राष्ट्रपति किसकी सलाह पर लोकसभा को उसकी अवधि की समाप्ति से पहले भंग कर सकता है ?

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Sundaram Singh

2 years ago

संविधान का अनुच्छेद 87(1) उपबंध करता है- " राष्ट्रपति लोक सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद को उसके आह्वान के कारण बताएगा।" लोक सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन होने के पश्चात प्रथम सत्र की दशा में, राष्ट्रपति, सदस्यों द्वारा शपथ लिए जाने अथवा प्रतिज्ञान किए जाने और अध्यक्ष के चुने जाने के पश्चात एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करते हैं। इन प्रारंभिक औपचारिकताओं को पूरा करने में साधारणतया दो दिन लग जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण किए जाने तक तथा संसद को इसके आह्वान के कारणों को बताए जाने तक कोई अन्य कार्य नहीं किया जाता है। प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र की दशा में राष्ट्रपति का अभिभाषण संसद के दोनों सदनों के सत्रारंभ हेतु अधिसूचित समय और तिथि को होता है। अभिभाषण की समाप्ति के आधा घंटे बाद दोनों सभाएं अपने-अपने सदन में अलग बैठकें करती हैं और राष्ट्रपति के अभिभाषण की प्रति सभा पटल पर रखी जाती है तथा प्रत्येक सदन के कार्यवाही-वृतांत में सम्मिलित की जाती है। राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए सदस्यों को कोई पृथक आमंत्रण नहीं जारी किया जाता है। उन्हें राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए निर्धारित तिथि, समय तथा स्थान की सूचना संसदीय बुलेटिन के माध्यम से दी जाती है। राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए निर्धारित समय पर संसद के दोनों सदनों के सदस्य संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में एकत्र होते हैं जहां राष्ट्रपति अपना अभिभाषण करते हैं। नए सदस्यों, जिन्होंने शपथ नहीं लिया है अथवा प्रतिज्ञान नहीं किया है, को भी राष्ट्रपति के अभिभाषण के अवसर पर उन्हें निर्वाचन अधिकारी द्वारा दिए गए निर्वाचन प्रमाणपत्र अथवा सत्र के लिए उन्हें भेजे गए आमंत्रण को प्रस्तुत किए जाने पर केंद्रीय कक्ष में आने दिया जाता है। केंद्रीय कक्ष में प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल के सदस्यों, लोक सभा के उपाध्यक्ष तथा राज्य सभा के उप सभापति को प्रथम पंक्ति में स्थान आबंटित किया जाता है। अन्य मंत्रियों को भी एक साथ स्थान आबंटित किया जाता है। लोक सभा तथा राज्य सभा में विपक्ष के नेता को भी प्रथम पंक्ति में स्थान आबंटित किया जाता है। अन्य दलों/ग्रुपों के नेताओं को भी उपयुक्त स्थान दिया जाता है। सभापति तालिका के सदस्यों तथा संसदीय समितियों के अध्यक्षों को दूसरी पंक्ति में स्थान आबंटित किया जाता है। सदस्य शेष स्थानों पर, जो आबंटित अथवा नियत नहीं होते, कहीं भी बैठ सकते हैं। एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति का अभिभाषण संविधान के अधीन एक गरिमापूर्ण एवं औपचारिक कृत्य है। इस अवसर के अनुकूल अत्यधिक गरिमा और शालीनता अपनायी जाती है। किसी सदस्य के द्वारा किया गया कोई कार्य जिससे राष्ट्रपति के अभिभाषण के अवसर की गरिमा भंग हो या उसमें कोई बाधा पड़े, उस सदन द्वारा, जिसका वह सदस्य है, दंडनीय है। सदस्यों से यह आशा की जाता है कि वे राष्ट्रपति के केंद्रीय कक्ष में पहुंचने के पांच मिनट पूर्व स्थान ग्रहण कर सकते हैं। उन दर्शकों, जिन्हें इस अवसर के लिए पास जारी किए गए हैं, से भी यह अनुरोध किया जाता है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए निर्धारित समय से आधा घंटे पूर्व वे अपना स्थान ग्रहण कर लें। ऐसी परंपरा है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के समय कोई सदस्य केंद्रीय कक्ष को बीच में छोड़कर बाहर नहीं जाएगा। राष्ट्रपति राजकीय बग्धी अथवा कार में बैठकर संसद भवन (उत्तर पश्चिम पोर्टिको) पहुंचते हैं और राज्य सभा के सभापति, प्रधानमंत्री, लोक सभा के अध्यक्ष, संसदीय कार्य मंत्री और दोनों सदनों के महासचिव उनका स्वागत करते हैं। राष्ट्रपति को एक शोभायात्रा में केन्द्रीय कक्ष तक ले जाया जाता है। जहाँ से शोभायात्रा गुजरती है अर्थात् संसद भवन के मुख्य द्वार से केन्द्रीय कक्ष तक लाल कालीन बिछाया जाता है। जैसे ही राष्ट्रपति की शोभायात्रा केन्द्रीय कक्ष के गलियारे में दाखिल होती है, वैसे ही मंच पर पहले से ही मौजूद मार्शल (माननीय सदस्यों, माननीय राष्ट्रपति) कहते हुए राष्ट्रपति के आगमन की घोषणा करता है। इसके साथ ही मंच के ऊपर दीर्घा में खड़े दो बिगुल-वादक राष्ट्रपति के मंच पर पहुंचने तक बिगुल नाद करते रहते हैं। उस समय सभी सदस्य अपने-अपने स्थान पर उठकर खड़े हो जाते हैं और जब तक राष्ट्रपति अपने आसन पर बैठ नहीं जाते तब तक सदस्य खड़े रहते हैं।

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