तिलक के विचारों से प्रभावित होकर चापेकर बन्धु ( दामोदर एंव बालकृष्ण ) ने पूना में अंग्रेज अधिकारी श्री रैण्ड पर हमला किया | श्री रैण्ड क्या थे ?
तीनों भाइयों को संयुक्त रूप से चापेकर बन्धु कहा जाता है। दामोदर हरि चाफेकर ने २२ जून १८९७ को रैंड को और उसके सहायक लेफ्टिनेंट आयस्टर को गोली मारकर हत्या कर दी। यह भारत की आज़ादी की लड़ाई में प्रथम क्रांतिकारी धमाका था। रैण्ड ने प्लेग समिति के प्रमुख के रूप में पुणे में भारतीयों पर बहुत अत्याचार किए थे।
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