किरांतकरियों ka उदय क्या है
क्रान्ति (Revolution) अधिकारों या संगठनात्मक संरचना में होने वाला एक मूलभूत परिवर्तन है जो अपेक्षाकृत कम समय में ही घटित होता है। अरस्तू ने दो प्रकार की राजनीतिक क्रान्तियों का वर्णन किया है: एक संविधान से दूसरे संविधान में पूर्ण परिवर्तन मौजूदा संविधान में संशोधन[1] मानव इतिहास में अनेकों क्रान्तियां घटित होती आई हैं और वह पद्धति, अवधि व प्रेरक वैचारिक सिद्धांत के मामले में काफी भिन्न हैं। इनके परिणामों के कारण संस्कृति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक-राजनीतिक संस्थाओं में वृहद् परिवर्तन हुए. एक क्रान्ति में कौन से घटक शामिल होते हैं और कौन से नहीं, इस सम्बन्ध में विद्वत्तापूर्ण चर्चा कई मुद्दों के इर्द गिर्द केन्द्रित है। क्रान्तियों के प्रारंभिक अध्ययन में मुख्यतः यूरोपीय इतिहास का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया गया है, परन्तु और आधुनिक परीक्षणों में वैश्विक घटनाएं भी शामिल हैं और अनेकों सामाजिक विज्ञानों के दृष्टिकोणों को भी शामिल किया गया है जिसमे समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान आते हैं। क्रान्ति पर विद्वत्तापूर्ण विचारों की कई पीढ़ियों ने अनेकों प्रतिस्पर्धात्मक सिद्धांतों को जन्म दिया है और इस जटिल तथ्य के प्रति वर्तमान समझ को विकसित करने में काफी योगदान दिया है