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SUNDARAM SINGH

2 years ago

जीवनी ।।।। विष्णु प्रभाकर की 'आवारा मसीहा (1974)' नि:संदेह जीवनी विधा का अब तक का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गौरव-ग्रंथ इसलिए है क्योंकि इसमें जीवन, संस्मरण, रेखाचित्र, कहानी, नाटक, यात्रा आदि अनेकानेक विधाओं के चरमोत्कर्ष के दर्शन होते हैं। 'आवारा मसीहा' का लेखन विष्णु प्रभाकर के लिए एक चुनौती बन गया था।

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