घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम 2005 में कुल कितने अध्याय और धाराएं हैं?
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाना है और पीड़ित महिलाऔं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है। यह 26 अक्टूबर 2006 को लागू हुई।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) की धारा 31 दंड के संबंध में लेख करती है। घरेलू हिंसा अधिनियम सिविल उपचार प्रदान करता है परंतु इस अधिनियम को दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत चलाया जाता है। इस अधिनियम में मजिस्ट्रेट को अलग-अलग तरह के आदेश पारित करने की शक्ति दी गई है। यदि किसी मजिस्ट्रेट द्वारा प्रत्यर्थी जिसमें पीड़ित महिला के घर के कोई भी सदस्य हो सकते हैं, उनके विरुद्ध किसी प्रकार का कोई आदेश पारित किया है और वे उस आदेश को नहीं मानते हैं तब उन्हें दंडित किए जाने का प्रावधान इस अधिनियम में किया गया है। किसी भी न्यायालय के आदेश को नहीं मानने पर पहले भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडित किया जाता था लेकिन अभी के अधिनियम ऐसे हैं जिनमें यह व्यवस्था उक्त अधिनियम में ही कर दी गई है। इस ही तरह घरेलू हिंसा अधिनियम में भी दंड की व्यवस्था की गई है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 31 पर विवेचना प्रस्तुत की जा रही है। यह अधिनियम में प्रस्तुत की गई धारा है धारा 31