जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए
आर.एच.ह्विटेकर (1959) ने समस्त जीवों को कोशिकीय संरचना, पोषण के स्रोत तथा भोजन ग्रहण करने की विधि और शारीरिक संगठन के आधार पर निम्नलिखित 5 जगत में बाँटा था-1. मोनेरा 2. प्रोटिस्टा 3. फंजाई 4. प्लान्टी तथा 5. एनीमेलिया। 1. मोनेरा-इसके अन्तर्गत उन एककोशिकीय प्रोकेरियोटी जीवों को रखा गया है जिनमें कुछ में कोशिका भित्ति पाई जाती है तथा कुछ में नहीं। पोषण के आधार पर ये स्वपोषी या विषमपोषी दोनों हो सकते हैं। जैसे-नील हरित शैवाल, बैक्टीरिया, माइकोप्लाज्मा आदि | 2. प्रोटिस्टा-इस जगत के अन्तर्गत एककोशिक, यूकेरियोटी जीवों को रखा गया है जिनमें गमन के लिए सीलिया, फ्लैजेला नामक संरचनाएँ पाई जाती हैं। ये स्वपोषी और विषमपोषी दोनों तरह के होते हैं। जैसे-एककोशिक शैवाल, डाइएटम, प्रोटोजोआ आदि। 3. फंजाई-इसके अन्तर्गत विषमपोषी यूकेरियोटी जीवों को रखा गया है। इन्हें मृतजीवी कहते हैं, क्योंकि ये अपने पोषण के लिए सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रहते हैं। जैसे-यास्ट, मशरूम, पेनीसिलियम आदि। 4. प्लांटी-इसके अन्तर्गत कोशिका भित्ति वाले बहुकोशिक यूकेरियोटी जीवों को रखा गया है। ये स्वपोषी होते हैं और प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। इस वर्ग में सभी पौधों को रखा गया है। इसके अन्तर्गत थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म एवं एन्जियोस्पर्म आदि पादप आते हैं। 5. एनीमेलिया-इसके अन्तर्गत ऐसे सभी बहुकोशिक यूकेरियोटी जीवों को रखा गया है, जिनमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है। इस वर्ग के जीव विषमपोषी होते हैं। इसके अन्तर्गत सभी अकशेरुकी तथा कशेरुकी जन्तु आते हैं।