Vijay Diwas, विजय दिवस क्यों मनाया जाता है और ऑपरेशन ट्राइडेंट क्या है

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Thu, 15 Dec 2022 06:47 PM IST

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16 दिसंबर को 93000 पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था।

Source: safalta

Vijay Diwas : हर साल भारत में 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि 16 दिसंबर को ही भारत में राष्ट्रीय स्तर पर विजय दिवस क्यों मनाया जाता है? 16 दिसंबर को विजय दिवस भारतीय सैनिकों के शौर्य गाथा को विश्व स्तर पर सलाम करने के लिए मनाया जाता है। भारतीय सैनिकों ने अपने संपूर्ण वीरता एवं साहस से पाकिस्तान को हराया था, ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर 16 दिसंबर 1971 में क्या हुआ था और भारतीय सैनिकों ने वीरगाथा की कौन सी इतिहास रची थी।  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. 
 

क्यों हुआ युद्ध का शुरुआत


पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में कई सालों से आजादी को लेकर आंदोलन चल रहा था, जिसे दबाने के लिए पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा अपने बांग्लादेशियों के ऊपर अत्याचार किया जा रहा था, इस दौरान भारत ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया था।
इससे पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारतीय वायु सेना के 11 स्टेशनों पर हवाई हमले करवाए थे, जिससे यह बांग्लादेश स्वतंत्रता आंदोलन, भारत पाकिस्तान युद्ध में बदल गया था। उस दौरान भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उसी रात ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से पूरे देश को इस हमले के बारे में जानकारी देते हुए युद्ध की घोषणा की थी, युद्ध के तहत इंदिरा गांधी ने भारतीय सैनिकों को ढाका की ओर कूच करने का आदेश दिया एवं भारतीय वायु सेना ने पश्चिम पाकिस्तान के मुख्य ठिकाना एवं हवाई अड्डे पर बमबारी शुरू की।  Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
 

 4 दिसंबर को शुरू हुए ऑपरेशन ट्राइडेंट के बारे में


भारत ने इस युद्ध में जीत पाने के लिए 4 दिसंबर को ऑपरेशन ट्राइडेंट को शुरू किया, इस ऑपरेशन में एक तरफ भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में पाकिस्तान को घेरा और दूसरी तरफ पश्चिमी पाकिस्तान की सेना का मुकाबला किया, भारतीय नौसेना ने 5 दिसंबर को कराची के बंदरगाह पर बमबारी की और नौसेना मुख्यालय एवं बंदरगाह को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था। भारतीय सैनिक अपनी बहादुरी से पाकिस्तानी सैनिकों के हर मोर्चे पर पीछे खदेड़ दे रहे थे, इस युद्ध में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब 14 दिसंबर को भारतीय वायु सेना ने ढाका में पाकिस्तान के गवर्नर के घर पर ही हमला बोल दिया था और पूरी तरह से उसे तबाह कर दिया।  इस हमले के डर से गवर्नर ने अपने सभी प्रमुख अधिकारियों के साथ पद से इस्तीफा दे दिया था। गवर्नर के घर में हमला होने के बाद से पूरा  पाकिस्तान के ऊपर हुए इस हमले के बाद जनरल नियाजी ने युद्ध विराम का प्रस्ताव भेजा था। युद्ध की 13 दिन यानी 16 दिसंबर को भारतीय सेना के जनरल जैकब को सेना प्रमुख मानेकशॉ का खत मिला कि वे तुरंत ढाका पहुंचे एवं पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की तैयारी की जाए, इस आदेश से उस दौरान जैकब परेशान हुए क्योंकि उस समय भारत के पास केवल 3000 सैनिक थे जो कि ढाका से 30 किलोमीटर दूर थे, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानियों के सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी के पास ढाका के अंदर ही 26400 सैनिक थे।  सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta App 
 

 इसके बावजूद भी भारतीय सेना ने इस युद्ध मैं अपनी जीत की पूरी तरह से पकड़ बना ली थी, भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर जगजीत अरोड़ा अपने दलबल के साथ एक 2 घंटे में ढाका पहुंचने वाले थे और युद्ध विराम जल्द ही समाप्त होने वाला था। जैकब के हाथ कुछ भी नहीं था,  जैकब  जब पाकिस्तानी जनरल नियाजी के कमरे में पहुंचे तब उन्हें पाकिस्तान की ओर से आत्मसमर्पण का दस्तावेज मिला। शाम के 4:30 बजे लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ढाका पहुंचे, तब तक तकरीबन 2:30 बजे तक सरेंडर की प्रोसेस शुरू हो गई थी, दोनों ने आत्मसमर्पण के कागजात पर सिग्नेचर किया, नियाजी ने अपना रिवाल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले किया था। 

उस समय लगभग 93000 पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था। जिसके बाद से हर साल 16 दिसंबर को भारत पाकिस्तान के ऊपर हुए इस जीत को लेकर विजय दिवस मनाता है, कहा जाता है कि इस युद्ध में 3900 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और लगभग 9851 सैनिक घायल हुए थे। वहीं हजारों पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई थी। जब भारत को इस युद्ध में विजय मिली तब इंदिरा गांधी संसद भवन के अपने दफ्तर में एक टीवी के लिए इंटरव्यू दे रही थी तभी जनरल मानेक शॉ ने उन्हें बांग्लादेश मिली शानदार जीत की खबर सुनाई थी। इंदिरा गांधी ने लोकसभा के शोर-शराबे के बीच घोषणा की युद्ध में भारत ने जीत हासिल कर ली है। इंदिरा गांधी के बयान के बाद सदन जश्न मनाया गया इस ऐतिहासिक जीत की खुशी को आज भी पूरा देश में 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाता है।  


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