जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम की व्याख्या कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है? अंततः इसकी ऊर्जा को क्या होता है? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है ?
जब किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ा जाता है तो यह दोलन करने लगता है। माना कि गोलक को बिन्दु B से छोड़ा जाता है तो माध्य स्थिति A से होते हुए बिन्दु C तक पहुंचती है। पुनः C से वापस B पर पहुंचती है। इस तरह बिन्दु B पर अधिकतम स्थितिज ऊर्जा होती है यहाँ कोई गतिज ऊर्जा नहीं होती है। पुनः जब गोलक माध्य स्थिति A पर पहुँचता है तो यहाँ अधिकतम गतिज ऊर्जा होती है, कोई स्थितिज ऊर्जा नहीं होती है। ठीक इसी तरह गोलक पुनः बिन्दु A से बिन्दु C पर पहुंचती है तो इस बिन्दु पर अधिकतम स्थितिज ऊर्जा होती है, कोई गतिज ऊर्जा नहीं होती है। अतः अधिकतम स्थितिज ऊर्जा अधिकतम गतिज ऊर्जा में तथा अधिकतम गतिज ऊर्जा अधिकतम स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है जो ऊर्जा संरक्षण नियम को स्पष्ट करता है। हवा के घर्षण के कारण गोलक धीरे-धीरे विराम अवस्था में आ जाता है तथा सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा में परिणत हो जाता है। अर्थात्, ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरण हो जाता है।