ग्रहों की गति के नियम का पता किसने लगाया?
कैपलर ने १६१९ ईo में 'दा हार्मोनिस मुंडी' (De Harmonis mundi) में अपने प्रबंधों को प्रकाशित कराया। इनमें इन्होंने ग्रहगति के नियमों का प्रतिपादन किया था। ग्रहगति के निम्नलिखित सिद्धांतों में से प्रथम दो इनके पहले प्रबंध में तथा तीसरा सिद्धांत दूसरे प्रबंध में प्रतिपादित है: (१) विश्व में सभी कुछ वृत्ताकार नहीं है। सौर मंडल के सभी ग्रह वृत्ताकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा नहीं करते, अपितु ग्रह एक दीर्घवृत्त पर चलता है, जिसकी नाभि पर सूर्य विराजमान है। (२) सूर्य से ग्रह तक की सदिश त्रिज्या समान काल में समान क्षेत्रफल में विस्तीर्ण रहती है। (३) सूर्य से किसी भी ग्रह की दूरी का घन उस ग्रह के परिभ्रमण काल के वर्ग का समानुपाती होता है।