ब्रिटेन द्वारा अपने उपनिवेशों में वर्ष 1932 में अपनाई गई सम्राजयक अधिमान्यताओ ' की नीति को यह भी कहा जाता है
1932 में आयोजित ब्रिटिश एम्पायर इकोनोमिक कॉन्फ्रेंस (ओटावा कॉन्फ्रेंस) का उद्देश्य ब्रिटिश उपनिवेशों तथा स्वायत्त क्षेत्रों को प्रभावित करने वाली आर्थिक महामंदी (Great Depression) पर चर्चा करना था। इस सभा में यह निर्णय लिया गया कि ब्रिटिश स्वामित्व वाले भू-भागों में कम से कम (limited) आयात शुल्क लगाया जाएगा लेकिन शेष-विश्व (ब्रिटिश उपनिवेशों को छोड़कर) पर अधिक से अधिक आयात शुल्क लगाया जाएगा। इसे इम्पेरियल प्रोफेरेंस (Imperial Preference) के नाम से जाना जाता था।