हास्य रस का उदाहरण

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Dileep Vishwakarma

2 years ago

कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू॥' “बिन्ध्य के बासी उदासी तपोव्रतधारि महा बिनु नारि दुखारे। गौतमतीय तरी तुलसी, सो कथा सुनि भै मुनिबृन्द सुखारे॥ है हैं सिला सब चन्द्रमुखी, परसे पद-मंजुल कंज तिहारे।

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Mayank Rajput

2 years ago

सिक्के यू मत फेक ऐ प्रभु पर हे जजमान सो का नोट चढ़ आइए तब होगा कल्याण

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Shruti Gupta

2 years ago

सीस पर गंगा हँसै, भुजनि भुजंगा हँसै, हास ही को दंगा भयो, नंगा के विवाह में

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