What is Ashoka Stambh, अशोक स्तम्भ क्या है, और यह क्यों इतना चर्चा में है ?

Safalta Expert Published by: Nikesh Kumar Updated Wed, 13 Jul 2022 03:23 PM IST

Source: safalta

Ashoka Stambh, हमारे राष्ट्रीय ध्वज में बना अशोक चक्र, दरअसल अशोक स्तम्भ के निचले भाग में अंकित चिन्ह का हिस्सा है, जिसके उपरी भाग में शेर की प्रतिमा अंकित है. ये चिन्ह सही अर्थों में भारत की समृद्ध विरासत, वीरता और प्रतिष्ठा का प्रतीक और हम भारतवासियों की पहचान है.  मौर्यसाम्राज्य के तीसरे शासक तथा सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के शक्तिशाली पोते चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान ने भारतवर्ष के चारों दिशाओं में गर्जना करते हुए शेरों यानि अशोक स्तम्भ का निर्माण करवाया था. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here
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अशोक स्तम्भ चर्चा में क्यों है?

दरअसल नए संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को लगाने के बाद से हीं इस विषय पर काफी विवाद चल रहा है. विपक्ष ने मौजूदा सरकार पर संसद भवन परिसर के भीतर लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह अशोक स्तम्भ में बदलाव किए जाने के आरोप लगाए हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि नए संसद भवन के ऊपर स्थापित अशोक स्तंभ वास्तविक अशोक स्तम्भ से अलग है. विपक्ष के द्वारा शांत सौम्य शेरों की जगह गुस्सैल शेर लगाए जाने का आरोप लगाया गया है. विपक्षी दलों के अनुसार राष्ट्रीय प्रतीक के मूल स्वरूप में परिवर्तन करना गलत है. इस बात को लेकर विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर लगातार सवाल उठाये जा रहे हैं. विपक्षी दलों के द्वारा इसे राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान बताते हुए तत्काल बदलने की मांग की जा रही है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राजद नेताओं का कहना है कि महान अशोक के काल की मूल अशोक स्तंभकृति के स्थान पर निगल जाने की प्रवृत्ति का भाव दिखाई दे रहा है.

प्रतिमा के अनावरण के बाद रोष बढ़ा 

उल्लेखनीय है कि बीते दिनों सोमवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा नए संसद भवन की छत पर सामने की तरफ राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ की एक विशालकाय प्रतिरूप का अनावरण किया गया था. अनावरण के बाद पूजा-अर्चना की गई. इसी के बाद से तमाम विपक्षी दलों के द्वारा बीजेपी के ऊपर राष्ट्रीय चिन्ह को बदलने का आरोप लगाया जा रहा है.

लम्बे समय से हो रहा है विवाद

संसद भवन के निर्माण के वक्त से हीं यह विवाद चला आ रहा है. यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस निर्माण पर रोक लगाने की मांग भी की गयी थी जिसे कोर्ट के द्वारा ठुकरा दिया गया था. विपक्ष का आरोप था कि सरकार बेवजह पैसा खर्च कर रही है, जबकि सरकार ने दस्तावेज प्रस्तुत कर कहा कि पुराना भवन अब खतरनाक हो गया है.

सरकार की तरफ से आया जवाब

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने दोनों अशोक स्तंभों की तस्वीर शेयर कर कहा कि यह देखने वाले की आंखों पर निर्भर करता है कि वह क्या देखना चाहता है. सारनाथ की मूलकृति 1.6 मीटर आकार की है जबकि संसद पर लगी कृति का आकर 6.5 मीटर है. अगर इसे सारनाथ के आकार में कर दिया जाए तो दोनों बिल्कुल एक जैसे लगेंगे. भाजपा के इंटरनेट मीडिया प्रभारी अमित मालवीय के द्वारा कहा गया कि विपक्ष प्रिंट में निकाली गई 2डी इमेज की 3डी इमेज के साथ तुलना कर रहे हैं, इसीलिए भ्रमित हैं.