प्रच्छन्न एवं मौसमी बेरोजगारी में क्या अन्तर है?
प्रच्छन्न बेरोजगारी तब होती है जब अधिशेष श्रम नियोजित होता है जिसमें से कुछ कर्मचारियों के पास शून्य या लगभग शून्य सीमांत उत्पादकता होती है। मौसमी बेरोजगारी तब होती है जब व्यक्ति वर्ष के निश्चित समय पर बेरोजगार होते हैं क्योंकि वे उन उद्योगों में कार्यरत होते हैं जो पूरे दौर में माल या सेवाओं का उत्पादन नहीं करते हैं।