विक्टोरिया कालीन समाज में महिलाओं व पुरुषों की वस्त्र शैलियों की भिन्नता को स्पष्ट कीजिए।
ब्रिटेन में महिलाओं एवं पुरुषों द्वारा पहने जाने वाले वस्त्रों की शैलियों में पर्याप्त भिन्नता थी। इस काल में महिलाओं को बचपन से सुशील और आज्ञाकारी होने की शिक्षा दी जाती थी। आदर्श नारी उसे माना जाता था जो तमाम दुःख दर्द को सह कर भी चुप रहे। जहाँ पुरुषों से धीर-गंभीर, बलवान, आजाद और आक्रामक होने की उम्मीद की जाती थी वहीं औरतों को छुईमुई, निष्क्रिय व दब्बू माना जाता था। पहनावे के रस्मो-रिवाज में भी यह अंतर स्पष्ट रूप से झलकता था। बचपन से ही लड़कियों को सख्त फीतों से बँधे कपड़ों-स्टेज में कसकर बाँधा जाता था जिससे उनका बदन इकहरा रहे। थोड़ी बड़ी होने पर लड़कियों को बदन से चिपके कॉर्सेट (चुस्त भीतरी कुर्ती) पहनने होते थे। टाइट फीतों से कसी पतली कमर वाली महिलाओं को आकर्षक, शालीन व सौम्य समझा जाता था। इस तरह विक्टोरियाई महिलाओं की अलग छवि बनाने में पोशाक ने अहम् भूमिका निभाई।