मुझ पर किया गया लाठी का एक-एक प्रहार ब्रिटिश साम्राज्य के कफन में कील बनकर रहेगा।' ऐसा किसने कहा था?
इसके जवाब में अंग्रेजों ने उन पर लाठी चार्ज किया पर लाला जी पर आजादी का जुनून सवार था. लालाजी ने अपने अंतिम भाषण में कहा कि 'मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक चोट ब्रिटिश साम्राज्य के कफन की कील बनेगी'. अपने हर एक सांस को भारत मां पर न्यौछावर करने वाले लालाजी ने अपनी अंतिम सांस 17 नवम्बर, 1928 को ली.