gadya ke bare mein samjhaen
गद्य का प्रारंभ इतिहास, विज्ञान, सौंदर्यशास्र इत्यादि की भाषा के रूप में हुआ। बाद में वह उपयोग से कला की ओर प्रवृत्त हुआ। रूपों के विकास के आधार पर उसकी तीन स्थूल कोटियाँ बनी हैं-वर्णनात्मक, जिसमें कथा, इतिहास, जीवनी, यात्रा इत्यादि आते हैं।एक ऐसी रचना जो छंद, ताल, लय एवं तुकबंदी से मुक्त तथा विचारपूर्ण हो, उसे गद्य कहते हैं। गद्य शब्द गद् धातु के साथ यत प्रत्यय जोड़ने से बना है। गद का अर्थ होता है बोलना, बतलाना या कहना। सामान्यत: दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली बोलचाल की भाषा में गद्य का ही प्रयोग किया जाता है।इसमें से पहला वर्ग प्रमुख विधाओं का है जिसमें नाटक, एकांकी, उपन्यास, कहानी, निबंध, और आलोचना को रखा जा सकता है। दूसरा वर्ग गौण या प्रकीर्ण गद्य विधाओं का है। इसके अंतर्गत जीवनी, आत्मकथा, यात्रावृत, गद्य काव्य, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, डायरी, भेंटवार्ता, पत्र साहित्य, आदि का उल्लेख किया जा सकता है।