tatprush aur avayibhav samas kya hota h
इन सभी शब्दों में पूर्वपद में अ, बे, ब, आदि अव्ययों का प्रयोग किया गया है जोकि अव्यय हैं। ... हम यह भी जानते हैं की जब समास में पहला या पूर्वपद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है। अव्यय के संयोग से समस्तपद भी अव्यय बन जाता है। इसमें पूर्वपद प्रधान होता है तब वह अव्ययीभाव समास होता है।
तत्पुरुष समास वह होता है, जिसमें उत्तरपद प्रधान होता है, अर्थात प्रथम पद गौण होता है एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है व समास करते वक़्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है। इस समास में आने वाले कारक चिन्हों को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर आदि का लोप होता है।जैसे-राजकुमार (राजा का कुमार), घुड़सवार (घोड़े पर सवार), जेबकट (जेब को काटने वाला), तुलसीकृत (तुलसी द्वारा रचित), ऋणमुक्त (ऋण से मुक्त), हस्तलिखित, (हाथ से लिखा हुआ), प्रत्यक्ष (आँख के आगे)।