The Great Gama Pehlwan: कौन थे गामा पहलवान जिन्होंने रुस्तम-ए-हिंद और रुस्तम-ए-ज़माना की उपाधि अपने नाम की थी

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Sun, 22 May 2022 10:07 PM IST

Highlights

रहीम गामा का मुकाबला ड्रा पर समाप्त हुआ था जो कि इनके करियर का मुख्य इतिहास बन गया ।

Source: Safalta

The Great Gama Pehlwan: गामा पहलवान भारत के इतिहास में एक महान पहलवान हैं। पहलवान क्षेत्र में वह पूरी दुनिया में एक प्रेरणा हैं और उन्हें रुस्तम-ए-हिंद और रुस्तम-ए-ज़माना की उपाधि दी गई है, इस उपाधि का अर्थ है भारत का चैंपियन और दुनिया का चैंपियन।
गामा पहलवान का जन्म 22 मई 1878 को एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनकी हाइट 5'8 के थी और उनका वजन 110 किलो था।  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.


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गामा पहलवान के कुश्ती करियर के बारे में

गामा पहलवान ने अपने करियर पर तब ध्यान दिया जब 10 साल की उम्र में उन्होंने जोधपुर में आयोजित एक स्ट्रॉन्गमैन कंप्लीशन में भाग लिया था। वह प्रतियोगिता में टॉप 15 प्रतिभागियों में शामिल थे उनके कुस्ती से जोधपुर के महाराजा उनसे प्रभावित थे। इस कॉम्पीटीशन में उन्हें कम उम्र के कारण उन्हें विजेता घोषित किया गया था। गामा का  कुस्ती पेशेवर प्रशिक्षण तब शुरू हुआ था जब दाताई के महाराजा को उनके कुस्ती कला के बारे में पता चला था और उन्हें  बेहतर प्रशिक्षण  प्रदान किया था। जब उन्होंने बड़ौदा में कुश्ती प्रतियोगिता में  भाग लिया था, तो गामा पहलवान ने 1200 किलो से अधिक वजन का एक पत्थर उठाया। आज भी इस पत्थर को गामा के सम्मान और शक्ति के प्रतीक के रूप में बड़ौदा संग्रहालय में रखा गया है।
 
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गामा पहलवान का प्रशिक्षण दिनचर्या

15 अक्टूबर 1910 को उन्हें वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप के एक एडिशन से सम्मानित किया गया था। उनका कुश्ती करियर 52 साल से अधिक का था और वह अपने पूरे करियर में कभी हार का सामना नहीं किया था। इतिहास में उन्हें अब तक का सबसे महान और सबसे सफल पहलवान माना जाता है। वे हर रोज सख्त प्रशिक्षण दिनचर्या का पालन करते थे जिसमें चालीस साथी सदस्यों के साथ जूझना, पांच हजार स्क्वैट्स (बैठक), और 30-45 मिनट से अधिक के लिए तीन हजार पुश-अप या डंड शामिल थे।
 

गामा पहलवान का पहला ड्रॉ मैच

 17 साल की उम्र में गामा पहलवान ने तत्कालीन भारतीय कुश्ती चैंपियन रहीम बख्श सुल्तानीवाला को चुनौती दी थी। रहीम बख्श सुल्तानीवाला गुजरांवाला, पंजाब, औपनिवेशिक भारत, अब पाकिस्तान के एक कश्मीरी पहलवान थे। लोगों को उम्मीद थी कि रहीम गामा पहलवान पर आसानी से जीत हासिल कर लेगा लेकिन रहीम गामा का मुकाबला ड्रा पर समाप्त हुआ था जो कि इनके करियर का मुख्य इतिहास बन गया । इस मुकाबला में दोनों पहलवानों के बीच मुकाबला घंटों तक चलता रहा और ड्रॉ पर समाप्त हुआ था। यह गामा पहलवान के जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्हें तत्कालीन कुश्ती चैंपियंस के खिलाफ एक कठिन घटक माना जाता था। 1910 तक, गामा पहलवान ने रहीम बख्श सुल्तानीवाला को छोड़कर सभी प्रमुख भारतीय पहलवानों को हराया।
 

गामा को रुस्तम-ए-हिंद का खिताब कब और कैसे मिला
 

 वह अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए इंग्लैंड गए और खुद पर फोकस केंद्रित किया। इंग्लैंड में, गामा पहलवान ने अपनी सभी प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया और दुनिया में कुश्ती में कुछ सबसे प्रमुख चेहरों के खिलाफ जीत हासिल कर अपना और अपने देश का नाम रौशन किया। इंग्लैंड से वापस आने के बाद, गामा ने इलाहाबाद में फिर से रहीम से एक मुकाबले में सामना किया। इस बार, खेल गामा के पक्ष में था इसमें गामा ने रहिम को हरा कर रुस्तम-ए-हिंद का खिताब जीता, लेकिन उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनका मानना है कि रहीम बख्श सुल्तानीवाला उनका सबसे मजबूत घटक थे।

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