किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे- सुबह होने से पहले हम गाँव में थे। पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे। तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए। नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए- ‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।’
पता नहीं चलता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे। कभी लगता था कि घोड़ा आगे जा रहा है, कभी लगता था पीछे जा रहा है।