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हाल में एक विवाद को लेकर ताजमहल चर्चे में है. आइए जानते हैं कि क्या है ताजमहल विवाद -
ताजमहल विवाद -
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है जिसमें ताजमहल के 20 कमरों को जांच के लिए खोलने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में इन कमरों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों की मौजूदगी का दावा किया गया है. याचिका में सरकार से यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह 'ताजमहल के वास्तविक इतिहास' के अध्ययन और प्रकाशन के लिए एक तथ्यान्वेषी समिति को गठित करे और इसके विवाद को खत्म करे. यह याचिका रजनीश सिंह ने दायर की है. याचिकाकर्ता का तर्क है कि कई हिंदुत्व समूहों का दावा है कि ताजमहल वास्तव में एक पुराना शिव मंदिर है जो पहले तेजो महालय कहलाता था. उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इन तथ्यों का पता लगाने के लिए स्मारक के अंदर के कमरों को खोलने और यह जांचने के लिए निर्देश देने की मांग की है कि वहाँ कहीं कोई मूर्ति या शिलालेख छिपा हुआ तो नहीं है.
याचिकाकर्ता ने कहा है कि स्मारक के इन कमरों को खोलने और सभी विवादों को शांत करने में कोई बुराई तो नहीं है. रिट याचिका उच्च न्यायालय में 7 मई, 2022 को दायर की गई. इसे पहले लखनऊ बेंच की रजिस्ट्री द्वारा संसाधित किया जाएगा और फिर सुनवाई के लिए लिया जाएगा.
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ताजमहल याचिका में किए गए प्रमुख दावे -
रिपोर्टों के मुताबिक याचिका में दावा किया गया है कि राजा परमर्दी देव ने सन 1212 ईस्वी में तेजो महालय मंदिर महल का निर्माण कराया था. इस मंदिर को तब शासकों को सौंप दिया गया था. दावा किया गया है कि सन 1632 में शाहजहाँ ने राजा जय सिंह से इसे अपने कब्जे में ले लिया था और इसे अपनी पत्नी के स्मारक के रूप में बदल दिया था.याचिकाकर्ता ने यह दावा किया कि ये बात बेतुकी और वास्तविकता से परे है कि एक मकबरे के निर्माण को पूरा होने में 22 साल लगते हैं. उन्होंने आगे कहा कि कई पुस्तकों में शाहजहाँ की पत्नी को मुमताज-उल-ज़मानी के रूप में वर्णित किया गया है न कि मुमताज महल के रूप में.
याचिकाकर्ता की मांग है कि स्मारक के बारे में सही और पूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों को जनता के सामने प्रकट किया जाना चाहिए क्योंकि प्राचीन स्मारक के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये का निवेश किया जा रहा है. इस याचिका में प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 और प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष (राष्ट्रीय महत्व की घोषणा) अधिनियम, 1951 के प्रावधानों को अलग रखने का प्रयास किया गया है, जिसके तहत ताजमहल अन्य स्मारकों के साथ ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया गया था.
ताजमहल को लेकर क्या है विवाद ?
- ताजमहल विवाद एक लंबे समय से चल रहा विवाद है जो पिछले एक दशक से गति पकड़ रहा है. अतीत में भी ताजमहल को लेकर याचिकाएं दायर की गई थी. हाल के ताजमहल विवाद में सवाल उठाए जा रहे हैं कि यह इमारत ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल है या ताजो महालय ?
- पूर्व में सात याचिकाओं के एक समूह ने वर्ष 2015 में आगरा के सिविल जज के समक्ष अपनी याचिकाएं दायर की थीं, जिसमें हिंदू भक्तों को ताजमहल में पूजा करने की अनुमति देने की मांग की गई थी. उनका मानना है कि 16 वीं शताब्दी का प्रतिष्ठित ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल मूल रूप से तेजो महालय नाम का एक शिव मंदिर था.
- याचिकाओं ने अदालत से अनुमति मांगी कि हिंदू भक्तों को स्मारक के भीतर दर्शन और आरती करने की अनुमति दी जाए. याचिका में दावा किया गया है कि केवल मुस्लिम भक्तों को विश्व धरोहर स्मारक से सटे मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति है.
- याचिकाओं में ताजमहल परिसर के अंदर के बंद कमरों को खोलने का निर्देश देने की मांग भी की गई है. मुख्य याचिकाकर्ता हरि शंकर जैन ने दावा किया था कि कम से कम 109 पुरातात्विक विशेषताएं और ऐतिहासिक साक्ष्य यह साबित करते हैं कि इमारत निःसंदेह रूप से एक हिंदू मंदिर है.
- हालांकि, याचिका सफल नहीं रही और अभी भी आगरा में ट्रायल कोर्ट में मामला लंबित है. याचिकाकर्ताओं ने बाद में 25 अक्टूबर, वर्ष 2017 को आगरा की अदालत में एक आवेदन दायर कर ताजमहल के बंद कक्षों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की अनुमति मांगी. जिसे अदालत द्वारा ठुकरा दिया गया था.
- याचिकाकर्ताओं ने सिविल जज आगरा के इस आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण दायर किया और 25 मई 2022 को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (द्वितीय) आगरा की अदालत में जवाब के लिए तारीख तय की गई.
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निरर्थक विवाद -
ताजमहल में शिव मंदिर का कोई सबूत नहीं - केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने नवंबर वर्ष 2015 में लोकसभा को सूचित किया कि ताजमहल में किसी मंदिर का कोई सबूत नहीं है. कई इतिहासकारों ने भी इन दावों का खंडन किया है. एक वयोवृद्ध इतिहासकार आरसी शर्मा का कहना है कि यमुना नदी के तट पर स्मारक के निर्माण के लिए शाहजहाँ ने जयपुर के राजा जय सिंह से भूमि खरीदी थी. खरीद के बारे में ऐतिहासिक दस्तावेज भी मौजूद हैं.
निष्कर्ष -
सच यही है कि ताजमहल यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है, जिसे संरक्षण दिया जाना चाहिए. इसका वर्ल्ड रिकार्ड है और इसे दुनिया के सात अजूबों में से एक माना जाता है. दुनिया भर के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होने के अलावा यह भारत की महान स्थापत्य उपलब्धियों का भी प्रतीक है. हम सब जानते हैं कि इसे बादशाह शाहजहां ने अपनी प्रियतम पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था.
अतः इस महान स्मारक को लेकर जो भी दुष्प्रचार किया जाता रहा है वह गलत है. ऐतिहासिक रिकॉर्ड और दस्तावेज़ गवाह हैं कि न यह कोई मंदिर है, जिसे मक़बरे में बदल दिया गया था, और न हीं यहाँ तेजो महालय नाम का कोई शिवालय था. हमें इन भ्रान्तियों से दूर रहना चाहिए और अपनी ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा करनी चाहिए. क्योंकि ताजमहल भी एक वजह से जिसे लेकर भारत को पूरी दुनिया बरसों से जानती है.