नारीवाद वह पुरुष या स्त्री है जो विश्वास करता है? पुरुष और स्त्री के समान अधिकारों में पुरुष और स्त्री के अलग-अलग अधिकारों में पुरुष और स्त्री के संयुक्त अधिकारों में उपयुक्त में से कोई नहीं
वास्तव में नारीवाद जिस स्त्री की पुनर्वापसी के लिए प्रयत्नशील है वह वही स्त्री है जिसकी ज्ञानोदय के काल में अपनी कोई आवाज और पहचान नहीं थी। वह तब जो कुछ भी थी वह पुरुष के स्वर की प्रतिध्वनि थी और उसकी जो भी पहचान थी वह पुरुष के द्वारा गढ़ी गयी और आरोपित पहचान थी।