बयान में यह कहा है कि यह सत्र भारतीय चीनी उद्योग के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हुआ है। गन्ना उत्पादन, चीनी उत्पादन, चीनी निर्यात, गन्ना की खरीदी, गन्ना बकाया भुगतान और एथेनॉल के प्रोडक्शन के सभी रिकॉर्ड को इस सीजन के दौरान बनाए गए हैं। इस दौरान भारत सरकार ने बिना किसी फाइनेंशियल हेल्प के लगभग 109.8 रन का हाईएस्ट निर्यात भी हासिल किया है।

भारत के चीनी एक्सपोर्ट रिपोर्ट


 भारत का चीनी एक्सपोर्ट मार्केटिंग ईयर
2021-2022 में 109.8 लाख टन।
 2020-2021 में 70 लाख टन। 
2019-2020 में 59 लाख टन था। 
2018-2019 में 38 लाख टन था।

सरकारी हस्तक्षेप ने बदली देश में चीनी इंजस्ट्री की स्थिति 


खाद्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले 5 सालों में इस क्षेत्र को फाइनेनशियल संकट से बाहर निकाला है। मंत्रालय ने कहा है कि सहायक अंतरराष्ट्रीय कीमतों और भारत सरकार की नीति ने भारतीय चीनी इंडस्ट्री के इस उपलब्धि को हासिल किया है। इन एक्सपोर्ट से देश में लगभग 40 हजार करोड़ रुपए का विदेशी मुद्रा हासिल किया गया है। मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक नए सीजन में चीनी को एथेनॉल में बदलने की उम्मीद 35,000 हजार टन से बढ़ाकर 50,000 हजार टन की रखी गई है। जिससे चीनी इंडस्ट्री को लगभग 25000 करोड़ रुपए का रेवेन्यू प्राप्त होगा।

 

Post Devolution Revenue Deficit, पोस्ट डिवोल्यूशन रेवेन्यू डेफिसिट की 7वीं मासिक किस्त जारी की गई है

 

Post Devolution Revenue Deficit : एक्सपेंडिचर डिपार्टमेंट, वित्त मंत्रालय में 14 राज्यों को 7183.42 करोड़ रुपए की पोस्ट डिवोल्यूशन रेवेन्यू डेफिसिट (PDRD) ग्रांट की 7वीं मासिक किस्त जारी की है। यह ग्रांट 15 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक जारी किया जा रहा है। 15 वें वित्त आयोग ने रुपए के कुल पोस्ट ट्रांसफर राजस्व घाटा ग्रांट की सिफारिश की है। फाइनेंशियल ईयर 2022 2023 के लिए 14 राज्यों को 86201 करोड़ अनुशंसित ग्रांट 12 सामान मासिक किश्तों में अनुशंसित राज्यों को व्यय विभाग द्वारा जारी किया जाता है। अक्टूबर 2022 महीने के लिए सातवीं किस्त जारी होने के साथ ही 2022 - 2023 में राज्यों को जारी राजस्व घाटा अनुदान की कुल राशि बढ़ाकर 50,282.92 करोड़ रुपए की गई  ।
 

भारतीय संविधान के अनुसार राजस्व घाटा अनुदान के बारे में


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 275 के अंतर्गत राज्यों को ट्रांसफर के बाद राजस्व घाटा अनुदान प्रोवाइड किया जाता है। राज्यों के रेवेन्यू अकाउंट में अंतर को पूरा करने के लिए क्रमिक फाइनेंशियल आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्यों को ग्रांट जारी किया जाता है। इस ग्रांट को पाने के लिए राज्यों की पात्रता और साल 2020 - 2021 से 2025-2026 तक की अवधि के लिए ग्रांट की मात्रा निर्धारण 15 वें वित्त आयोग द्वारा राज्य के रेवेन्यू और आकलन के बीच के अंतराल के आधार पर तय किया जाता  है।


किन राज्यों को राजस्व घाटा अनुदान की सिफारिश की गई है


15 वें वित्त आयोग द्वारा साल 2022 के दौरान जिन राज्यों को ट्रांसफर के बाद राजस्व घाटा अनुदान की सिफारिश की गई है उन राज्यों में शामिल हैं- आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, उत्तराखंड, और पश्चिम बंगाल है।  

साल 2022-23 के लिए अनुशंसित पोस्ट डिवोल्यूशन रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट का राज्यवार विवरण और राज्यों के रूप में जारी की गई इस प्रकार से हैं।

(करोड़ रुपये में)
S.N    राज्यों के नाम               अक्टूबर, 2022  की 7 वीं किस्त जारी 2022-23 के दौरान राज्यों को कुल पीडीआरडीजी जारी किया गया  
1.  त्रिपुरा  368.58 2580.08
2. आंध्र प्रदेश 879.08 6153.58
3. असम 407.50 2852.50
4. हिमाचल प्रदेश 781.42 5469.92
5. केरल 1097.83 7684.83
6. मणिपुर 192.50 1347.50
7. मेघालय 86.08 602.58
8. मिजोरम 134.58  942.08
9. नागालैंड 377.50 2642.50
10. पंजाब 689.50 4826.50
11. राजस्थान  405.17  2836.17
12. सिक्किम  36.67  256.67
13. उत्तराखंड 594.75  4163.25
14. पश्चिम बंगाल  1132.25  7925.75
 

 

World Cotton Day 2022, विश्व कपास दिवस का इतिहास, महत्व और उद्देश्य क्या है

World Cotton Day 2022 : हर साल 7 अक्टूबर को विश्व कपास दिवस मनाया जाता है। विश्व कपास दिवस का आयोजन सबसे पहले साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य संगठन, अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति द्वारा किया गया था। जिसके बाद से हर साल यह दिन मनाया जाता है। पुराने समय में कॉटन के कपड़ों से लेकर कपास से बहुत सी चीजें बनाकर इस्तेमाल किया जाता था। कॉटन का प्रोडक्शन ना केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर में बड़े पैमाने पर किया जाता है, एवं कॉटन से हर साल बहुत से जरूरतमंद व्यक्तियों को रोजगार मिलता है और उनके आय के लिए एक जरिया बनता है। विश्व कपास दिवस मनाने का उद्देश्य कॉटन के उत्पादन और कॉटन इकोनॉमी की चुनौतियों को दुनिया के सामने लाना और इसके सही परिणाम तक पहुंचना है। साथ ही कॉटन से जुड़े व्यवसाय, किसान और लोगों को सम्मानित करना है। आइए जानते हैं विश्व कपास दिवस का महत्व और उद्देश्य क्या है।


 विश्व कपास दिवस का इतिहास 


दुनिया भर में कॉटन की खेती की जाती है, क्योंकि कॉटन  फाइबर कपड़ों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा कई सारे खाद्य प्रोडक्ट बनाने के लिए भी कॉटन का इस्तेमाल किया जाता है। कपास के महत्व को समझते हुए साल 2019 में नेचुरल फाइबर कपास के उत्पादन, व्यापार और लाभ को देखते हुए इसके प्रोडक्शन में बढ़ावा देने के लिए 7 अक्टूबर को विश्व कपास दिवस या वर्ल्ड कॉटन डे के तौर पर मनाने के लिए घोषित किया गया था।


विश्व कपास दिवस का महत्व क्या है 


विश्व कपास दिवस पूरी दुनिया में हर साल 7 अक्टूबर को मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिसमें कॉटन के उत्पादन और इससे जुड़े सभी गतिविधियों से संबंधित रिसर्च, किसान और बड़े व्यवसायी को सम्मानित किया जाता है। 

विश्व कपास दिवस का उद्देश्य क्या है 


विश्व कपास दिवस का मुख्य उद्देश्य कपास के उत्पादन के लिए सभी हितकारी परिवर्तन करना और इससे जुड़े व्यापार को जरूरी मान्यता देना है। कॉटन प्रोडक्शन की तकनीकों को डेवलप करना और बढ़ावा देना, साथ ही ज्यादा प्रोडक्शन करना है। कॉटन से जुड़े सभी लोगों को एक साथ जोड़ना है। कॉटन के प्रोडक्शन या इससे जुड़े उद्योगों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना है। कॉटन के क्षेत्र में जरूरतमंदों को रोजगार उपलब्ध करवाना है।
 
07-10-2022

Lok Adalat, लोक अदालत कब और क्यों आयोजित किए जाएंगे

 
Lok Adalat :12 नवंबर को देश भर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा उपभोक्ता मंत्रालय ने  लंबित उपभोक्ता वादों को निपटाने के लिए 12 नवंबर को मामलों को राष्ट्रीय लोक अदालत में भेजेगी,मंत्रालय ने एक ऑफिशियल बयान में यह कहा है कि आपसी सहमति के माध्यम से लंबित उपभोक्ता वादों के निपटान के लिए 12 नवंबर को देश भर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। अदालत के माध्यम से बड़ी संख्या में लंबित वादों का निपटान किया जाएगा। इस अदालत के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है और सभी उपभोक्ताओं को उन सभी मामलों की पहचान करने और लिस्ट तैयार करने के लिए सूचित किया गया है, जहां अदालत के माध्यम से निपटान की संभावना है और जिन्हें लोक अदालत में भेजा जा सकता है। प्रेस रिलीज के माध्यम से मंत्रालय ने बताया है कि लोक अदालत प्रणाली के लाभ और पार्टियों के बीच आपसी समझौते को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में उपभोक्ता मामलों का निपटारा किया जाएगा।


 उपभोक्ताओं के 200 मामले पेंडिंग 


मंत्रालय ने कहा है कि अधिकतम आउटरीच और कंजूमर को लाभान्वित करने के लिए विभाग एसएमएस और ईमेल के माध्यम से consumer कंपनी और ऑर्गेनाइजेशन तक पहुंच रहा है। डिपार्टमेंट के पास तीन लाख पार्टियों के फोन नंबर और ईमेल है जिन के मामले आयोग में पेंडिंग है। इसके अलावा कंज्यूमर आयोग के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गई है, जिसमें 200 से अधिक लंबित केस हैं। यह एक अलग लिंक बना रहे हैं और सभी हितधारकों के बीच प्रसारित किया जा रहा है। इससे वे अपने लंबित केस नंबर और कमीशन दर्ज कर सकते हैं। जहां पर मामला लंबित है और मामले को आसानी से लोक अदालत में लिंक ईमेल और एसएमएस के माध्यम है प्रसारित किया जाएगा। 

पेनडिंग मामलों के आंकड़े क्या है 


ऑफिशियल आंकड़ों की माने तो लगभग 1.7 लाख बीमा कंपनियों से संबंधित है और 71,379 शिकायतें बैंक के खिलाफ पेंडिंग है। बिजली क्षेत्र से संबंधित शिकायतों की कुल संख्या लगभग 34000 है। ऑफिसर ने बताया है कि विभाग में मामले की जांच कर रहा है, आने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से मामला निपटाने की तैयारी की जा रही है। देश में करीब 6 लाख से अधिक मामले पेंडिंग देश में करीब 6,07,996 मामले पेंडिंग है। एनडीआरसी में करीब 22250 मामले पेंडिंग हैं। उत्तर प्रदेश के मामलों की बात करें तो 28318 मामले पेंडिंग हैं महाराष्ट्र में 18093 केसेस लंबित हैं। दिल्ली में 10319 मामले पेंडिंग है वही मध्यप्रदेश में 9,615 पेंडिंग केस हैं।
 
 
 
 
 

SBI Foundation Gram Seva Program, ग्राम सेवा कार्यक्रम क्या है जाने विस्तार से

 
SBI Foundation Gram Seva Program : भारतीय स्टेट बैंक ने भारत के 6 राज्यों में एसबीआई फाउंडेशन के ग्राम सेवा प्रोग्राम की शुरुआत की है। इस साल गांधी जयंती के अवसर पर भारतीय स्टेट बैंक ने यह घोषणा की है कि वह एसबीआई ग्राम सेवा कार्यक्रम के चौथे चरण के तहत पूरे भारत में 30 दूरदराज गांवों को एडॉप्ट करेगा। एसबीआई बैंक, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के आकांक्षी जिलों के दूरदराज के गांवों को एडॉप्ट करेगा।


 एसबीआई फाउंडेशन के ग्राम सेवा कार्यक्रम से जुड़े मुख्य बिंदु


1.ग्राम सेवा कार्यक्रम बैंक के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत शुरू किया गया था।
2.ग्राम सेवा कार्यक्रम शिक्षा, स्वास्थ्य, देखभाल, आजीविका और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हस्तक्षेप द्वारा गांव के व्यापक डेवलपमेंट पर जोर देगा।
3.अब तक इस कार्यक्रम के अंतर्गत 16 राज्यों के 100 गांवों को तीन चरणों में एडॉप्ट किया गया है।
4.ग्राम सेवा एसबीआई फाउंडेशन के प्रमुख सीएसआर कार्यक्रम में से एक है।
5.ग्राम सेवा कार्यक्रम का विस्तार कुल 130 गांव तक होगा, जिनमें से 75 गांव आकांक्षी जिलों से हैं। 
6.एसबीआई फाउंडेशन ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, स्थिरता, पर्यावरण, आजीविका, कौशल विकास आदि क्षेत्रों पर काम कर रहा है।
7. एसबीआई सीएसई योजनाएं देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई है।
 

Indian Air Force Day 2022, भारतीय वायु सेना दिवस का महत्व और इतिहास क्या है

 
Indian Air Force Day 2022 : हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायु सेना दिवस मनाया जाता है। भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित हिंडन वायु सेना स्टेशन एशिया का सबसे बड़ा वायु सेना स्टेशन है। भारतीय वायु सेना के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक यह अपने आदर्श वाक्य नभः स्पृशं दीप्तम् के मार्ग पर ही चल रहा है, इस संस्कृत शब्द का अर्थ है गर्व के साथ आकाश को छूना। वायु सेना की इस वाक्य को भगवत गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है। भारतीय वायु सेना का रंग नीला, आसमानी नीला और सफेद है।


 भारतीय वायु सेना दिवस कब मनाया जाता है  


हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायु सेना दिवस मनाया जाता है। इस दिन गाजियाबाद के हिंडन वायुसेना स्टेशन पर वायु सेना के लिए कार्यक्रम आयोजन किया जाता है। जिसमें सेना के अधिकारी समेत अन्य दिग्गज शामिल होते हैं और आसमान में वायु सेना द्वारा विमानों का प्रदर्शन किया जाता है। 


भारतीय वायु सेना का इतिहास क्या है 


भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले भारतीय वायु सेना की स्थापना हो गई थी। 8 अक्टूबर 1932 को ब्रिटेन के शासन के अधीन अविभाजित भारत में वायु सेना की स्थापना हुई थी। भारत की वायु सेना दूसरे विश्व युद्ध में शामिल हुई थी। जिसके लिए किंग जॉर्ज ने सेना को रॉयल प्रीफिक्स से नवाजा था। देश की आजादी के बाद जब भारत गणतंत्र राष्ट्र बना तो प्रीफिक्स को हटा दिया गया।

 वायु सेना दिवस कैसे मनाया जाता है


 हिंडेन सेना स्टेशन में इस दिन पुरुष और महिला पायलट की परेड आयोजित की जाती है। इस समारोह में वायु सेना के प्रमुख सैन्य कर्मियों को मेडल से सम्मानित किया जाता है। इस साल पहली बार यह कार्यक्रम चंडीगढ़ में आयोजित हो रहा है, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल होंगी।

 भारतीय वायु सेना की ताकत क्या है 


भारत की आजादी के बाद से अब तक भारतीय वायु सेना कुल 5 युद्ध लड़ चुकी है। जिसमें से 4 युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच में हुई है और एक चीन के खिलाफ हुई है। पाकिस्तान के खिलाफ 1948, 1965, 1971 और 1999 में भारतीय वायु सेना युद्ध में शामिल हुई थी। चीन के साथ 1962 युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन बालाकोट एयर स्ट्राइक, जैसे बड़ो ऑपरेशंन में भारतीय वायु सेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
 
 

 

 

Indian Air Force Fly Past, इस एयरफोर्स डे पर फ्लाई पास्ट कहां आयोजित होंगे, जाने इसके बारे में विस्तार से

Indian Air Force Fly Past, इस साल साल 2022 में भारतीय वायु सेना अपना 90 वां वायुसेना दिवस मनाने जा रहा है। वायुसेना के अब तक के इतिहास में यह पहली बार हुआ है  कि एयर फोर्स डे दिल्ली से बाहर चंडीगढ़ में मनाया जाएगा। इसके साथ ही पहली बार किसी एयर बेस से बाहर चंडीगढ़ की प्रसिद्ध सुकना लेक के आकाश में वायु सेना की ताकत का नजारा देखने को मिलेगा। इस कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कमांडर और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद होंगे। शनिवार की सुबह चंडीगढ़ एयर बेस पर परेड का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीआर चौधरी परेड की सलामी लेंगे और वायु सैनिक को संबोधित करेंगे। इस दौरान एयर बेस पर हेलीकॉप्टर की दो फॉरमेशन की फ्लाई पास्ट भी होगी, इसके अलावा वायु सेना को वीरता मेडल से भी सम्मानित किया जाएगा। वायु सेनाअध्यक्ष इस दौरान एयरफोर्स की नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म भी जारी करने वाले हैं जैसा कि इस साल थल सेना दिवस पर सेना की नई वर्दी जारी की गई।
फ्लाईपास्ट कहां आयोजित की जा रही है 
अभी तक वायु सेना दिवस की परेड और फ्लाई पास्ट दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस पर आयोजित की जाती थी। हिंडन एयरबेस पर परेड फ्लाईपास्ट दोनों एक साथ आयोजित होते थे, लेकिन इस साल फ्लाईपास्ट दिल्ली से बाहर करने का फैसला लिया गया है इस साल फ्लाईपास्ट चंडीगढ़ सुखना लेक पर आयोजित किया जाएगा। इस दौरान वायुसेना प्रमुख के साथ द्रौपदी मुर्मू और राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे। दोपहर 2:45 से शुरू होकर 4:44 तक यह कार्यक्रम चलेगा।
वायु सेना के कौन-कौन से उपकरण फ्लाईपास्ट में भाग लेंगे

वायु सेना के अनुसार इस साल 75 एयरक्राफ्ट फ्लाईपास्ट में भाग लेंगे, जबकि 9 विमानों को स्टैंड-बाय पर रखा जाएगा, मतलब कुल मिलाकर 84 फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर और मिलिट्री ट्रांसपोर्ट विमान सुकना लेक के आसमान में उड़ेंगे। राफेल लड़ाकू विमानों से लेकर पहली बार हिस्सा लेने वाले स्वदेशी लाइट कॉन्बैट हेलीकॉप्टर प्रचंड भी शामिल होंगे। यह सभी विमान देश के अलग अलग एयर बेस से चंडीगढ़ तक पहुंचेंगे।
 
वायुसेना दिवस में फ्लाई पास्ट के मुख्य आकर्षण


लड़ाकू विमानों की संख्या 50 
हेलीकॉप्टर 24
ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट 08
विंटेज विमान 02

10 Facts Related to Indian Air Force, भारतीय वायु सेना से जुड़े 10 महत्वपूर्ण फैक्ट

 

10 Facts Related to Indian Air Force : भारतीय वायु सेना भारतीय सशस्त्र सेना का एक महत्वपूर्ण अंग है। भारतीय वायु सेना वायु युद्ध वायु सुरक्षा और वायु चौकसी का महत्व पूर्ण कार्य देश की सुरक्षा के लिए करता है। इसकी स्थापना 8 अक्टूबर 1932 में हुई थी इस कारण हर साल 8 अक्टूबर को एयर फोर्स डे मनाया जाता है। भारतीय एयरफोर्स दुनिया की चौथी सबसे बड़ी एयरफोर्स है, आइए जानते हैं भारतीय वायु सेना से जुड़े कुछ रोचक तथ्य 
भारतीय वायु सेना से जुड़े कुछ रोचक तथ्य 


1. साल 1950 के पहले भारतीय वायु सेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स के नाम से जाना जाता था। 1950 में इसके नाम से रॉयल शब्द हटाकर इंडियन एयर फोर्स कर दिया गया था।
2. 1947 भारत के आजादी के बाद से ही भारतीय वायु सेना पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ चार युद्ध एवं चीन के साथ एक युद्ध में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी है।
3. भारतीय वायु सेना ने कई बड़ी मिशन को अंजाम दिए हैं, जिसमें से महत्वपूर्ण ऑपरेशन इस प्रकार हैं ऑपरेशन विजय - गोवा का अधिग्रहण, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन पुमलाई शामिल हैं।
4.भारतीय वायु सेना संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का भी हिस्सा रह चुकी है।
5. भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायु सेना के कमांडर इन चीफ के रूप में काम करते हैं।
6. साल 2006 के आंकड़ों के मुताबिक वायु सेना में 1,70,000 और 1,350 लड़ाकू विमान शामिल हैं जो भारत को दुनिया भर में चौथी सबसे बड़ी वायु सेना होने का दर्जा देती है।
7. मार्शल भारतीय वायु सेना की हासिल की जाने वाली सबसे बड़ी उपाधि है। भारत में एकमात्र वायु सेना ऑप्शन है जिन्हें मार्शल की उपाधि दी गई।
8. भारतीय वायु सेना की छवि को अच्छी और इसे फाइटर बनाने के पीछे भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ एयर मार्शल सर थॉमस वाकर इल्महर्स्ट भारतीय वायु सेना का बहुत बड़ा योगदान है।
9. एयर सर थॉमस वाकर इंडियन एयर फोर्स के पहले commander-in-chief थे। भारतीय वायु सेना का आदर्श वाक्य है नभः स्पृशं दीप्तम् हिंदु शास्त्र गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है, यह श्लोक महाभारत के महा युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र की भूमि में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश में यह वाक्य कहा था।
10 एयर मार्शल सर सुब्रतो मुखर्जी वायु सेना के पहले भारतीय चीफ ऑफिस स्टाफ थे।

 

08-10-2022

Munshi Premchand Biography, मुंशी प्रेमचंद्र जी के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से

Munshi Premchand Biography : मुंशी प्रेमचंद्र हिंदी भाषा के महान कवि थे जो एक ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी थे। जिन्होंने हिंदी विषय की कायापलट कर दी थी। मुंशी प्रेमचंद जी एक ऐसे लेखक थे जो समय के साथ बदलते गए और हिंदी साहित्य को एक नया आधुनिक रूप दिया। मुंशी प्रेमचंद ने सरल सहज हिंदी को ऐसा साहित्यिक रूप प्रदान किया जिसे लोग कभी भूल नहीं सकते। बहुत कठिनाइयों का सामना करते हुए भी प्रेमचंद ने हिंदी जैसे खूबसूरत विषय में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। मुंशी प्रेमचंद हिंदी के लेखक ही नहीं बल्कि एक महान साहित्यकार, नाटककार, उपन्यासकार जैसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे।
प्रारंभिक जीवन

मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस के एक छोटे से गांव लमही में हुई थी। जहां प्रेमचंद जी का जन्म हुआ था। मुंशी प्रेमचंद बहुत सामान्य परिवार से थे उनके दादाजी गुरु सहाय राय जो कि पटवारी थे और पिता अजायब राय एक पोस्ट मास्टर थे। बचपन से ही इनका जीवन बहुत संघर्षों से गुजरा था जब मुंशी प्रेमचंद जी मात्र 8 साल के थे तब उनकी मां का निधन हो गया था। बहुत कम उम्र में मां के देहांत हो जाने से प्रेमचंद जी को बचपन से ही माता-पिता का प्रेम नहीं मिल पाया था। सरकारी नौकरी के चलते पिताजी का ट्रांसफर गोरखपुर हो गया था और कुछ समय बाद पिताजी ने दूसरा विवाह कर लिया था। सौतेली मां ने भी प्रेमचंद जी को पूरी तरह से नहीं अपनाया जिसके चलते उन्हें बचपन में सामान्य बच्चों की तरह मां बाप का लाड प्यार नहीं मिल पाया था। ऐसे में उनका बचपन से ही हिंदी की तरफ एक अलग ही लगाव था, जिसके लिए उन्होंने मेहनत करना प्रारंभ किया और छोटे-छोटे उपन्यासों से शुरुआत की। अपनी रुचि के मुताबिक छोटे-छोटे उपन्यास पढ़ा करते थे। पढ़ने की इसी रुचि के साथ उन्होंने एक पुस्तकों के थोक व्यापारी के यहां पर नौकरी करना प्रारंभ किया, जिससे वे पुस्तक पढ़ने के इस शौक को पूरा करते थे। प्रेमचंद जी बहुत ही सरल और सहज स्वभाव के दयालु व्यक्ति थे। घर की आर्थिक तंगी दूर करने के लिए इन्होंने वकील के यहां ₹5 वेतन पर नौकरी की, धीरे-धीरे उन्होंने खुद को हर विषय में अपने आप को पारंगत किया। जिसका फायदा उन्हें आगे जाकर एक अच्छी नौकरी के रूप में मिला। उन्हें एक मिशनरी विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में अप्वॉइंट किए गया। हर तरह के संघर्ष उन्होंने हंसते हुए अपनाएं और 8 अक्टूबर 1936 को अपनी अंतिम सांस ली।

 मुंशी प्रेमचंद जी की शिक्षा 

प्रेमचंद जी की प्रारंभिक शिक्षा 7 साल की छोटी उम्र से ही अपने गांव लमही के एक छोटे से मदरसा से शुरू हुई थी। मदरसा में रहकर उन्होंने हिंदी के साथ उर्दू व थोड़ा बहुत अंग्रेजी भाषा सीखा था। ऐसे करते हुए धीरे-धीरे स्वयं के दम पर उन्होंने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाया और स्नातक तक की पढ़ाई के लिए बनारस के कॉलेज में एडमिशन लिया। पैसे की कमी के चलते अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी, बड़ी कठिनाइयों का सामना करते हुए मैट्रिक तक की पढ़ाई पास की लेकिन जीवन के किसी पड़ाव पर हार नहीं मानी। 1919 में फिर से अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए बीए की डिग्री ली।
 मुंशी प्रेमचंद जी का विवाह एवं परिवार 

प्रेम चंद जी बचपन से ही किस्मत की लड़ाई से लड़ रहे थे कभी उन्हें परिवार का लाड प्यार और दुलार नहीं मिला। पुराने रिवाजों के चलते पिताजी के दबाव में आकर 15 साल की बहुत कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी। प्रेमचंद जी का विवाह उनकी मर्जी के खिलाफ एक ऐसी लड़की से हुआ था जो स्वभाव से बहुत झगड़ालू प्रवृत्ति की थी और पिताजी ने लड़की के अमीर परिवार की लड़की देख कर उनका विवाह कर दिया था। थोड़े समय में पिताजी की मृत्यु हो गई जिसके बाद पूरा परिवार का भार प्रेमचंद जी के सर आ गया। ऐसे में एक समय ऐसा आया कि उनको नौकरी के बाद भी जरूरत के समय अपनी बहुमूल्य वस्तुओं को बेच कर घर चलाना पड़ा। बहुत कम उम्र में ही गृहस्थी का सारा बोझ प्रेमचंद जी के सर आ गयाय़ प्रेमचंद जी की अपनी पहली पत्नी से बिल्कुल भी नहीं बनी जिसके चलते उनका तलाक हो गया और कुछ समय गुजरने के बाद प्रेमचंद जी ने अपनी पसंद से लगभग 25 साल की एक विधवा स्त्री से दूसरा विवाह किया, जो की बहुत संपन्न रहा। इस विवाह के बाद इन्हें अपने जीवन में बहुत तरक्की मिलती गई।
 मुंशी प्रेमचंद जी की कार्यशैली  

प्रेमचंद जी अपने कार्यों को लेकर बचपन से ही सक्रिय रहते थे। बहुत कठिनाइयों और गरीबी के बावजूद भी उन्होंने अपने अंत समय तक हार नहीं मानी और कुछ ना कुछ करते रहे। हिंदी नहीं उर्दू में भी उन्होंने अपनी अमूल्य लेख छोड़ी है। लमही गांव छोड़ने के बाद कम से कम 4 साल तक वे कानपुर में रहे और वहीं रहकर एक पत्रिका के संपादक से मुलाकात कर कई लेख और कहानियां प्रकाशित करवाई। प्रेमचंद जी ने स्वतंत्रता आंदोलन के लिए भी कई कविताएं लिखी है। धीरे-धीरे उन्होंने उनकी कहानियों कविताओं और लेख को लोगों की तरफ से बहुत सराहना मिला, जिसकी चलते उनकी पदोन्नति हुई और गोरखपुर में उनका ट्रांसफर हुआ। यह भी लगातार एक के बाद एक प्रकाशन आते रहे। इस बीच प्रेमचंद जी ने महात्मा गांधी के आंदोलन में भी उनका साथ दिया था। 1921 में अपनी पत्नी से सलाह देने के बाद बनारस आकर सरकारी नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया और अपनी रूचि के अनुसार लेखन पर ध्यान दिया। एक समय के बाद अपनी लेखन रुचि में नए बदलाव लाने के लिए इन्होंने अपनी किस्मत को सिनेमा जगत में अपनाने के लिए ट्राई किया और मुंबई पहुंच गए। इसके साथ ही उन्होंने कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी लेकिन किस्मत ने यहां इनका साथ नहीं दिया और वह फिल्म पूरी नहीं बन पाई, जिससे प्रेमचंद जी को काफी नुकसान हुआ और उन्हें मुंबई छोड़कर वापस आने का निर्णय लिया।
 प्रेमचंद जी के रचनाओं के नाम 


मुंशी प्रेमचंद जी की सभी रचनाएं प्रमुख थी किसी को भी अलग नहीं कह सकते, उन्होंने हर तरह की अनेक लेख और रचनाएं लिखी है, बचपन से ही हिंदी में उनके लेखों को पढ़ते आए हैं उन्होंने कई उपन्यास, नाटक, कविताएं, कहानियां और हिंदी के लिए अनेक लेख लिखे हैं, जैसे गोदान, गबन कफ़न आदि इनकी महान रचनाओं में से एक है।  

 

 

 

World Postal Day 2022 : हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है। डाक सेवाओं की उपयोगिता और इसकी संभावनाओं के महत्व को देखते हुए हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस, यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की ओर से मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य डाक ग्राहकों के बीच डाक विभाग के प्रोडक्ट के बारे में जानकारी देना, उन्हें जागरूक करना और ग्राहकों एवं
डाकघरों के बीच सामंजस स्थापित करना है।

 

World Postal Day 2022, विश्व डाक दिवस का इतिहास और महत्व क्या है

 


 विश्व डाक दिवस का इतिहास क्या है 


सभी देशों के बीच पत्रों का आवागमन सरल रूप से हो सके इसे ध्यान में रखते हुए 1874 को जनरल पोस्टल यूनियन के गठन के लिए बर्न स्विट्जरलैंड में 22 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किया था। इस गठन के बाद हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में मनाना शुरू हुआ। यह संधि 1 जुलाई 1875 को अस्तित्व में आई थी। 1 अप्रैल 18 सो 79 को जनरल पोस्टल यूनियन का नाम बदलकर यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन रखा गया था। यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना वैश्विक संचार क्रांति की शुरुआत थी।


 भारत में डाक सेवा की इतिहास


1 जुलाई 1876 को भारत यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था। सदस्यता लेने वाला भारत पहला एशियाई देश था। भारत में डाक सेवाओं का इतिहास बहुत पुराना है, भारत में डाक सेवा की एक विभाग के रूप में स्थापना 1 अक्टूबर 1854 को लॉर्ड डलहौजी के समय में हुआ था। डाकघरों की बुनियादी सेवाओं के अलावा बैंकिंग, फाइनेंशियल, इंश्योरेंस सर्विस भी उपलब्ध है। जहां भारत में डाक विभाग सर्वभोमिक सेवा दायित्व के तहत सब्सिडी बेस्ड विभिन्न डाक सर्विस देता है, वहीं दूसरी तरफ दूरदराज पहाड़ी जनजातीय अंडमान निकोबार दीप समूह जैसे क्षेत्रों में भी उसी दर पर डाक सेवाएं प्रोवाइड करवा रहा है।


 राष्ट्रीय डाक सप्ताह 


भारतीय डाक विभाग के मुताबिक 9 से 14 अक्टूबर के बीच विश्व डाक सप्ताह मनाया जाता है। राष्ट्रीय डाक सप्ताह मनाने का उद्देश्य आम जनता को भारतीय डाक विभाग के योगदान से परिचित करवाना है। सप्ताह के हर दिन अलग-अलग थीम के मुताबिक दिवस मनाए जाते हैं। 10 अक्टूबर को सेविंग बैंक दिवस, 11 अक्टूबर को मेल दिवस, 12 अक्टूबर को डाक टिकट संग्रह दिवस, 13 अक्टूबर को व्यापार दिवस और 14 अक्टूबर को बीमा दिवस के रूप में मनाया जाता है। सेविंग दिवस पर ग्राहकों को डाक बचत योजना के बारे में जागरूक किया जाता है एवं विस्तृत जानकारी दी जाती है। ग्राहकों को यह बताया जाता है कि कौन सी बचत योजना उनके लिए लाभदायक है। डाक सप्ताह दिवस का उद्देश्य ग्राहकों के बीच डाक विभाग के उत्पाद के बारे में जानकारी देना और उन्हें जागरूक करना है और डाकघरों एवं कस्टमर के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। डाक दिवस पर बेहतर काम करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया जाता है।
 

RBI Digital Currency, आरबीआई द्वारा ही रुपए का पायलट प्रोजेक्ट के क्या उद्देश्य हैं, जाने विस्तार से

 

RBI Digital Currency: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 7 अक्टूबर को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी पर कॉन्सेप्ट नोट सामान्य रूप से सीबीडीसी और डिजिटल रुपए की नियोजित विशेषताओं के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए जारी किया गया है। आरबीआई जल्द ही विशिष्ट उपयोगों के लिए ई-रुपए के इस्तेमाल के लिए एक पायलट रन करने वाली है।

पायलेट प्रोजेक्ट का उद्देश्य


 इससे भारत के डिजिटल अर्थव्यवस्था को एक नई मजबूती मिलेगी, साथ ही पेमेंट सिस्टम को और अधिक सक्षम बनाया जा सकेगा। इस पायलट का एक और मकसद यह भी है कि इससे मनी लॉन्ड्री के मामले को रोकने में सहायता मिलेगी। आरबीआई कुछ समय के लिए सीबीडीसी के फायदे और नुकसान के बारे में आकलन करेगी। इस आधार पर इसके डिजाइन और अन्य मामलों में बदलाव किया जाएगा। बैंक के माध्यम से इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। ई-रूपया के बाद लोगों को नगद रुपए की आवश्यकता नहीं होगी। यह भी मोबाइल वॉलेट की तरह ही काम करेगी जो कि एक कानूनी मुद्रा होगी।

बजट सेशन के दौरान की थी घोषणा


 इस साल बजट सेशन के दौरान वित्त मंत्री निर्माण निर्मला सीतारमण ने आरबीआई द्वारा डिजिटल करेंसी नोट्स को लांच करने की घोषणा पहले ही कर दी थी। सीबीडीसी करेंसी नोट के डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में भारत सरकार ने आम बजट में 2022 - 23 से पेश करने की घोषणा कर दी है। आरबीआई ने ड्राफ्ट नोट जारी किया है।

 आरबीआई ने जारी किया ड्राफ्ट नोट


आरबीआई द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट नोट के मुताबिक सीबीडीसी के लिए पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा इसमें अलग-अलग उम्र और फील्ड के लोग शामिल होंगे। पायलट प्रोजेक्ट से मिले नतीजों के आधार पर डिजिटल रुपये की लॉन्चिंग की जाएगी आरबीआई की ओर से जारी इस कांसेप्ट के अनुसार रीटेल और होलसेल के अलग-अलग सीबीडीसी जारी की जा सकती है।

 डिजिटल रुपये को नकदी में बदला जा सकेगा 


रीटेल सीबीडीसी का प्रयोग पेमेंट, सेटलमेंट के लिए किया जा सकता है। वहीं होलसेल सीबीडीसी बड़े फाइनेंनशियल ऑर्गेनाइजेशन के लिए जारी की जाएगी। रिटेल के लिए टोकन बेस्ड सीबीडीसी लाई जा सकती है। रीटेल सीबीडीसी में प्राइवेसी बनाए रखने की कोशिश होगी। वहीं सीबीडीसी के कस्टमर को किसी तरह का कोई ब्याज नहीं मिलेगा। इस ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा डिनॉमिनेशन वाली करेंसी पर ही सीबीडीसी का लॉन्च संभव हो सकता है और डिजिटल रुपए को नकदी में बदला जा सकेगा।
 

National Postal Day, राष्ट्रीय डाक सेवा का इतिहास और महत्व क्या है

 

National Postal Day : हर साल भारत में 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय डाक दिवस मनाया जाता है और 9 अक्टूबर को विश्व स्तर पर विश्व डाक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य पिछले डेढ़ सौ सालों से भारतीय डाक द्वारा निभाई गई भूमिका को याद करना और सम्मानित करना है य़भारत में डाक की स्थापना 1854 में लॉर्ड डलहौजी ने की थी।

भारतीय डाक सेवा के बारे में 

भारतीय डाक सेवा भारत में संचार का एक महत्वपूर्ण अंग है। भारत में डाक सेवाओं की संस्कृति और परंपरा कठिन भौगोलिक इलाकों में विविधता होने के बावजूद भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन आज तक किया है। देश के हर इलाकों में डाक की सेवा उपलब्ध है।

 भारत का पिन कोड सिस्टम क्या है 


भारत में पिन कोड का पूरा नाम पोस्टल इंडेक्स नंबर है। यह 6 अंक प्रणाली के केंद्रीय संचार मंत्रालय के अलावा अतिरिक्त सचिव के रूप में नियुक्त श्रीराम भीकाजी वेलंकर द्वारा 15 अगस्त 1972 को पेश किया गया था। पिन कोड का पहला अंक क्षेत्र को बताता हैय़ दूसरा अंक उप क्षेत्र को बताता है। तीसरा अंक जिले को बताता है और अंतिम तीन अंक उस डाकघर की जानकारी बताता है, जिसके अंतर्गत वह एड्रेस या पता आता है।


भारतीय डाक से जुड़े महत्वपुर्ण फैक्ट

भारतीय डाक सचिव
प्रदीप कुमार बिश्नोई 
भारतीय डाक का मुख्यालय 
नई दिल्ली
 
 
 

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