महात्मा गांधी ने कांग्रेस के सदस्यता से दो बार त्यागपत्र कब-कब दिया
लॉर्ड इरविन के साथ गोलमेज़ सम्मेलन के फेल होने के बाद कांग्रेस के नेता थोड़े निराश हो गए थे. वहीं भगत सिंह की फांसी के बाद गांधी जी पर भी प्रश्न-चिन्ह खड़े हो रहे थे. कई जगह जनता ने उनको काले झंडे भी दिखाए थे. अब नेहरू भी कहने लगे थे कि हमारा और गांधीजी का रास्ता अलग है. 1934 में गांधी जी ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया. इसके अलावा एक के बाद एक फांसी दिए जाने से नौजवानों की क्रांतिकारी गतिविधियां भी एकदम ठप्प पड़ गई थीं. क्योंकि कोई नेता नहीं बचा था उनका. आइए पढ़ते हैं क्या हुआ इसके बाद: गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 अंग्रेज ये नया एक्ट लेकर आए. इसमें ऑल इंडिया फेडरेशन बनाने की बात की गई थी. जिसमें दो तरह के राज्य होते: ब्रिटिश सरकार के और राजकुमारों के राज्य. सरकार राजकुमारों का इस्तेमाल अपने खिलाफ विरोध को रोकने के लिए करना चाहती थी. इस व्यवस्था में सबको वोट देने का अधिकार भी नहीं था. फिर वायसराय के पास किसी को भी वीटो करने का अधिकार था. मतलब पूरी व्यवस्था ब्रिटिश राज्य कायम रखने की थी. कांग्रेस ने इसका विरोध किया.