शब्दभेदी धनुष विद्या किसके पास थी
शब्द भेदी धनुर्विद्या की एक कला है जिसमें ध्वनि के सहारे लक्ष्य भेदा जाता है। इस पद्धति से ल७्य को देखना या उसके सामने होना आवश्यक नहीं होता है। केवल लक्ष्य की ध्वनी सुनकर ही धनुर्धारी उसे भेद सकता है। संसार के प्राचीनतम महाकाव्य रामायण और महाभारत में इस धनुर्विद्या का उल्लेख मिलता है। महाराजा दशरथ को इसी विद्या के प्रयोग के कारण श्रवण कुमार के माता-पिता द्वारा श्राप दिया गया था। महाभारत में भील पुत्र एकलव्य ने शब्द भेदी धनुर्विद्या का उपयोग किया था , अन्य पुराणों में भी इसका उल्लेख विभिन्न कथा प्रसंगों में किया गया है। हिंदी महाकाव्य पृथ्वीराज रासो में भी पृथ्वीराज चौहान द्वारा मुहम्मद गौरी को शब्द भेदी द्वारा मारने का उल्लेख मिलता है।
पृथ्वीराज चौहान
पृथ्वीराज चौहान
पृथ्वीराज चौहान
eaklovebhaye
राजा दशरथ
arjun
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केवल शब्द सुनकर धनुष चलाने की विद्या को शब्दभेदी धनुष विद्या कहते हैं यह विद्या महाराजा दशरथ और उनके पुत्र श्री राम , अर्जुन , पृथ्वीराज चौहान, एकलव्य के पास थी ।
eklavya
दशरथ