किस मुगल बादशाह को बचपमें में “खुर्रम” नाम से पुकारा जाता था?
नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह[1] (जन्म का नाम रोशन अख़्तर)[1] (7 अगस्त 1702 – 6 अप्रैल 1748)[1] 1719 से 1748 तक मुग़ल बादशाह थे। इन्हें मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी जाना जाता है यह बड़े ही रंगीन तबके के थे इन्हें नाच गाने का बड़ा शौक था उस वक्त कई विदेशी शक्तियों की नजर मुगल सल्तनत पर पड़ी थी क्योंकि उस वक्त मुगल काफी कमजोर थे पिछले कई वर्षों में कई सारे सम्राटों के गद्दी पर बैठने के कारण मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ गया था जिसके कारण कई विदेशी शक्तियां भारत पर अपने पांव पसार रही थी।इन का राज्याभिषेक 1719 इसी में सैयद बंधुओं की सहायता से हुआ उन्होंने मोहम्मद शाह को सुल्तान बनाने की कोशिश की परंतु मोहम्मद शाह को सैयद बंधु से काफी खतरा पैदा हो गया था क्योंकि उन्होंने पहले भी कई सारे मुगल सम्राटों का कत्ल करवाया था। जिसके कारण उन्होंने सर्वप्रथम आसफ जा प्रथम जो कि आगे चलके हैदराबाद के निजाम बने उनकी सहायता से सैयद बंधुओं को खत्म करवा दिया। 1722 ईस्वी में और एक स्वतंत्र मुगल सम्राट के रूप में प्रतिष्ठित हुये हालांकि उनके जीवन की एकमात्र सफलता रही। उसके बाद उनके जीवन में लगातार हार का सिलसिला शुरू हो गया। 1724 में निजाम उल मुल्क ने मुगल सम्राट मोहम्मद शाह के खिलाफ कार्रवाई की जिसमें उन्होंने ढक्कन से अवध न आने का फैसला किया था परंतु मोहम्मद शाह ने उनसे कहा कि वह ढक्कन की सुबेदार छोड़कर अवध के सूबेदार बन जाए परंतु निजामुलमुलक ने इस बात को नकार दिया और अपनी सेनाओं को लेकर मुगल सम्राट की सेना को 1726 में पराजित कर दिया जिसमें मराठों ने भी निजाम की मदद की थी। 1736 में बाजीराव पेशवा की सेनाओं ने दिल्ली की ओर कूच किया हमारे आगरा पहुंचे मोहम्मद शाह ने शहादत अली खान प्रथम जोकि अवध के नवाब थे उनसे कहा कि वह बाजीराव प्रथम को दिल्ली आने से पहले ही रोक ले परंतु उन्होंने शहादत अली खान को धोखा देकर दिल्ली की ओर बाजीराव निकल गया और शादत अली खान आगरा में अपनी एक लाख की सेना लेकर इंतजार करते रहे बाजीराव प्रथम दिल्ली पहुंच गए और वहां पहुंचकर काफी लूट मचाई मोहम्मद शाह ने बाजीराव की सेना को देखकर लाल किले में छुप गए बाजीराव प्रथम ने दिल्ली को लूट कर वापस लोट गये।इस बात को लेकर मोहम्मद जाने निजाम उल मुल्क की दक्कन के सूबेदार थे उनको पत्र लिखा और बाजीराव को पुणे से पहले ही रोकने के लिए