हास्य रस का उदाहरण
कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू॥' “बिन्ध्य के बासी उदासी तपोव्रतधारि महा बिनु नारि दुखारे। गौतमतीय तरी तुलसी, सो कथा सुनि भै मुनिबृन्द सुखारे॥ है हैं सिला सब चन्द्रमुखी, परसे पद-मंजुल कंज तिहारे।
सिक्के यू मत फेक ऐ प्रभु पर हे जजमान सो का नोट चढ़ आइए तब होगा कल्याण
सीस पर गंगा हँसै, भुजनि भुजंगा हँसै, हास ही को दंगा भयो, नंगा के विवाह में