बौद्ध संगीतियों के चार आयोजकों का सही क्रम क्या है?

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SUNDARAM SINGH

3 years ago

महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के अल्प समय के पश्चात से ही उनके उपदेशों को संगृहीत करने, उनका पाठ (वाचन) करने आदि के उद्देश्य से संगीति (सम्मेलन) की प्रथा चल पड़ी। इन्हें धम्म संगीति (धर्म संगीति) कहा जाता है। संगीति का अर्थ है 'साथ-साथ गाना'।  प्रथम बौद्ध संगीति इन संगीतियों की संख्या एवं सूची, अलग-अलग सम्प्रदायों (और कभी-कभी एक ही सम्प्रदाय के भीतर ही) द्वारा अलग-अलग बतायी जाती है। एक मान्यता के अनुसार बौद्ध संगीति निम्नलिखित हैं- प्रथम बौद्ध संगीति – राजगृह में (483) द्वित्तीय बौद्ध संगीति- वैशाली (383) तृतीय बौद्ध संगीति- पाटलिपुत्र (255) चतुर्थ बौद्ध संगीति- कुण्डलवन(कश्मीर) ई. की प्रथम शताब्दी

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