जैन धर्म में माटी ज्ञान का क्या अर्थ है? (A) भावना अंगों की गतिविधि के माध्यम से धारणा। (B) शास्त्रों द्वारा प्रकट ज्ञान। (C) भेदक धारणा। (D) टेलीपैथिक ज्ञान।
* इंद्रियों व मन द्वारा जो पदार्थों का बोध होता है, उसे मतिज्ञान कहते हैं। * मतिज्ञान द्वारा जाने हुए पदार्थों को विशेष रूप से जानना, श्रुतज्ञान कहलाता है। * द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की मर्यादा लेकर जो ज्ञानरूपी पदार्थों को जानता है, उस अवधि ज्ञान कहते हैं।