करो या मरो का नारा किसने दिया है ?
करो या मरो: अहिंसावादी सोच का अनुसरण करने वाले महात्मा गाँधी जिन्होंने अंतत: भारत की आज़ादी को हासिल करने में अहम् योगदान निभाया, ने वर्ष 1942 में यह नारा दिया गाँधी जी द्वारा यह नारा बॉम्बे में अखिल भारतीय कांग्रेस की हुई बैठक का संबोधन करते हुए दिया गया इससे पूर्व भी गाँधी जी ने असयोग आन्दोलन जैसे प्रयासों से ब्रिटिश सरकार की नींव को हिला दिया था वर्ष 1940 के पश्चात भारत की जनता में आज़ादी की भावना अपने चरम पर पहुँच रही थी इसी कारण गांधी जी ने स्थिति को भांपते हुए करो या मरो का नारा दिया जो ब्रिटिश हकूमत की दमनकारी नीतियों का एक जवाब था किसने दिया: महात्मा गाँधी कब दिया: वर्ष 1942 में लक्ष्य: “करो या मरो” नारे के द्वारा गाँधी जी ने गुलामी की ज़िन्दगी जी रही भारत की आम जनता को एकजुट होकर लड़ने के लिए प्रात्साहित किया इस नारे का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों का सिरे से विरोध करना था इस नारे से देश की जनता को एकजुट होने तथा आज़ादी के लिए हर संभव प्रयास करने की प्रेरणा मिली