shri lanka me tamil upsamuho ka vardan kare (sir ise thoda smjha dijiye)
श्रीलंकाई सरकार की गलत नीतियों और पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण श्रीलंका के तमिलों में गहरा असंतोष पैदा हो गया। जो तमिल पार्टियां १९७३ तक राष्ट्र विभाजन के विरुद्ध थी, वो भी अब अगल राष्ट्र की मांग करने लगीं। सरकार की नीतियों के कारण बहुसंख्यक सिंहला समुदाय को जहां लाभ हुआ, वहीं अल्पसंख्यक तमिलों को हानि। 90 के दशक में श्रीलंका ' श्रीलंका में सिंहली (बौद्ध) बहुमत में और तमिल (हिंदू) अल्पसंख्यक हैं. सरकार की नीति जयवर्धने के कथन से साफ़ थी. तमिलों को दोयम दर्ज़ का नागरिक माना जा रहा था. इसके चलते, कई तमिल संगठन उठ खड़े हुए थे.