1987 ई. में हुए हरियाणा राज्य विधानसभा के बाद अस्तित्व में आयी सरकार ने क्या महत्त्वपूर्णघोषणा की?
कांग्रेस में रहकर कभी जीत नहीं पाए रणजीत सिंह रणजीत सिंह 1987 में चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में लोकदल की सरकार में कृषि मंत्री बने। चौधरी देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने तो ओपी चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। लेकिन रणजीत सिंह ने उनके नेतृत्व को स्वीकार नहीं हकिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। 1996 के विधानसभा चुनावों में रणजीत सिंह को टिकट नहीं मिली। इसके बाद 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी की सरकार गिरने पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें हिसार लोकसभा क्षेत्र से टिकट दी। लेकिन वे हार गए। 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दी। लेकिन वे कांग्रेस सरकार में योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे। 2009 में नए परिसीमन के बाद रानियां विधानसभा सीट से लड़े और लेकिन कृष्ण कंबोज से हार गए। 2014 में रामचंद्र कंबोज से हार गए। लेकिन टिकट कटने के बाद कांग्रेस से बागी होकर आजाद चुनाव मैदान में उतरे और जीत गए। ऐसे में रणजीत सिंह जितना समय कांग्रेस में रहे, कभी विधायक नहीं बन पाए।