राज्य के सप्तांग सिध्दांत के जनक कौन थे? [A] कौटिल्य [B] ब्रह्मभट्ट [C] कालिदास [D] आर्यभट्ट
वैदिक साहित्य तथा प्रारंभिक धर्मसूत्रों में दी गयी जानकारी के बाद भी हम राज्य की कोई निश्चित परिभाषा नहीं दे सकते। इसका कारण यह है, कि इस समय तक राज्य संस्था को ठोस आधार नहीं मिल सका था। उत्तरी भारत में विशाल राजतंत्रों की स्थापना के साथ ही राज्य के स्वरूप का निर्धारण किया गया। सर्वप्रथम कौटिल्य द्वारा रचित अर्थशास्र में ही राज्य की सही परिभाषा प्राप्त होती है। यह राज्य को एक सजीव एकात्मक शासन-संस्था के रूप में मान्यता प्रदान करता है, तथा उसे सात प्रकृतियों अर्थात् अंगों में निरूपित करता है, जो निम्नलिखित हैं- स्वामी (शासक) अमात्य (मंत्री) जनपद (जनसंख्या) दुर्गा (फोर्टिफाइड कैपिटल) कोष (खजाना) डंडा (सेना) मित्र (सहयोगी और मित्र)