भूटान में भारत द्वारा बनाए गए बिजली घरों के नाम क्या-क्या हैं?
3. भारत के विदेश मंत्री और भूटान के विदेश मंत्री दोनों ने इस मौके पर पनबिजली के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे परस्पर फायदेमंद द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग का महत्वपूर्ण स्तंभ करार दिया। उन्होंने विश्वास, सहयोग और पारस्परिक सम्मान को भी याद किया, जिसमें अद्वितीय और विशेष दोस्ती की विशेषता है, जो आपसी समझ पर आधारित है और भारत और भूटान के बीच लोगों की एक साझा सांस्कृतिक विरासत और लोगों के बीच मजबूत संबंधों द्वारा प्रबलित है। 4. जल विद्युत क्षेत्र भारत-भूटान द्विपक्षीय सहयोग का प्रमुख क्षेत्र है। भारत के माननीय प्रधानमंत्रियों और भूटान द्वारा अगस्त 2019 में 720 मेगावाट की मंगदेछु पनबिजली परियोजना का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया गया था। इसके साथ, 2100 मेगावाट की द्विपक्षीय सहयोग की चार (04) पनबिजली परियोजनाएं (336 मेगावाट चूका पनबिजली परियोजना, 60 मेगावाट कुरिचू पनबिजली परियोजना, 1020 मेगावाट ताला पनबिजली परियोजना और 720 मेगावाट मांगदेछू पनबिजली परियोजना) भूटान में पहले से ही चालू हैं।
भूटान की शाही सरकार और खोलांगछू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड के बीच 600 मेगावाट की खोलांगछू (संयुक्त उद्यम) पनबिजली परियोजना के लिए साझा उद्यम समझौता 29 जून 2020 को थिम्पू में भारत सरकार के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और भूटान की शाही सरकार के विदेश मंत्री ल्योनपो डॉ. टांडी दोरजी की आभासी उपस्थिति में हस्ताक्षरित किया गया था। भूटान की शाही सरकार के आर्थिक मामलों के मंत्री ल्योनपो लोकनाथ शर्मा और भारत और भूटान के विदेश सचिव, सचिव (विद्युत), भारत सरकार, सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, भूटान में भारत के राजदूत और भारत में भूटान के राजदूत भी हस्ताक्षर समारोह में उपस्थित थे, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजित किया गया था। 2. 600 मेगावाट की रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना पूर्वी भूटान में त्राशियांगत्से जिले में खोलांगछू नदी के निचले हिस्से पर स्थित है। इस परियजोना के तहत चार 150 मेगावाट के भूमिगत टर्बाइन वाला बिजलीघर स्थापित किया जाएगा और 95 मीटर की ऊंचाई वाले बांध से यहां पानी पहुंचाया जाएगा। भूटान की ड्रुक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन (DGPC) और भारत के सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVNL) के बीच संयुक्त उपक्रम की कंपनी खोलांगछू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड द्वारा यह परियोजना संचालित की जाएगी। इस समझौते पर हस्ताक्षर से भारत और भूटान के बीच पहली पनबिजली परियोजना के इस संयुक्त उपक्रम के निर्माण और अन्य गतिविधियां शुरू होंगी। इस परिजोयना के 2025 के उतरार्ध में पूरा होने की उम्मीद है।