कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। ये खाए बौरात हैं वे पाए बौराय॥` दोहे में `कनक` शब्द एक अर्थ सोना है, इसका दूसरा अर्थ क्या हैं?
कनक (सोना) कनक(धतुरा) ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय। वा खाए बौराय जग, या पाए बौराय।। प्रस्तुत दोहे का अर्थ यह है कि सोना अर्थात धन का नशा धतुरा अर्थात नाशीला वस्तु से 100 गुना अधिक नशा होता है क्योंकि नशीली वस्तु खाने के बाद ही नशा होता है जबकि सोना अर्थात धन आते हि नशा अर्थात घमंड हो जाता है।