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Ramesh Gupta

Ssc & Railways
General Awareness
2 years ago

हास्य रस की परिभाषा

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Vivek Singh

2 years ago

किसी व्यक्ति या वस्तु की असाधारण वेशभूषा, आकृति, वाणी तथा चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो आनंद (विनोद) का भाव जाग्रत होता है, उसे ही हास कहा जाता है। यही हास जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट हो जाता है तो उसे 'हास्य रस' कहते है।

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