‘अनुप्रस्थ तरंग’ तथा ‘अनुदैर्ध्य तरंग’ का अर्थ उदाहरण देकर बताइए। इनकी विशेषताएँ बताइए।
अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves) – अनुदैर्घ्य तरंगें वे तरंगें हैं जिनमें माध्यम के कण, तरंग-संचरण की दिशा में ही कम्पन करते हैं। लोहे के टुकड़े को ठोकने पर उसके अन्दर अनुदैर्घ्य तरंगें होती हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। इसके अतिरिक्त हमारे बोलने पर वायु में उत्पन्न तरंगें या किसी गैस में उत्पन्न तरंगें भी अनुदैर्घ्य होती हैं। अनुदैर्ध्य तरंगों की विशेषताएँ (Characteristics of Longitudinal waves) – अनुदैर्ध्य तरंग की निम्न विशेषताएँ हैं| इनके माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा में ही कम्पन करते हैं। इनके संचरण से संपीडन तथा विरलन होते हैं। ये तरंगें ठोस, द्रव व गैस तीनों माध्यमों में चल सकती हैं। इन तरंगों के कारण दाब-परिवर्तन होता है।
अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse waves) – अनुप्रस्थ तरंगों में माध्यम के कण, तरंग गति की दिशा के लम्ब दिशा में कंपन करते हैं। शान्त जल में पत्थर डालने पर जल की सतह पर उत्पन्न तरंगें अनुप्रस्थ होती हैं। यदि इन तरंगों के रास्ते में एक कागज का छोटा टुकड़ा रख दें तो वह अपने ही स्थान पर ऊपर-नीचे कंपन करता है, आगे नहीं बढ़ता अर्थात् तरंग गति दिशा के लम्बवत् कंपन करता है। तनी डोरी जैसे, सितार के तार अथवा एक सिरे पर दीवार से बँधी डोरी को दूसरे सिरे से ऊपर-नीचे झटका देने पर अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न होती हैं। चित्र में रस्सी में अनुप्रस्थ तरंगें दिखाई गयी हैं। अनुप्रस्थ तरंगों की विशेषताएँ (Characteristics of Transverse Waves) – इनके माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् कम्पन करते हैं। उनके संचरण में श्रृंग तथा गर्त होते हैं। ये तरंगें ठोसों में तथा द्रवों की सतह पर चल सकती हैं।