अमेरिका ने जिस देश पर आर्थिक प्रतिबंध का पहला चरण लागू कर दिया है
रूस।।।,,।।। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद नाटो या यूरोपीय देशों की सैन्य कार्रवाई तो बहुत दूर की बात है लेकिन प्रतिबंधों का शोर बहुत तेज हो गया है. पश्चिमी देशों के प्रतिबंध रूसी सेना के बढ़ते कदमों को रोकने में कितने कारगर होंगे? यूक्रेन के अलगाववादी इलाकों डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र रूप से मान्यता देने वाले रूस पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंधों की बौछार कर दी है. यूक्रेन पर रूसी सेना के हमले के बाद तो यह संकट और गहरा हो गया है. इस हफ्ते की शुरुआत में जो कदम उठाए गए उसमें कई रूसी बैंकों और लोगों को निशाना बनाया गया है जिससे रूस को अंतरराष्ट्रीय कर्ज बाजार से पैसा ना मिल सके. अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ ही उनके सहयोगी देश इन प्रतिबंधों का दायरा और बढ़ाने की तैयारी में हैं. आखिर ये प्रतिबंध हैं क्या और रूस को किस तरह प्रभावित करेंगे. प्रतिबंध जिनकी घोषणा हो चुकी है यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा कि उन्होंने 27 लोगों और संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. इनमें सरकार को धन देने वाले बैंक और अलग हो रहे क्षेत्रों में काम करने वाली संस्थाएं हैं. प्रतिबंधों के दायरे में रूसी संसद के निचले सदन के वे सारे सदस्य भी हैं जिन्होंने अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने के प्रस्ताव पर वोट दिया था. ब्रिटेन ने गेन्नादी टिमशेंको समेत तीन अरबपतियों पर प्रतिबंध लगाया है. इनके रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करीबी संबंध हैं. इनके अलावा रोसिया, आईएस बैंक, जेनबैंक, प्रोमसव्याजबैंक और ब्लैक सी बैंक यानी कुल पांच बैंकों पर भी प्रतिबंध लगाया है. इन बैंकों को कर्ज देने वाले तुलनात्मक रूप से छोटे हैं और केवल सैन्य बैंक प्रोम्सव्याज बैंक ही रूसी सेंट्रल बैंक के प्रमुख बैंकों की सूची में शामिल है. बैंक रोसिया पर रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर के अधिकारियों से संपर्क रखने के कारण 2014 से ही अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है.