कपिल मुनि द्वारा प्रतिपादित दार्शनिक प्रणाली है
कपिल सांख्य दर्शन के प्रवर्तक थे । परंतु सांख्य एक प्राचीन दर्शन हें श्वेताश्वतर उपनिषद में इसके प्रमाण हें । सांख्य के अनुसार , बिना कारण के कार्य की उत्पत्ति नहीं हो सकती। इस जगत की उत्पत्ति के मूल में कोई कारण अवश्य हें । कोई भी कार्य, अपनी उत्पत्ति के पूर्व कारण में वर्तमान रहता है। या यो कहे कि ,कार्य तथा कारण वस्तुतः एक ही वस्तु के क्रमशः व्यक्त-अव्यक्त रूप हैं। इसे सत्कार्यवाद कहते हें ।