कौन सा महा जनपद भारत में नहीं पड़ता था?
जय श्री राम बौद्ध, जैन धर्म के प्रारंभिक ग्रंथो में महाजनपद नाम के १६ राज्यों का विवरण मिलता है !बौद्ध ग्रन्थ में जिन १६ महाजनपदो का उल्लेख है उनमे अवंति,अश्मक (अस्सक ),अंग ,कंबोज ,काशी ,कुरु,कौशल, गांधार ,चेदि,वज्जि,(वृजि)वत्स,(वंश),पांचाल,मगध,मत्स्य (मच्छ),मल्ल ,शूरसेका समावेश था.!अधिक महाजनपदो में रजा का ही शासन चलता था.परन्तु गण और संघ नाम से प्रसिद्ध राज्यों में लोगो का समूह राज्य करता था जिसके हर एक व्यक्ति रजा कहलाता था.!महावीरजी और भगवान बुद्ध इन्ही गणों से सम्बंधित थे.! १.अंग :-वर्तमान बिहार के मुंगेर और भागलपुर जिले इसमें आते है.इसकी राजधानी चंपा थी.महाभारत और बौद्ध साहित्य के अनुसार इस की नीव रजा अंग ने रख्खी थी! २.मगध:- ये बौद्ध काल और परवर्ती काल में उत्तरी भारत का सबसे अधिक शक्तिशाली जनपद था.जिसमे पटना और गया जिले शामिल थे.और राजधानी गिरिब्रज थी.भगवान् बुद्धजी के पूर्व ब्रह्द्रथ तथा जरासंध यहाँ के राजा थे.इसका उल्लेख अथर्ववेद में भी मिलता है. ३.काशी :- यह प्राचीन काल में एक जनपद के रूप में प्रख्यात था.और वारानाशी राजधानी थी.जिसकी पुष्टि पांचवी शताब्दी में आने वाले चीनी यात्री फ़ाहावनके यात्रा विवरण से मिलता है.हरिवंश पुराण में कहा गया की काशी में बसने वाले पुरुरवा के वंशज रजा काश थे इसलिए उनके वंशज काशी कहलाये. ४..कौसल :- उत्तरी भारत का प्रसिद्ध जनपद जिसकी राजधानी अयोध्या थी उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिला ,गोंडा और बहराइच के छेत्र इसमें शामिल थे.रामायण काल में इस की दक्षिणी सीमा पर वेदश्रुति नदी बहती थी भगवान् राम ने अयोध्या से वन के लिए जाते वक़्त गोमती नदी को पार करने के पहले ही कौसल सीमा को पार कर लिया था,! ५.वत्स :- यह महाजनपद आधुनिक उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और मिर्ज़ापुर जिले के अन्तरगत आते थे.जिसकी राजधानी कौशाम्बी(इलाहाबाद ) थी. कौशाम्बी को जनपद की राजधानी पहली बार पांडवो के वंशज निचक्सू ने बनाई थी वत्स का नामोल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी है.की लोकपालो के समान प्रभाव वाले रामचन्द्रजी वन जाते समय महानदी गंगा को पार करके शीघ्र ही धनधान्य से समृद्ध और प्रसन्न वत्स देश में पहुचे.! ६.कुरु "-यह जनपदहस्तिनापुर(मेरठ)के निकट था.इसकी सीमा तैतरीय आरयंक में इस प्रकार है.दक्षिण में खांडव ,उत्तर में तूधर्णऔर पच्छिम में परीणाह स्थित था. संभव है यह सब विभिन्न वनों के नाम थे.ओस जनपद में वर्तमान थानेसर,दिल्ली और उत्तरी गंगा दुआब (मेरठ, बिजनोर ,जिलो के भाग)शामिल थे.महाभारत में भारतीय कुरु जनपदों को दक्षिण कुरु कहा गया है और ऊट्टाख़ूऊ के साथ ही उल्लेख है.कुरुकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ बतायीगायी.! 7.पांचाल :- यह कानपूर से वाराणसी के बीच के गंगा के मैदानों में फैला हुआ था.इसकी भी दो शाखाये थी.,पहली उत्तर पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र थी और दूसरी शाखा दक्षिण पांचाल की राजधानी कापित्य थी.! ८.मत्स्य :- इस में राजस्थान के अलवर,भरतपुर और जयपुर क्षेत्र शामिल थे.महाभारत काल का एक प्रसिद्ध जनपद जिसकी स्थिति अलवर-जयपुर के परिवरती प्रदेश में मणी गयी.इस देश में विराट का राज्य था जिसकी राजधानी उपप्लव थी.विरत नगर मत्स्य देश का दूसरा प्रमुख नगर था.इन जनपद के निवासिओं का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में है.जिसमे मत्स्यो को वैदिक काल के प्रसिद्ध राजा सुदास के शत्रुओ के साथ उल्लेख है.! ९. शूरसेन :- यह महाजनपद उत्तरी भारत का प्रसिद्ध जनपद था जिसकी राजधानी मथुरा थी जिसका नाम्भाग्वान रामजी के छोटे भाई शत्रुघ्न जि के पुत्र के नाम पर पड़ा था.कुछ इतिहासकारों के अनुसार यह एक कबीला था जिसने ईसा पूर्व ६००-७०० के आस पास ब्रिज पर कब्ज़ा कर लिया था.शूरसेन ने पुरानी मथुरा की जगह नहीं नगरी बसाई थी जिसका वर्णन वल्मिको रामायण के उत्तरकाण्ड में है. १०.अश्मक :-अश्मक सौदास के शेत्रज पुत्र का नाम था.सौदास जो कल्माषपाद और मित्रसह के नाम से प्रसिद्ध थे उनकी रानी मद्यंती के गर्व से अश्मक का जन्मा हुआ था. ११.अवंती :- इस्जी राजधानी उज्जैयिनी (उज्जैन)मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है.प्राचीन संस्कृत और पाली साहित्य में अवंती या उज्जैयिनी का सैकड़ो बार उल्लेख हुआ है.महाभारत में सहदेवजी द्वारा अवंती को जितने का वर्णन है.बौधकाल में अवंती उत्तर भारत के १६ महाजनपदो में से थीजिनकी सूची अंगुत्तर निकाय में है.पुरानो के अनुसार इसकी स्थापना यदुवंशी छत्रियो द्वारा की गयी थी. १२.गांधार :- यह पाकिस्तान के पश्चिम तथा अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वी शेत्र में स्थित था.इस प्रदेश का मुख्याकेंद्र आदुनिक पेशावर और आसपास के इलाके थे.इसके प्रमुख नगर थे.पुरुषपुर (आधुनिक पेशावर),और तक्षशिला इसकी राजधानी थी जिसका अस्तित्व ६०० ईसा पूर्व से ११वी सड़ी तक रहा. १३.कंबोज :- यह भारतवर्ष के प्रमुख जनपदों में गिना जाता थ.प्राचीन संस्कृत साहित्य में इस देश और निवासिओं के बारे में अनेक उल्लेख है.जिनसे ज्ञात होता है ली इस देश का विस्तार स्थूल रूप से कश्मीर से हिन्दुकुश तक था.महाभारत और राजतरंगिनी में इसकी स्थित उत्तरापथ में बताई गयी है.वैदिक काल में यह आर्य संस्कृति का केंद्र था.जैसा कि वंश-ब्राह्रण के उल्लेख से पता चलता है किन्तु कालांतर में जब आर्य सभ्यता पूर्व की ओर बढती गईतो कंबोज आर्य संस्कृत से अलग समझा जाने लगाऔर .मौर्यकाल में चन्द्रगुप्त के साम्राज्य इ यह गणराज्य विलीन हो गया. १४. व्रिज्ज :-उत्तर बिहार का बौध्कालीन गणराज्य जिसे बौद्ध साहित्य में व्रिज्ज कहा गया है.वास्तव में यह गणराज्य एक राज्य -संघ का अंग था जिसके आठ अन्य सदस्य (अठ्ठकुल )थे जिसमे विदेह,लिच्छवी और घ्रात्यक गण प्रसिद्ध था.कौटिल्य अर्थशास्त्र मे विज्जिको को लिचछ्विको से भिन्न बताया गया है.और विज्जिको के संघ का भी उल्लेख किया गया है. १५.मल्ल :- यह भी एक गण संघ था और पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके इसके शेत्र थे.इस्कसरवा प्रथम निशिचित उल्लेख वाल्मीकि रामायण में इस प्रकार है की भगवन राम जी ने लक्ष्मण पुत्र चंद्रकेतु के लिए मल्ल देश की भूमि में चंद्रकांता क पुरी बसाई थी जोस्वर्ग के सामान दिव्य थी .बौद्ध साहित्य में आल सदेश की दो राजधानियों का वर्णन है कुशावती और पावा १६..चेदि:-वर्त्तमान में बुंदेलखंड का इलाका इसके अंतर्गत आता है.गंगा और नर्मदा के बीच के शेत्र अ प्राचीन नाम चेदि था. बौद्ध ग्रंथो में जिन १६ जनपदों का उल्लेख है उसमे यह भी है.कलि चुरी वंश ने भी यहाँ राज्य किया.किसी समय शिशुपाल यहाँ का प्रसिद्ध रजा था.ग्वालियर शेत्र में वर्तमान चंदेरी क़स्बा ही प्राचीन काल के चेदि राज्य की राजधानी बताया जाता है श्रोत्र :- संस्कार पत्रिका अक्टूबर माह।।।।